मुख्य समाचारविदर्भ

शिवशंकरभाऊ पाटील पंचमहाभूत में विलीन

  • बीती शाम 5 बजे हुआ था देहावसान

  •  गजानन भक्तों में शोक की लहर व्याप्त

शेगांव/प्रतिनिधि दि.5 – संत नगरी शेगांव को आध्यात्मिक व धार्मिक वैभव दिलाने के साथ ही पूरे विश्व में शेगांव की ख्याति पहुंचानेवाले कर्मयोगी, ऋषितुल्य व सेवा संत शिवशंकरभाऊ पाटील का कल बुधवार 4 अगस्त की शाम 81 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया. जिसके पश्चात शाम 6.30 बजे बेहद सीमित लोगों की उपस्थिति में उनके पार्थिव पर अंतिम संस्कार किये गये और श्री संत गजानन महाराज संस्थान शेगांव के प्रबंधकीय ट्रस्टी शिवशंकरभाऊ पाटील पंचमहाभूत में विलीन हो गये. उनके निधन का समाचार प्राप्त होते ही संतनगरी शेगांव सहित समूचे विश्व में फैले गजानन भक्तों में शोक की लहर व्याप्त हो गई और जगह-जगह से शिवशंकरभाऊ पाटील को श्रध्दांजलि देने का सिलसिला चल पडा है.
बता दें कि, विगत तीन-चार दिनों से मल्टीऑर्गन फेल्यूअर के चलते शिवशंकरभाऊ पाटील के स्वास्थ्य की स्थिति काफी गंभीर और चिंताजनक थी. किंतु उन्होंने खुद को किसी भी अस्पताल में भरती कराये जाने का सख्त विरोध किया था. जिसके चलते पूरे मेडिकल सेटअप् के साथ उनका उनके निवासस्थान पर ही इलाज चल रहा था. आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति पर काफी गहरा विश्वास रखनेवाले शिवशंकरभाऊ पाटील का अंतिम समय तक आयुर्वेद पध्दति से ही इलाज चला. किंतु बुधवार की शाम 5 बजे उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. पश्चात शाम 6.30 बजे कोविड प्रतिबंधात्मक नियमों का पालन करते हुए उनके पार्थिव का अंतिम संस्कार किया गया. इस समय बुलडाणा जिले के पालकमंत्री डॉ. राजेंद्र शिंगणे, विधायक आकाश फुंडकर तथा पूर्व विधायक दिलीपकुमार सानंदा आदि उपस्थित थे. शिवशंकरभाऊ पाटील के निधन का समाचार मिलते ही राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र की कई गणमान्य हस्तियों ने शोक जताने के साथ ही शिवशंकरभाऊ पाटील को श्रध्दांजलि अर्पित की है.

  •  अमरावती से था पारिवारिक व स्नेहिल संबंध

बता देें कि शिवशंकरभाऊ पाटील के दामाद डॉ. प्रमोद झाडे अमरावती शहर के राजापेठ परिसर स्थित बुटी प्लॉट में रहते है और वे विगत दो-तीन दिनों से शेगांव में ही है. इसके अलावा स्थानीय हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के प्रधान सचिव पद्मश्री प्रा. प्रभाकरराव वैद्य से भी उनके घनिष्ठ संबंध रहे और पद्मश्री वैद्य द्वारा आयोजीत किसान वारकरी सम्मेलन व किसान जागृति अभियान के निमित्त शिवशंकरभाऊ पाटील का हव्याप्रमं में आगमन हुआ था. इसके अलावा हव्याप्रमं की ओर से किसान आत्महत्याओं को रोकने हेतु शुरू किये गये प्रयासों के लिए शिवशंकरभाऊ पाटील ने प्रतिवर्ष 1 लाख रूपये प्रदान करने का दातृत्व भी दिखाया था. इन सब के साथ ही अमरावती में रहनेवाले सभी गजानन भक्तों को वे अपने परिवार का ही हिस्सा मानते थे और गजानन भक्तों के दिल में भी शिवशंकरभाऊ पाटील का आदरयुक्त स्थान रहा.

  • 18 वर्ष की आयु से खुद को किया श्रीं की सेवा में समर्पित

20 वर्षों तक रहे शेगांव संस्थान के अध्यक्ष
शिवशंकरभाऊ के रूप में विख्यात शिवशंकर सुखदेव पाटील का जन्म 12 जनवरी 1940 में हुआ था तथा महज 18 वर्ष की आयु में वे श्रीं के आदेश से शेगांव के गजानन मंदिर प्रबंधन की जिम्मेदारी से जुडे और 31 अगस्त 1962 से उन्होंने श्री संत गजानन महाराज संस्थान के ट्रस्टी के तौर पर काम करना शुरू किया. पश्चात वर्ष 1969 से 1990 तक लगातार 20 वर्ष उन्होंने अध्यक्ष के तौर पर श्री संत गजानन महाराज संस्थान, शेगांव की कमान संभाली और इस समय वे संस्थान के प्रबंधकीय ट्रस्टी पद पर कार्यरत थे. इसी दौरान वर्ष 1974 से 1982 तक वे लगातार शेगांव नगर पालिका के अध्यक्ष के तौर पर भी कार्यरत रहे. वहीं उन्होंने श्री गजानन शिक्षा संस्थान की स्थापना करते हुए शेगांव में श्री संत गजानन महाराज कॉलेज ऑफ इंजिनिअरींग की स्थापना की. महज कक्षा 10 वीं तक शिक्षा प्राप्त शिवशंकरभाऊ पाटील की दूरगामी सोच के चलते शेगांव में न केवल एक नामांकित अभियांत्रिकी कॉलेज शुरू हुआ, बल्कि यहां से हजारों युवा इंजिनिअर बनकर भी निकले. इसके अलावा कर्मयोगी शिवशंकरभाऊ पाटील ने श्री संत गजानन महाराज संस्थान के माध्यम से समाज के समक्ष कई अध्यात्मिक एवं सामाजिक कार्यों की मिसाल भी पेश की.

 

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  •  समर्पित सेवा का मूर्तिमंत उदाहरण थे शिवशंकरभाऊ

एक धार्मिक मंदिर को समाज मंदिर में कैसे तब्दील किया जा सकता है, समाज के लिए बहुआयामी व बहुउद्देशीय उपक्रम चलाते समय व्यवस्थापन में पारदर्शकता कैसे रखी जा सकती है और अनुशासन बध्द व नियोजनबध्द ढंग से आदर्श सेवाकार्य कैसे किये जा सकते है, इसका उदाहरण शेगांव स्थित संत गजानन महाराज संस्थान द्वारा बेहतरीन ढंग से पेश किया गया और यह सबकुछ शिवशंकरभाऊ पाटील के समर्पित सेवाभाव, दूरदृष्टिपूर्ण नियोजन तथा कौशल्यपूर्ण व्यवस्थापन की वजह से साकार हो पाया. शेगांव विकास प्रारूप को साकार करते समय उनके साथ व्यक्तिगत संबंध स्थापित हुए थे, तब उनके द्वारा किये जानेवाले कार्यों को नजदिक से देखने का मौका मिला. शेगांव के साथ ही ओंकारेश्वर, पंढरपुर व त्र्यंबकेश्वर में भाविक श्रध्दालुओं की सुविधा हेतु भक्त निवास का निर्माण करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. अपनी अंतिम सांस तक वारकरी संप्रदाय के अनुशासन का पालन करनेवाले शिवशंकरभाऊ के चले जाने से समाज की एक अपूरणीय हानी हुई है. जिसकी कभी कोई पूर्ति नहीं हो सकेगी. किंतु शिवशंकरभाऊ द्वारा किये गये कार्य और स्थापित आदर्श हमेशा ही हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत का काम करते रहेंगे.

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