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‘अमरावती वेरियंट’ की वजह से देश में आयी कोरोना की दूसरी लहर

विशेषज्ञों ने जतायी चिंता, शोधकर्ता पहुंचे विदर्भ

अमरावती/प्रतिनिधि दि.23 – इस समय समूचे देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर कहर ढा रही है और विगत 24 घंटों के दौरान 3 लाख 16 हजार नये संक्रमित मरीज सामने आये है. जिससे हालात लगातार चिंताजनक होते जा रहे है. देश में इस समय फैल रहे कोविड संक्रमण के लिए बी.1.617 के रूप में चिन्हीत किये गये कोरोना के नये वेरियंट को जिम्मेदार माना जा रहा है और समूची दुनिया के स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस नये वेरियंट का अध्ययन करने के साथ ही इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने में जुटे हुए है. जिसके तहत यह पता चला है कि, कोविड वायरस का यह वेरियंट सबसे पहले महाराष्ट्र राज्य के अमरावती जिले में पाया गया था और फरवरी माह में इसी नये वेरियंट की वजह से अमरावती जिले सहित आसपास के जिलों में कोविड वायरस का संक्रमण फैलना शुरू हुआ और धीरे-धीरे वायरस के इस नये वेरियंट के मामले समूचे देश में पाये जाने लगे. ऐसे में कहा जा सकता है कि, इस समय ‘अमरावती वेरियंट’ की वजह से पूरे देश में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर आयी हुई है. हालांकि अभी इस बात पूरी तरह से पुख्ता नहीं हुई है और इसकी पुष्टि करने हेतु और भी अधिक शोध करने की जरूरत है. ऐसे में इस समय कई शोधकर्ता इस वेरियंट के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जूटाने हेतु विदर्भ क्षेत्र का रूख कर रहे है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में पाया गया डबल म्युटेशन रहनेवाला यह वेरियंट यूके और ब्राजील की तुलना में काफी अलग है और अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के मुताबिक यह वेरियंट भारत में ही पैदा हुआ है. वहीं इस वायरस का उगम महाराष्ट्र राज्य के अमरावती जिले से हुआ. जहां से इस वायरस का संक्रमण धीरे-धीरे समूचे देश में फैलना शुरू हुआ और यह वायरस ही देश में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार है. इस जानकारी के सामने आते ही ब्रिटेन सहित कई देशों ने भारत के बीच लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी है. ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि वायरस का यह वेरियंट बडी तेजी से फैलता है और विगत फरवरी व मार्च माह के दौरान इसी वेरियंट की वजह से अमरावती जिले में बडी तेज रेफ्तार के साथ कोविड वायरस का संक्रमण फैला था. साथ ही साथ अमरावती के आसपास स्थित जिले भी संक्रमण की दूसरी लहर की चपेट में आ गये.
इस संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में ईग्लोल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इंफ्ल्यूएंझा डेटा का हवाला दिया गया है. जिसमें कहा गया है कि, बी.1.617 वेरियंट पहली बार दिसंबर 2020 में संकलित किये गये सैम्पलों में पाया गया था. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि, संक्रमण के मामलों के बढने का कोई संबंध इस वेरियंट से नहीं जुडता है. वहीं एक्सपर्टस् का मानना है कि, ऐसा डेटा की कमी की वजह से हो सकता है. अत: कई जानकार वायरस सिक्वेन्सिंग पर जोर दे रहे है.

  • बाईडेन की कंट्रोल टीम के सदस्य डॉ. अतुल गावंडे ने जतायी चिंता

विदर्भ के यवतमाल जिले के उमरखेड से वास्ता रखनेवाले डॉ. अतुल गावंडे इस समय अमरीकी राष्ट्रपति जो बाईडेन की कोविड-19 कंट्रोल एडवाईजरी टीम के सदस्य है. उन्होंने भी वायरस के इस वेरियंट को लेकर अच्छीखासी चिंता जाहीर की है. अपने संशोधन में डॉ. अतुल गावंडे ने पाया है कि, वायरस का यह नया वेरियंट पूरे परिवार को शिकार बनाने का काम कर रहा है. खास तौर से ऐसा विदर्भ में बहुत अधिक हो रहा है. इसका मतलब यह है कि, यह वायरस पहले की तुलना में अधिक संक्रामक है. हालांकि यह घातक है अथवा नहीं इसके बारे में स्टडी करने की जरूरत है. वहीं वायरालॉजी शोधकर्ता ग्रेस रॉबर्टस् की शुरूआती स्टडी से यह बात सामने आयी है कि,वायरस का यह नया स्वरूप पिछले स्वरूप की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक संक्रामक है.

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