वरिष्ठ स्वाधीनता सेनानी माणिकराव मोरे काका नहीं रहे
शोकाकुल माहौल में हुई अंत्येष्टि
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पालकमंत्री एड. ठाकुर सहित कई गणमान्योें ने दी श्रध्दांजलि
अमरावती प्रतिनिधि/दि.४ – शहर के प्रतिष्ठित नागरिक तथा वरिष्ठ स्वाधीनता सेनानी माणिकराव मोरे काका का 96 वें वर्ष की आयु में 3 जनवरी को निधन हो गया. उनकी अंतिम यात्रा 4 जनवरी की सुबह 10 बजे जुनी टकसाल परिसर स्थित उनके निवास से निकाली गयी एवं हिंदू स्म्शान भुमि में बेहद शोकाकुल माहौल के बीच उनके पार्थिव पर अंतिम संस्कार किये गये. इससे पूर्व सोमवार की सुबह जिला पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकुर, कांग्रेस शहराध्यक्ष व मनपा के नेता प्रतिपक्ष बबलू शेखावत तथा पूर्व महापौर व पार्षद विलास इंगोले सहित राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र के कई गणमान्यों ने मोरे परिवार के निवास पर पहुंचकर दिवंगत माणिकराव मोरे काका के अंतिम दर्शन करते हुए उन्हें श्रध्दांजलि अर्पित की. वहीं मोरे काका के निधन का समाचार मिलते ही गत रोज पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख सबसे पहले मोरे परिवार के निवास पर पहुंचे थे. इन सभी गणमान्यों ने मोरे काका के निधन को अमरावती जिले के लिए अपूरनीय क्षति बताते हुए कहा कि, मोरे काका के अवसान से अमरावती जिले के साथ जुडा स्वाधीनता संग्राम का एक अध्याय खत्म हो गया है.
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मोरे काका का अल्प परिचय
1 अक्तूबर 1925 को जन्मे माणिकराव झिंगूजी मोरे ने महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर खुद को सामाजिक कार्यों में समर्पित कर दिया था और उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में 9 अगस्त 1942 को छेडे गये भारत छोडो आंदोलन में हिस्सा लिया था. इस हेतु उन्हें पूर्व महामहिम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों सम्मानित भी किया गया था. इसके साथ ही मोरे काका के बडे भाई कृष्णराव मोरे व डॉ. भाउराव मोरे भी वर्ष 1930 से ही स्वाधीनता आंदोलन में शामिल हुए थे, ताउम्र कांग्रेस पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता रहे. माणिकराव मोरे ने क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले द्वारा स्थापित कन्या विद्यालय को राष्ट्रीय स्मारक बनाने हेतु राज्यस्तर से लेकर दिल्ली तक लगातार प्रयास किये. साथ ही वे हमेशा से ही गरीबों, पीडितों व शोषितों की आवाज बने रहे. करीब दस वर्ष तक गौरव समिती के जिलाध्यक्ष रहनेवाले मोरे काका ने सर्वांगीण ग्रामविकास संस्था में भी कार्य किया है. मोरे काका की पत्नी रत्नकला मोरे का कुछ समय पूर्व ही देहांत हो गया था. वहीं अब उनके परिवार में दो पुत्र गोपाल एवं वासुदेव मोरे, पुत्री मनीषा मोरे, दामाद प्रशांत भोंडे, नाती योगेश मोरे, लवीना मोरे, विठ्ठल मोरे एवं बंडू मोरे सहित अन्य शोकाकुल परिजन है.