गुटखा की एफआईआर के धारा ३२८ खारिज
नागपुर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, महागांव से दायर हुई थी याचिका
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डेप्युटी सीएम के आदेश पर पुलिस ने की थी कार्रवाई
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हाईकोर्ट ने कहा : गुटखा व पानमसाला जहरीले पदार्थ नहीं
नागपुर प्रतिनिधि/दि.२१ – गुटखा, पानमसाला, सुगंधित तंबाखू व सुपारी तथा खर्रा व मावा जैसे प्रतिबंधित पदार्थों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कानून के प्रभावी अमल हेतु ऐसे मामलों में की जानेवाली कार्रवाई में भारतीय दंड संहिता की धारा ३२८ लगाने का निर्देश राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने दिये थे. लेकिन यवतमाल जिले के महागांव में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के पश्चात दायर याचिका पर सुनवाई के बाद नागपुर उच्च न्यायालय (Nagpur High Court) ने विगत दिनों गुटखा संबंधित एफआईआर से धारा ३२८ को खारिज करने का आदेश जारी किया. ऐसे ही एक अन्य मामले में अकोला के गुटखा व्यवसायी पर हुई कार्रवाई के संदर्भ में भी नागपुर हाईकोर्ट ने इसी आशय का फैसला सुनाया है. इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक यवतमाल जिले के महागांव निवासी प्रवीण हंसलाल जयस्वाल के खिलाफ पुलिस ने गुटखा मामले में अपराध दर्ज किया था. जिसमें भादंवि की धारा ३२८ लगायी गयी थी. इसके खिलाफ जयस्वाल ने एड. एस. ए. मोहता के मार्फत नागपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. जिस पर न्या. वी. एम. देशपांडे व न्या. अनिल किलोर की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. जिसके दौरान यह स्पष्ट किया गया कि, जयस्वाल वाहतुकदार नहीं, बल्कि विक्रेता है और उनके खिलाफ गलत धाराओं में अपराध दर्ज किया गया है. इसी तरह अकोला के एमआयडीसी पुलिस थाना क्षेत्र में ऐसे ही एक मामले में पुलिस ने जठारपेठ परिसर में कार्रवाई करते हुए एक व्यापारी पर धारा १८८, २७२ व ३२८ के तहत विगत २९ जुलाई को एफआईआर दर्ज की थी. जिसके खिलाफ संबंधित व्यापारी ने मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. इस याचिका में एमआयडीसी पुलिस थाने के साथ ही महाराष्ट्र राज्य सरकार को भी पार्टी बनाया गया था. इस मामले में भी कोर्ट ने धारा ३२८ को खारिज करने का फैसला सुनाया है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, अब हाईकोर्ट द्वारा दो अलग-अलग मामलों में दिये गये आदेशों के बाद अब समूचे महाराष्ट्र में गुटखा, पानमसाला व सुगंधित तंबाखू को लेकर होनेवाली कार्रवाई में धारा ३२८ दर्ज नहीं की जा सकेगी.
पुलिस के साथ ही प्रशासन व सरकार को झटका
बता दें कि, विगत ५ फरवरी को राज्य के मुख्यमंत्री अजीत पवार ने पुलिस अधिकारियोें की एक बैठक लेकर गुटखा प्रतिबंधक कानून को और अधिक सख्त बनाने की हिदायत दी थी और ऐसे मामलोें में धारा १८८, २७२, २७३ तथा ३२८ के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिये थे. जिसके चलते विगत १६ जुलाई को राज्य के विशेष पुलिस महानिरीक्षक (कानून व सुव्यवस्था) मिलींद भारंबे ने भी एक आदेश जारी किया था. ऐसे में समूचे राज्य में पुलिस विभाग द्वारा गुटखे के खिलाफ कार्रवाई करते समय सीधे-सीधे धारा ३२८ लगाना शुरू किया गया था. लेकिन अब न्यायालय ने ऐसे मामलों में धारा ३२८ नहीं लगाने का आदेश जारी किया है. यह एक तरह से पुलिस महकमे के साथ ही राज्य सरकार के लिए भी बडा झटका माना जा रहा है. यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया है कि, अन्य राज्योें में भी धारा ३२८ को ऐसे मामलों में की जानेवाली पुलिस कार्रवाई में नहीं लगाया जाता. इससे अब यह स्पष्ट है कि, भविष्य में गुटखा संबंधी मामलोें में होनेवाली कार्रवाई में पुलिस द्वारा धारा ३२८ नहीं लगायी जायेगी.
क्या है धारा ३२८
किसी भी खाद्यपदार्थ में यदि विषैले व जहरीले पदार्थों का प्रयोग किया गया है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा ३२८ लगायी जाती है. इस गैर जमानती धारा में कम से कम २० दिनोें तक जमानत नहीं मिलती. साथ ही इस धारा अंतर्गत दस वर्ष के कारावास की सजा का प्रावधान है. वहीं गुटखा मामलों में लगायी जानेवाली अन्य धाराओें के तहत पुलिस थाने से ही जमानत दे दी जाती है.