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सन्नाटे के साये में मना संत गजानन महाराज का प्रगटदिन

तमाम मंदिरों मेें हुआ प्रतिबंधात्मक नियमों का कडाई से पालन

  • भाविकोें ने दूर से ही किये ‘श्री’ के दर्शन

  • श्रध्दालुओं की उपस्थिति भी रही सीमित

  • शहर सहित जिले में कहीं भी महाप्रसाद का आयोजन नहीं

अमरावती प्रतिनिधि/दि.५ – प्रति वर्ष श्री संत गजानन महाराज का प्रगट दिवस माघ सप्तमी को बडी धुमधाम के साथ मनाया जाता है. जिसके तहत सभी गजानन मंदिरोें में श्रीं के दर्शन हेतु भाविक भक्तोें की भारी भीड उमडती है और श्रध्दालुओें की लंबी-लंबी कतारेें लगती है. साथ ही जगह-जगह पर महाप्रसाद का आयोजन भी होता है. किंतु इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खतरे और लॉकडाउन को देखते हुए संत गजानन महाराज प्रगट दिवस पर भी सन्नाटे का साया मंडराता दिखा. क्योेंकि इस बार कहीं पर भी किसी भी तरह का कोई भव्य-दिव्य धार्मिक आयोजन नहीं किया गया.
बता दें कि, इस समय अमरावती शहर सहित जिले में कोरोना संक्रमितोें की संख्या लगातार बढ रही है. जिसे देखते हुए प्रशासन द्वारा 8 मार्च तक अमरावती मनपा क्षेत्र में लॉकडाउन लागू किया गया है. साथ ही अचलपुर व अंजनगांव सुर्जी में भी लॉकडाउन लागू किया गया है. जिसके तहत सभी धार्मिक स्थलों को अगले आदेश तक बंद रखने का निर्णय जारी किया गया है. ऐसे में शुक्रवार 5 मार्च को शहर सहित जिले के सभी गजानन मंदिरों के भीतर आम श्रध्दालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया था. हालांकि सभी मंदिरों में विश्वस्तोें की मौजूदगी के बीच प्रगट दिवस के उपलक्ष्य में श्रीं की मूर्ति का श्रृंगार व पूजन पूरे विधि-विधान के साथ किया गया. इस समय जगह-जगह होम-हवन का भी आयोजन हुआ. जिसमें सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का पालन करते हुए मंदिर संस्थानों के विश्वस्त बेहद सीमित संख्या में उपस्थित हुए. साथ ही कई मंदिरोें में गर्भगृह के दरवाजे खुले रखे गये, ताकि भाविक श्रध्दालु मंदिरोें के बाहर खडे रहकर वहीं से श्रीं की मूर्ति का दर्शन कर सके.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, प्रतिवर्ष संत गजानन महाराज प्रगट दिवस के उपलक्ष्य में शहर सहित जिले में जगह-जगह पर महाप्रसाद के भव्य आयोजन होते है. जिनमें पूरा दिन हजारों-लाखों भाविक श्रध्दालु भोजन-प्रसाद का लाभ लेते है. किंतु इस वर्ष जिले में कहीं पर भी ऐसा कोई आयोजन नहीं हुआ. इसी तरह प्रगट दिवस उपलक्ष्य में जगह-जगह पर विजय ग्रंथ पारायण के सामूहिक कार्यक्रम भी आयोजीत किये जाते है. किंतु इस वर्ष कहीं पर भी पारायण समारोह भी आयोजीत नहीं हुआ. बल्कि गजानन भक्तों ने अपने-अपने घरों में रहकर ही विजयग्रंथ का पारायण किया.

  • संत नगरी शेगांव में भी रहा सन्नाटा

उल्लेखनीय यह है कि, लाखोें-करोडों भाविकों की श्रध्दा रहनेवाले संत गजानन महाराज की नगरी शेगांव में प्रगट दिवस के उपलक्ष्य में जबर्दस्त भीडभाड का आलम रहता है. किंतु इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए शेगांव संस्थान द्वारा मंदिर को बंद रखने और इस वर्ष कोई धार्मिक आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया गया. जिसकी वजह से संतनगरी शेगांव में भी शुक्रवार को पुरी तरह से सन्नाटा पसरा रहा. बता दें कि, प्रति वर्ष प्रगटदिवस के उपलक्ष्य में समूचे राज्य से सैंकडोें भजनी दिंडी व लाखों भाविक श्रध्दालु संत नगरी शेगांव पहुंचते है. जहां पर एक से बढकर एक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. जिसके तहत अश्व के साथ भव्य नगर पालखी परिक्रमा राजसी वैभव के साथ नगरभ्रमण करने निकलती है और पूरे शेगांव परिसर में ‘गण-गण-गणात बोते’ तथा ‘जय गजानन माउली’ का उद्घोष गूंजायमान रहता है. किंतु पिछले वर्ष से शुरू हुए कोरोना वायरस के संक्रमण का असर अब तक देखा जा रहा है. साथ ही इन दिनों संक्रमण का खतरा काफी अधिक बढ गया है. ऐसे में भीडभाड को टालने और भाविक श्रध्दालुओं की सुरक्षा की दृष्टि से श्री गजानन महाराज संस्थान द्वारा श्रीं के 143 वें प्रकट दिवस अवसर पर शेगांव स्थित गजानन महाराज मंदिर को बंद रखने का निर्णय लिया गया और यहां पर किसी भी तरह का कोई धार्मिक आयोजन भी नहीं हुआ.

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