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शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

उद्धव इस्तीफा न देते तो सरकार बहाल हो सकती थी

* शिवसेना के 16 बागी विधायकों का फैसला स्पीकर करें
* संवैधानिक पीठ ने कहा-फ्लोर टेस्ट का सामाना करना चाहिए था
* भरत गोगावले की नियुक्त अंसवैधानिक
नई दिल्ली-दि.11 महाराष्ट्र में एक साल से चल रही राजनीतिक उठापठक आज थम गई. एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया. उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया था. ऐसे में कोर्ट इस्तीफा को रद्द तो नहीं कर सकता है. हम पुरानी सरकार को बहाल नहीं कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट को गलत भी ठहराया. अब स्पीकर को शिवसेना के 16 बागी विधायकों पर जल्द फैसला करना चाहिए. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच इस पर फैसला सुनाया.
* सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बातें –
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह शिंदे और 15 अन्य विधायकों को पिछले साल जून में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने के लिए अयोग्य नहीं ठहरा सकता है. यह अधिकार स्पीकर के पास तब तक रहेगा, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच इस पर फैसला नहीं सुना देती.
* गोगावले की नियुक्ति अवैध
सदन के स्पीकर का शिंदे गुट की ओर से प्रस्तावित स्पीकर गोगावले को चीफ व्हिप नियुक्त करना अवैध फैसला था. स्पीकर को सिर्फ राजनीतिक दल की ओर से नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए थी.
* 30 जून को हुई थी शिंदे की ताजपोशी
महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों की बगावत के बाद महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार पिछले साल जून में गिर गई थी. इसके बाद 30 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इसके खिलाफ उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट गए. मामला पांच जजों की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच को ट्रांसफर हुआ.
* उद्धव गुट की मांग पर कोर्ट ने कहा- अब बहाली कैसे करें?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के आखिरी दिन यानी 16 मार्च को इस बात पर आश्चर्य जताया था कि कोर्ट उद्धव सरकार की बहाली कैसे कर सकता है क्योंकि उद्धव ने फ्लोर टेस्ट के पहले ही इस्तीफा दे दिया था. उद्धव ने अपनी याचिका में मांग की थी कि राज्यपाल का जून 2022 का आदेश रद्द किया जाए जिसमें उद्धव से सदन में बहुमत साबित करने को कहा गया था. इस पर उद्धव गुट ने कहा कि यथा स्थिति (स्टेटस को) बहाल की जाए, यानी उद्धव सरकार बहाल की जाए जैसा कोर्ट ने 2016 में अरुणाचल प्रदेश में नबाम तुकी सरकार की बहाली के ऑर्डर में किया था.
* पांच जजों की बेंच को सौंप दिया केस
23 अगस्त, 2022 को, तत्कालीन उगख एनवी रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली बेंच ने दोनों गुटों की याचिकाओं पर कानून से जुड़े कई प्रश्न तैयार किए थे और केस को पांच जजों की बेंच को रेफर कर दिया था. याचिकाओं में दलबदल, विलय और अयोग्यता जैसे कई संवैधानिक प्रश्न उठाए गए हैं.
* शिंदे और उद्धव की ओर से इन वकीलों ने की पैरवी
मामले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट की ओर से वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल, हरीश साल्वे, महेश जेठमलानी और अभिकल्प प्रताप सिंह ने दलीलें पेश की थीं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में राज्यपाल ऑफिस की पैरवी की. वहीं उद्धव गुट कि तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, देवदत्त कामत और अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने दलीलें पेश कीं.
* सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा- क्या राज्यपाल समर्थन वापस लेने वालों की बात नहीं मान सकते?
सीजेआई चंद्रचूड़ ने उद्धव ठाकरे खेमे के वकील से जानना चाहा था कि क्या राज्यपाल उन सदस्यों की बात नहीं मान सकते जो सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं. सीजेआई ने कहा कि विधायकों का एक गुट था जो तत्कालीन उद्धव सरकार का समर्थन नहीं करना चाहता था. उसे अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है. इससे सदन की स्ट्रेंथ पर असर हो सकता है.
* सिब्बल ने कहा ऐसा तब होता था जब दसवीं अनुसूची नहीं थी
कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि ऐसा तब होता था जब संविधान की दसवीं अनुसूची नहीं होती थी. उन्होंने कहा कि राज्यपाल किसी गुट के की मांग आधार पर विश्वास मत लेने को नहीं कह सकते, क्योंकि विश्वास मत की मांग गठबंधन पर आधारित होती है. महाराष्ट्र में अचानक कुछ विधायकों ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया है. उद्धव गुट ने कहा था कि अगर महाराष्ट्र में शिंदे सरकार चलने दी गई तो इसके देश के लिए दूरगामी परिणाम होंगे. क्योंकि तब किसी भी सरकार को गिराया जा सकता है. उद्धव गुट ने यह भी कहा था कि शिंदे गुट के पास दसवीं अनुसूची के मामले में कोई तर्क नहीं है.
* उद्धव सरकार के साथ नहीं रहना चाहता था शिंदे गुट
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से बहस की. उन्होंने कोर्ट बताया कि शिंदे गुट के विधायकों ने राज्यपाल को लिखा था कि वे उद्धव सरकार के साथ बने रहना नहीं चाहते. इस पर राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहा था.
*शिंदे गुट ने कहा- शक्ति परीक्षण सदन में होता है
शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट के सामने तर्क दिया था कि शक्ति परीक्षण राजभवन में नहीं होता बल्कि सदन के पटल पर होता है. राज्यपाल ने शक्ति परीक्षण का आदेश देकर कुछ भी गलत नहीं किया. शिंदे गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील एनके कौल ने कहा कि राजनीतिक दल और विधायक दल आपस में जुड़े हुए हैं.

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