स्वास्थ्य मंत्री टोपे के बयान से सनसनी और आश्चर्य
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अमरावती में 11 निजी प्रयोगशालाओं की मान्यता रद्द करने की दी जानकारी
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कुछ लैब द्वारा फर्जी रिपोर्ट दिये जाने का दावा भी किया
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हकीकत में किसी लैब की मान्यता रद्द नहीं हुई, चार को दुबारा अनुमति भी मिली
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प्रशासन ने अब तक किसी लैब पर कोई कार्रवाई भी नहीं की
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स्वास्थ्य मंत्री की गलत बयानबाजी के चलते सभी है हैरत में
अमरावती/प्रतिनिधि दि.11 – गत रोज राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने विधान परिषद में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि, अमरावती जिले में रैपीड एंटीजन टेस्ट करनेवाली कुछ निजी पैथोलॉजी लैब की रिपोर्ट में गडबडियां पायी गयी. जिसके बाद अमरावती के जिलाधीश द्वारा इन 11 प्रयोगशालाओं की मान्यता को रद्द कर दिया गया. स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दिये गये इस बयान को लेकर बेहद आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है. क्योंकि यह बयान अपने आप में काफी हद तक गलत है. बता दें कि, निजी पैथोलॉजी लैब द्वारा समय पर आयसीएमआर के पोर्टल पर कोविड टेस्ट रिपोर्ट की जानकारी अपलोड नहीं किये जाने की वजह को आगे करते हुए जिला प्रशासन द्वारा जिले की सभी निजी पैथोलॉजी लैब में रैपीड एंटीजन टेस्ट करने पर प्रतिबंध लगाया गया था. वहीं बाद में बडे अस्पतालों से संलग्नित पैथोलॉजी लैब को आयपीडी में भरती किये जानेवाले मरीजों की रैपीड एंटीजन टेस्ट करने की दुबारा अनुमति दी गई थी. वहीं ओपीडीवाले मरीजोें की केवल आरटी-पीसीआर जांच करने का आदेश जारी किया गया था. साथ ही अन्य निजी पैथोलॉजी लैब को भी आरटी-पीसीआर टेस्ट ही करने का निर्देश दिया गया था. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री टोपे द्वारा यह कहना कि अमरावती जिले में 11 निजी प्रयोेगशालाओं की मान्यता रद्द की गई है, अपने आप में पूरी तरह से गलत बयान है. जिसे लेकर बेहद हैरत जतायी जा रही है. साथ ही अब यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि, क्या स्वास्थ्य मंत्री टोपे ने केवल सनसनी मचाने के उद्देश्य से यह बयान दिया है.
बता दें कि, विगत दिनों जिला प्रशासन द्वारा कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग तथा आयसीएमआर के निर्देशों पर निजी पैथोलॉजी लैब में रैपीड एंटीजन टेस्ट नहीं किये जाने को लेकर आदेश जारी किया गया था. इसके पीछे प्रशासन द्वारा तर्क दिया गया कि, कई निजी लैब द्वारा हर 24 घंटे के भीतर अपने यहां की जानेवाली कोविड टेस्ट की रिपोर्ट आयसीएमआर के पोर्टल पर अपलोड नहीं किये जाते. साथ ही जिन लोगों की कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव रहती है, उन्हें मनमाने ढंग से होम आयसोलेशन में रहने का पत्र दे दिया जाता है. जिसके बारे में जिला प्रशासन को समय रहते जानकारी नहीं मिल पाती. ऐसे में होम आयसोलेशन में रखे गये मरीजों पर जिला एवं मनपा प्रशासन द्वारा अगले दो-तीन दिनों तक नजर रखना संभव नहीं हो पाता. जिसकी वजह से होम आयसोलेशन में रखे गये मरीज घर पर रहकर नियमों का पालन करने की बजाय बाहर घुमते रहते है और उनके संपर्क में आनेवाले लोग भी संक्रमण की चपेट में आते है. ऐसे में कोविड संक्रमण की रफ्तार लगातार बढ रही है. इसमें सर्वाधिक उल्लेखनीय यह रहा कि, जिला प्रशासन द्वारा निजी लैब में तकनीकी दिक्कतों के चलते रैपीड एंटीजन टेस्ट को प्रतिबंधित किये जाते ही जिप सदस्य प्रकाश साबले ने निजी लैब द्वारा दी जानेवाली पॉजीटीव रिपोर्ट में फर्जीवाडा रहने का आरोप लगाते हुए सनसनी मचा दी थी. साथ ही कुछ अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी स्वास्थ्य महकमे को लेकर गंभीर आपत्तियां दर्ज करायी थी. ऐसे में दोनोें बातें एकसाथ हो जाने की वजह से आम जनता के बीच यह संदेश गया कि, निजी लैब में होनेवाली रैपीड एंटीजन टेस्ट में कई तरह की गडबडियां हो रही है. जिसकी वजह से प्रशासन द्वारा निजी लैब में रैपीड एंटीजन टेस्ट करने पर प्रतिबंध लगाया गया है. जबकि हकीकत में दोनों अलग-अलग मामले थे. यह बाद में पूरी तरह से स्पष्ट भी हो गया था.
यहां पर यह भी विशेष ध्यान दिये जानेवाली बात है कि, प्रशासन द्वारा अब तक किसी भी निजी कोविड टेस्ट लैब की मान्यता अथवा लाईसेन्स को रद्द नहीं किया गया है तथा किसी के भी खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई भी नहीं की गई है. साथ ही किसी भी निजी कोविड टेस्ट लैब को कारण बताओं नोटीस तक भी जारी नहीं किया गया है, उल्टे चार निजी कोविड टेस्ट लैब को दुबारा रैपीड एंटीजन टेस्ट करने की अनुमति भी दी गई है. साथ ही इन दिनों निजी अस्पतालों को कोविड टीकाकरण अभियान में भी शामिल किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे द्वारा विधान परिषद में दिये गये बयान को आश्चर्यजनक, हैरतअंगेज व सनसनीखेज ही माना जा सकता है. सर्वाधिक आश्चर्य स्वास्थ्य मंत्री टोपे द्वारा कही गई उस बात को लेकर है, जिसमें उन्होंने कहा कि, आरटी-पीसीआर टेस्ट के जरिये 60 से 65 फीसदी और रैपीड एंटीजन टेस्ट के जरिये मात्र 30 से 35 फीसदी सही रिपोर्ट प्राप्त होती है. साथ ही एक ही व्यक्ति के दो अलग-अलग सैम्पल लेने पर उसकी रिपोर्ट अलग-अलग आ सकती है और यदि कोई सैम्पल किसी कारणवश दूषित यानी खराब हो गया, तो उसकी रिपोर्ट पॉजीटीव आ सकती है. जबकि स्वास्थ्य महकमे के मुताबिक आरटी-पीसीआर टेस्ट के जरिये 99 प्रतिशत तथा रैपीड एंटीजन टेस्ट के जरिये 90 प्रतिशत सटीक रिपोर्ट प्राप्त की जा सकती है. वहीं यदि कोई सैम्पल शीतकरण के अभाव सहित अन्य किसी भी वजह से दूषित या खराब हो जाता है, तो उसकी रिपोर्ट पॉजीटीव नहीं आ सकती. क्योंकि ऐसी स्थिति में थ्रोट स्वैब में मौजूद रहनेवाले कोविड-19 वायरस अपने आप नष्ट हो जायेगा. साथ ही यदि किसी व्यक्ति में कोरोना के तीव्र लक्षण है, तो अलग-अलग समय पर लिये गये उसके थ्रोट स्वैब सैम्पलों की रिपोर्ट पॉजीटीव ही आयेगी और रिपोर्ट में कोई फर्क नहीं आयेगा. हालांकि यह जरूर है कि, यदि कोई व्यक्ति एसिम्टोमैटिक है, तो उसकी रिपोर्ट में कुछ फर्क जरूर आ सकता है. क्योंकि ऐसे व्यक्तियों में कोरोना के बेहद सौम्य लक्षण रहते है. साथ ही कई बार लक्षण भी नहीं होते. स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी गई जानकारियोें में ही काफी बडा फर्क दिखाई दे रहा है. ऐसे में फिलहाल सबसे बडा सवाल यह है कि, इन दोनोें में से किसकी बात को सही माना जाये.