स्पेशल ट्रेन के नाम पर आम यात्रियों की जेब पर डाका
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टिकट दरों में हुई अनाप-शनाप वृध्दि
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तमाम तरह की सहूलियतें की गई खारिज
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बिना आरक्षण यात्रा की अनुमति नहीं
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एसी श्रेणी में बेड रोल की सुविधा हुई खत्म
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पेन्ट्री के भोजन की गुणवत्ता भी डगमगायी
अमरावती/प्रतिनिधि दि.3 – अनलॉक की प्रक्रिया के तहत भारतीय रेल द्वारा यात्रियों की सुविधाओं को देखते हुए कई रूटों पर कुछ रेलगाडियों को विशेष ट्रेन का दर्जा देते हुए चलाना शुरू किया गया है. किंतु इन रेलगाडियों के लिए जो नियम बनाये गये है, उससे यात्रियों को सुविधा होने की बजाय काफी असुविधाओं का सामना करना पड रहा है. साथ ही इन विशेष रेलगाडियों से यात्रा करना आम लोगोें के लिए काफी महंगा सौदा भी साबित हो रहा है. क्योेंकि जहां एक ओर इन विशेष रेलगाडियों से यात्रा करने हेतु रेल महकमे द्वारा ‘विशेष’ दरें तय की गई है. वहीं दूसरी ओर तमाम तरह की सुविधाओं व सहूलियतोें को गोल कर दिया गया है. जिसकी वजह से रेल यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है.
उल्लेखनीय है कि, लॉकडाउन काल के समय पूरी तरह से बंद रहनेवाली रेलगाडियों को अब धीरे-धीरे चलाना शुरू किया जा रहा है और दशहरा व दीपावली जैसे पर्वों को ध्यान में रखते हुए रेल महकमे ने कुछ विशेष रेलगाडियां शुरू की है. जिनके लिए यात्रा की अतिरिक्त दरें तय की गई है. साथ ही इन रेलगाडियों में बिना आरक्षण यात्रा करने की अनुमति भी नहीं है. ऐसे में सामान्य श्रेणी में यात्रा करनेवाले आम रेलयात्रियों को मजबूरन अपनी जेब ज्यादा हलकी करनी पड रही है. यहीं स्थिति आरक्षित श्रेणियों में यात्रा करनेवाले यात्रियों के साथ भी है. वहीं दूसरी ओर सर्वाधिक उल्लेखनीय बात यह भी है कि, रेल महकमे द्वारा वयोवृध्द नागरिकों, दिव्यांगों, पत्रकारों तथा विद्यार्थियों सहित कुछ संवर्गों के तहत यात्रा शुल्क में इससे पहले कुछ सहूलियत दी जाती थी. किंतु विशेष रेलगाडियों में ऐसी तमाम सहूलियतों को खारिज कर दिया गया है और इन रेलगाडियों में यात्रा करने हेतु सभी को पूरा यात्रा शुल्क अदा करना आवश्यक है. यह विशेष रूप से बुजुर्ग व दिव्यांग लोगोें के लिए काफी दिक्कतवाली बात है. जो इस समय इलाज के लिए एक शहर से दूसरे शहर जाना चाहते है.
इस संदर्भ में की गई पडताल में एक तथ्य यह भी पता चला कि, पहले जहां वातानुकूलित श्रेणियोंवाले डिब्बोें में यात्रियों को बेड रोल (तकीया, चादर व कंबल) दिये जाते थे, वहीं अब कोरोना काल के बाद शुरू की गई सभी तरह की रेलगाडियों में बेडरोल देने की सुविधा को बंद कर दिया गया है. इसके अलावा लंबी दूरीवाली रेलगाडियों में पेन्ट्री यानी खानपान की सुविधा भी काफी हद तक गडबडा गयी है और अधिकांश ट्रेनों में यात्री संख्या काफी हद तक कम रहने के चलते पेन्ट्री में बासी खाना बच रहा है और इसी बासी खाने को यात्रियों के बीच परोसा जा रहा है. ऐसी शिकायतें इन दिनों बडे पैमाने पर सामने आ रही है.
इन स्पेशल ट्रेन में लगता है अतिरिक्त चार्ज
काचीगुडा-नरखेड, अकोला-काचीगुडा, खुर्दा रोड-अहमदाबाद, गांधीधाम-पूरी, खुर्दा रोड-ओखा, भुवनेश्वर-अहमदाबाद, हावडा-अहमदाबाद व हावडा-मुंबई मेल इन विशेष रेलगाडियों में अतिरिक्त किराया वसूला जा रहा है. साथ ही इन रेलगाडियों में किसी को भी किसी भी तरह की सहूलियत यानी कन्सेशन भी प्राप्त नहीं हो रहा.
कन्फर्म नहीं रहने पर टिकट कैन्सल करो
रेल्वे ने दी यात्रियों को सलाह
वेटिंग टिकट पर यात्रा नहीं करने का मशविरा दिया
वहीं दूसरी ओर रेल महकमे द्वारा एक फर्मान जारी करते हुए कहा गया है कि, यदि किसी व्यक्ति के पास वेटिंग टिकट है, और वह यात्रा से चार घंटे पहले तक कन्फर्म नहीं हुआ है, तो वे उसे तुरंत कैन्सल करवा ले और वेटिंग टिकट पर बिल्कूल भी यात्रा न करे.
रेल्वे के नियमानुसार यदि कोई यात्री अपने निर्धारित रेल्वे स्टेशन से रेलगाडी में सवार नहीं होता है, तो तीन रेल्वे स्टेशन के बाद उसकी टिकट अपने आप कैन्सल हो जाती है और उसकी सीट को रिक्त मान लिया जाता है. ऐसे में संबंधित रेल्वे स्टेशन की वेटिंग लिस्ट में रहनेवाले किसी यात्री की टिकट कन्फर्म होती है. रेल्वे द्वारा इस समय हर रेलगाडी के पीछे साधारणत: 300 यात्रियों की वेटिंग लिस्ट तैयार की जाती है. साथ ही वेटिंग लिस्ट की लंबाई को कम करने का रेल्वे द्वारा लगातार प्रयास किया जाता है.
पांच वर्षों में पांच करोड पीएनआर हुए रद्द
जानकारी के मुताबिक बीते पांच वर्षों के दौरान समूचे देश में करीब पांच करोड पीएनआर क्रमांक टिकट कन्फर्म नहीं होने की वजह से रद्द हो गये. वहीं वर्ष 2019-20 में वेटिंग टिकटों की संख्या में 8.9 प्रतिशत की कमी देखी गयी. साथ ही त्यौहारों और छुट्टियों के दौरान करीब सवा करोड यानी 13.3 प्रतिशत यात्रियों के टिकट कन्फर्म नहीं हुए.
अपने आप रद्द हुए पीएनआर
वर्ष रद्द पीएनआर
2014-15 1,13,17,481
2015-16 81,05,022
2016-17 72,13,131
2017-18 73,02,042
2018-19 68,97,922