मेलघाट में भ्रष्ट कारनामों के सबूत छोड गए शिवकुमार व रेड्डी
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वैराट में 25 लाख खर्च कर रेड्डी ने बनवाया रेस्ट हाऊस
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करोडों के काम किये रेड्डी ने पांच वर्षों में
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अनेक काम बगैर वर्कआर्डर के है शुरु
चिखलदरा/दि.5 – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प यानी गैर व्यवहार व भ्रष्टाचार का जंगल है. हरिसाल की वन परिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण की आत्महत्या के बाद अब मेलघाट में चलने वाली अधिकारियों की अंधेरगर्दी और भ्रष्टाचार की पोल खोल हो रही है. दीपाली की आत्महत्या के बाद अब जिला ही नहीं बल्कि समूचे राज्य की नजरें मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प और वहां कर्मचारियों में दहशत मचाने वाले निलंबित उपवन संरक्षक शिवकुमार और उसे बचाने का बार बार प्रयास करने वाले निलंबित क्षेत्र संचालक व अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रीनिवास रेड्डी व्दारा किये गए काले कारनामों पर लगी हुई है. इसी बीच खबर मिली है कि मेलघाट के वैराट में श्रीनिवास रेड्डी ने आरक्षित जंगल में 25 लाख रुपए का आलिशान रेस्ट हाऊस बनवाया था. जहां मनचाहे उस समय शिवकुमार और रेड्डी यह पार्टी मनाया करते थे. वहीं यह भी खबर लगी है कि पिछले 5 वर्षों में श्रीनिवास रेड्डी ने मेलघाट में सेैकडों- करोडों के काम किये है. इनमें से अधिकतर काम बगैर वर्क आर्डर के ही उसने किये है.
जानकारी के अनुसार मेलघाट में श्रीनिवास रेड्डी और उपवन संरक्षक शिवकुमार की काफी दहशत थी. इन दोनों ने चिखलदरा के सटीक वैराट के अति आरक्षित जंगल में वन विभाग के वायरलेस सेट को लगकर मौज मस्ती के लिए तकरीबन 25 लाख रुपए खर्च कर लोहे के एंगल से सुसज्जित ऐेसे 2 सूट बनवाये थे. जिसका शासन तथा प्रशासन और जनता को कोई फायदा नहीं था. वहां जब भी समय मिलता रेड्डी और शिवकुमार पार्टी मनाने जाया करते थे. खबर यह भी है कि इस रेस्ट हाऊस में ज्यादातर शिवकुमार ही रहता था. वहीं यह भी खबर है कि इस रेस्ट हाऊस तक किसी को भी जाने नहीं दिया जाता था. इतना ही नहीं तो एक दिन शिवकुमार ने अपने समकक्ष अधिकारी रेंजर कॉलेज के ओएफओ बहाडे की गाडी इसी जंगल में अडाई और मेरी परमिशन के बगैर जंगल में नहीं जाने की धमकी दी थी. वैराट के कोहा, कुंड यह जंगल का रास्ता जेसीबी के माध्यम से तैयार किया गया. इस रास्ते के लिए 25 किलोमीटर तक की पहाडियां खोदी गई. जिस जंगल में घुमना मना है, हॉर्न बजाना मना है, यहां आने तक पाबंदी है, ऐसे जंगल में 25 किलोमीटर तक का लंबा रास्ता बनाने तकरीबन 6 महिने तक का समय लगा. यह रास्ता बनाने के लिए किसकी परमिशन ली गई, इसकी जांच होना भी अब जरुरी हो चुका है. क्योंकि वन नियमों का कारण बताकर वन विभाग के धामणगांव गडी-चिखलदरा इस रास्ते को पिछले 2 वर्षों से इसी विभाग में अनुमति के लिए रोक रखा है. इस तरह मेलघाट के आरक्षित जंगलों में इन दो अधिकारियों की मनमानी काफी ज्यादा चलती थी.
इसी बीच यह भी खबर मिली है कि श्रीनिवास रेड्डी ने अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में मेलघाट के सैकडों-करोडों के काम किये है, यहां तक कि कई कामों के वर्क ऑर्डर भी नहीं जारी हुए है. खबर यह भी है कि रेड्डी सरकार की ओर से अपने संबंधों के बल पर निधि लाने में काफी माहीर है. इसी कारण वे मेलघाट में काम दिखाकर निधि लाते थे और अपने मर्जी के मेश्राम नामक ठेकेदार के माध्यम से यहां करोडों रुपयों के काम करते थे. अति आरक्षित क्षेत्र में यह काम दिखाए गए. जिसका कोई गवाह न रहने से इनमें भारी अनियमितता होने की बात भी कही जा रही है. विशेष यह कि मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट के जंगलों में सैकडों किलोमीटर की चैनलिंग कंपाउंड का इस्टीमेट निकाला गया. जिसमें ना तो कोई क्वालिटी है ना तो कोई क्वानटीटी है. इस चैनलिंग कंपाउंड, जंगलों में चेक डैम, वन्य प्राणियों के लिए कृत्रिम तालाब आदि काम रेड्डी ने अपने कार्यकाल में मंजूर कराये. इन सभी कामों की जांच हुई तो मेलघाट में इन दोनों भ्रष्ट अधिकारियों के कार्यकाल में हुए कामों की पोल खोल जल्द होगी.