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मानसिक विकृत और स्त्री लंपट है शिवकुमार

चार वर्ष पूर्व एक दिव्यांग कर्मी को बुरी तरह से पीटा था

परतवाड़ा/मेलघाट दि. २७ – हरिसाल में पदस्थ रेंजर दीपाली जनार्दन चौहान की आत्महत्या मामले के प्रमुख अभियुक्त निलंबित उपवनसंरक्षक विनोद शिवकुमार मानसिक विकृत और स्त्री लंपट होने की भी बात सामने आई है. शिवकुमार की हरकतों की फेहरीस्त भी काफी लंबी है. चार साल पहले उसने एक दिव्यांग कर्मी के साथ भी मारपीठ की थी.
यहां बता दें कि, उपवनसरंक्षक विनोद शिवकुमार का गुगामल वन्यजीव विभाग में कार्यकाल कुख्यात ही रहा है.मेलघाट के अधिकांश कर्मचारी शिवकुमार को चमड़ीचोर कहते मिले. एक आइएफएस अधिकारी को बहोत ज्यादा शालीन और जिम्मेदार समझा जाता था.लोगो का भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की ओर देखने का नजरिया ही शिवकुमार ने बदल दिया है.ये कौम तो बहुत ही बदजात निकली.
करीब चार वर्ष पूर्व शिवकुमार परतवाड़ा के सिपना वन्यजीव विभाग में बतौर उपवनसंरक्षक पदस्थ थे.तब भी उनके अंदर की दरिंदगी यहां देखने को मिली.परतवाड़ा के उनके सरकारी बंगले पर एक दिव्यांग वन मजदूर चौकीदार था.नाम है-धर्मेंद्र बेठेकर.बंगले में घुसकर कुछ चोर बाहर पड़ा सामान उठाकर भाग रहे थे तब उस मामले को लेकर शिवकुमार ने बड़ी ही बेरहमी से धर्मेंद्र को मार मार कर अधमरा कर दिया था.इतना ही नही इस कथित भारतीय वन सेवक को गंदी-गंदी गालियां देने में तो आचार्य पदवी मिली हुई है.बेठेकर को भी शिवकुमार ने खूब गालियां दी.उसकी जात पर, माँ-बहनों पर.बेठेकर जितना मार खाने से आहत नही हुआ उससे कई ज्यादा शरीर मे नश्तर समान चुभी गालियों से आहत था.यही वजह भी थी कि वो अपनी शिकायत देने पुलिस स्टेशन परतवाड़ा पहुंच गया.संजय सोलंके जब थानेदार थे और एसडीपीओ का चार्ज प्रोबेशनरी अधिकारी मीणा के पास था.
धर्मेंद्र बेठेकर ने इसी शिवकुमार के खिलाफ अनुसूचित जाति जमाती प्रताड़ना अधिनियम (एट्रोसिटी)की शिकायत दी थी.उसे स्थानीय पुलिस ने एफआइआर की प्रति आज तक नही दी.उसे बताया गया कि केस एट्रोसिटी का है सो,इसकी जांच एसडीपीओ करेंगे.वो जांच आज तक चल ही रही है.बाद में कुछ पुलिस के बंदों ने यह भी बताना शुरू कर दिया था कि शिवकुमार और धर्मेंद्र

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