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गैस शवदाहिनी का दूसरा यूनिट हुआ शुरू

दाह संस्कार के काम में आयी तेजी

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२२ – विगत दिनों स्थानीय हिंदू स्मशान संस्था (Hindu Cemetery) द्वारा संचालित हिंदू स्मशान भूमि ‘मोक्षधाम‘ में स्थित गैस शवदाहिनी प्रकल्प के दो में से एक यूनिट में कुछ तकनीकी दिक्कतें आ गयी थी और यह यूनिट बंद पड गया था. जिसकी वजह से हिंदू स्मशान भूमि में पार्थिव शरीरों, विशेषकर कोरोना संक्रमण की वजह से मृत होनेवाले लोगों के शवों का दाह संस्कार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड रहा था और यहां पर दाह संस्कार हेतु शवों की कतारे लगनी शुरू हो गयी थी. लेकिन अब गैस शवदाहिनी प्रकल्प के एक यूनिट में आयी तकनीकी गडबडी को दुरूस्त कर लिया गया है और दोनों यूनिट के जरिये शवों के दाह संस्कार का काम शुरू हो गया है. ऐसी जानकारी हिंदू स्मशान भूमि संस्था के अध्यक्ष एड. आर. बी. अटल द्वारा दी गई है.
उल्लेखनीय है कि, इन दिनों कोरोना का संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है और इस बीमारी से रोजाना ही कुछ लोगों की जाने जा रही है. ऐसे में कोरोना संक्रमण की वजह से मृत होनेवाले मरीजों के शवों का तमाम सुरक्षा ऐहतियात के बीच हिंदू स्मशान संस्था में अंतिम संस्कार कराया जाता है और इन शवों का पारंपारिक तरीके से लकडी की चिता पर दाह संस्कार करने की बजाय उनका गैस शवदाहिनी में अंतिम संस्कार किया जाता है. विगत कुछ दिनों से रोजाना ही कोरोना संक्रमण के चलते पांच से दस लोगों की मौते हो रही है. इन सभी शवों को एक के बाद एक हिंदू स्मशान संस्था द्वारा प्रशासन को उपलब्ध करायी गयी विशेष शव वाहिका के जरिये अंतिम संस्कार हेतु मोक्षधाम में लाया जाता है. जिसके लिए मोक्षधाम के पिछले हिस्से से शवों को भीतर लाने की व्यवस्था की गई है और मनपा व कोविड अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा तमाम सुरक्षा प्रबंधों के बीच कोरोना संक्रमित मृत व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार कराया जाता है.
इस समय संबंधित व्यक्ति के परिजनों को स्मशान भूमि के मुख्य प्रवेश द्वार के पास ही खडे रहने की अनुमति दी जाती है. विगत कुछ दिनों से गैस शवदाहिनी प्रकल्प का एक यूनिट बंद हो जाने की वजह से कोरोना संक्रमण की वजह से मृत हुए लोगों के शवों की मोक्षधाम में कतारे लगती देखी गयी, क्योकि गैस शवदाहिनी में एक पार्थिव देह के अंतिम संस्कार हेतु ढाई से तीन घंटे का समय लगता है और इसी दौरान रोजाना यहां पर पांच से दस शव अंतिम संस्कार हेतु लाये जाने लगे थे. जिसके चलते शवों के अंतिम संस्कार में होनेवाली देरी को ध्यान में रखते हुए हिंदू स्मशान संस्था द्वारा कुछ कोरोना संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार लकडी की चिता पर करने की अनुमति दी गई थी.

  • मोक्षधाम कर्मियों का हौसला तारीफ के काबिल

इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए हिंदू स्मशान भूमि संस्था के अध्यक्ष एड. आर. बी. अटल ने बताया कि, इस समय विपरित हालात रहने के बावजूद मोक्षधाम के कर्मचारी जिस समर्पित भाव से अपनी जिम्मेदारी को निभा रहे है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाये, वह कम है. एड. अटल के मुताबिक इन दिनों जहां एक ओर लोगबाग अपने परिजनों और रिश्तेदारों की शवयात्रा व अंतिम संस्कार में शामिल होने से कतरा रहे है, साथ ही कई कोरोना संक्रमित मृतकों के रिश्तेदार तो उनके अस्थिकलश भी लेने नहीं आ रहे, वहीं दूसरी ओर हिंदू स्मशान संस्था के सभी कर्मचारी मोक्षधाम में लाये जानेवाले हर एक पार्थिव देह का पहले की तरह पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार संपन्न करवा रहे है. जिसे देखकर संस्था प्रमुख होने के नाते उन्हें गर्व की अनुभूति होती है.

  • लॉकर में लंबे समय से पडे अस्थिकलशों का जल्द किया जायेगा विसर्जन

उल्लेखनीय है कि, हिंदू स्मशान भूमि ‘मोक्षधाम‘ समूचे राज्य में अपनी सुविधाओं एवं साफसफाई व्यवस्था के लिए विख्यात है तथा यहां पर अंतिम संस्कार पश्चात अस्थिकलशों को रखने हेतु संस्था की दो मंजिला प्रशासकीय इमारत की उपरी मंजील पर लॉकर सुविधा उपलब्ध करायी गयी है. जहां पर इस समय करीब २०० कलश विसर्जन की प्रतिक्षा में पडे हुए है, जिसमें से कई अस्थिकलश कोरोना की वजह से मृत होनेवाले व्यक्तियों के है. किंतु संबंधित परिजनों द्वारा इन अस्थिकलशों को विसर्जन हेतु ले जाया नहीं जा रहा. इस बारे में सवाल पूछने पर एड. आर. बी. अटल ने बताया कि, कई बार लोगबाग अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से भी अस्थिकलशों को विसर्जन हेतु तीर्थस्थलों पर नहीं ले जा पाते.
साथ ही इस समय आवागमन के साधनों की उपलब्धता कुछ कम है. यह भी अस्थिकलशों को नहीं ले जाने की एक वजह हो सकती है. लेकिन ऐसी वजहों के चलते मोक्षधाम का लॉकर अब हाउसफुल्ल हो गया है. ऐसी स्थिति में मोक्षधाम द्वारा संबंधित परिवारों को दो बार अस्थिकलश ले जाने हेतु स्मरणपत्र दिया जाता है और तीसरी बार सूचित किया जाता है कि, यदि फलां तारीख तक वे अपने दिवंगत सदस्य का अस्थिकलश नहीं लेकर गये तो मोक्षधाम परिसर में ही बनाये गये विसर्जन कुंड में उनके द्वारा रखे गये अस्थिकलश का विसर्जन कर दिया जायेगा. इसके बावजूद भी अगर संबंधित परिजन अस्थिकलश स्वीकारने हेतु नहीं आते है, तो हिंदू स्मशान संस्था द्वारा पूरे सम्मान के साथ ऐसे अस्थिकलशों में रखी अस्थियों का मोक्षधाम परिसर में बनाये गये विसर्जन कुंड में प्रवाहित होनेवाले सप्तनद जल में विसर्जन कर दिया जाता है.

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