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सेवा ही सबसे बडा पुण्य कर्म और पूजन

शिवकथा में पं. प्रदीप मिश्रा सिहोरवाले का कथन

* कथा के छठवे दिन बताया सेवा व कथा श्रवण का लाभ
* कल होगा 7 दिवसीय कथा का विधिवत समापन
अकोला/दि.10 – ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए जरुरी नहीं कि, हर समय दुनियादारी से विरक्त होकर भजन-कीर्तन में ही लीन रहा जाए, बल्कि यदि हमारे हाथों से अपने माता-पिता सहित किसी अंजान व्यक्ति की कोई सेवा भी होती है, तो यह किसी पूजन अथवा पुण्य कर्म से कम नहीं है और ऐसे सेवाकार्य करने वाले लोगों पर भी भगवान की अनुकंपा जरुर होती है. साथ ही ऐसे लोगों को ईश्वर का प्रसाद किसी न किसी रुप में जरुर मिलता है. अत: भगवत भक्ति के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति ने खुद को सेवाकार्य के लिए भी तत्पर व समर्पित रखना चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन अंतर्राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता पं. प्रदीप मिश्रा सिहोरवाले द्बारा किया गया.
यहां से पास ही म्हैसपुर में विगत 5 मई से चल रही श्री स्वामी समर्थ शिव महापुराण कथा के छठवे दिन शिवकथा की श्रृंखला को आगे बढाते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही कहा कि, इस शिवकथा के आयोजन में कई लोग कथा पंडाल में बैठकर कथा का श्रवण कर रहे है. वहीं कई लोग कथा में शामिल होने हेतु आए श्रद्धालूओं की सेवा व सुविधा से संबंधित कामों की जिम्मेदारी उठा रहे है. ऐसे में वे लोग कथा पंडाल में उपस्थित नहीं है और कथा नहीं सुन पा रहे है, लेकिन दोनों ही तरह के लोगों को इस कथा श्रवण का पुण्यलाभ बराबर ही मिलेगा. क्योंकि शिवभक्तों की सेवा में तत्पर रहना भी कथा श्रवण के बराबर पुण्य कर्म है. इस बात से सेवाकार्यों के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, सेवाकार्य करने से मन में रहने वाले अहंकार के साथ-साथ क्रोध जैसे दुर्गुणों को भी खत्म करने में सहायता मिलती है.
छठवे दिन की कथा में सेवाकार्यों का महत्व विशद करने के साथ ही पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, जिस स्थान पर किसी भी तरह की धार्मिक तथा जैसा आयोजन होता है, वह स्थान किसी तीर्थक्षेत्र से कम नहीं होता. ऐसे मेें धार्मिक कथा आयोजन के दौरान आयोजन स्थल पर पहुंच जाना भी तीर्थ यात्रा के बराबर है और ऐसे स्थानों पर सेवा देने का पुण्य लाभ सामान्य सेवा की तुलना में कई गुना अधिक मिलता है. इसके साथ ही पं. प्रदीप मिश्रा ने अपने माता-पिता की सेवा को सबसे बडा पुण्य कर्म बताते हुए कहा कि, जो लोग आज अपने बुुढे माता-पिता की सेवा कर रहे है. आगे चलकर निश्चित तौर पर उनकी संताने भी उनकी सेवा करेगी. साथ ही जिन घरों में बुजुर्गों का तिरस्कार किया जाता है, उस घर के लोगों का भविष्य भी आगे चलकर तिरस्कृत व बहिष्कृत होना तय है. इसके पीछे कर्म का सिद्धांत काम करता है. जिससे आज तक कोई भी नहीं बच पाया है तथा स्वयं मनुष्य रुप में अवतार लेने वाले भगवान को भी कर्म के सिद्धांत का सामना करना पडा.
उल्लेखनीय है कि, 5 मई से शुरु हुई शिव महापुराण कथा का कल 11 मई को समापन होने जा रहा है. यानि कल इस कथा का अंतिम दिन रहेगा. जिसके बाद पं. प्रदीप मिश्रा द्बारा म्हैसपुर में जुटे लाखों शिवभक्तों की विदाई ली जाएगी. ऐसे में इसे एक दिन पहले छठवे दिन की कथा में सेवाकार्यों का महत्व विशद करते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने इस आयोजन को सफल एवं भव्य-दिव्य बनाने हेतु समर्पित भाव से सेवाएं प्रदान कर रहे प्रत्येक व्यक्ति के प्रति आभार ज्ञापित किया. साथ ही इस कार्यक्रम के बेहतरीन आयोजन एवं शानदार नियोजन के लिए आयोजक विजय दुबे व बंटी चौरसिया का भी अभिनंदन किया. साथ ही साथ पं. प्रदीप मिश्रा ने म्हैसपुर में कथा श्रवन करने हेतु उपस्थित हुए लाखों शिवभक्तों से शिवभक्ति की धारा को ऐसे ही प्रवाहित व प्रज्वलित करने का आवाहन भी किया. इस समय पूरा पंडाल परिसर ‘श्री शिवाय नमस्त्युभ्यम्’ के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा.
ज्ञात रहे कि, इस शिवकथा को सुनने हेतु आयोजन के पहले ही दिन से म्हैसपुर में अकोला व आसपास के परिसर सहित देश के अलग-अलग कोनों से शिवभक्तों का जमावडा लगा हुआ है. जिसके चलते आयोजन स्थल पर रोजाना सुबह 8 से 11 बजे के दौरान लाखों भाविक श्रद्धालुओं की भीड दिखाई देती है. साथ ही पूरा अनुमान है कि, कल कथा के अंतिम दिन भीड को लेकर अब तक के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे. ऐसे में लाखों भाविकों की उपस्थिति को देखते हुए आयोजन स्थल के आसपास चारों ओर सुरक्षा एवं आवश्यक सुविधाओं के लिए जबर्दस्त प्रबंध किए गए. साथ ही म्हैसपुर की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर जगह-जगह सेवाभावी लोगों द्बारा भाविक श्रद्धालुओं के लिए ठंडे पानी तथा चाय व अल्पाहार का इंतजाम करते हुए अपनी सेवाएं प्रदान की जा रही है.

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