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कोई भी बुखार रहें, मरीज की आरटीपीसीआर जांच करना अनिवार्य

  • जिलाधिकारी शैलेश नवाल ने दिए निर्देश

  • जिलाधीश कार्यालय में विविध चिकित्सकों के साथ की गई चर्चा

अमरावती/दि.२१ –  मरीजों को टाइफाइड अथवा किसी भी प्रकार का बुखार आने पर उपचार करते समय मरीज की दो दिनों में आरटीपीसीआर जांच करवा लेनी चाहिए. यदि वह मरीज कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उसका समय पर उपचार कराकर जान बचायी जा सकती है. अनेक मर्तबा देरी से उपचार मिलने पर मरीज की मौत हो जाती है. इसीलिए बुखार की जांच करते समय मरीजों की कोरोना जांच करवा लेनी चाहिए. खासतौर पर ग्रामीण इलाकों के चिकित्सकों ने इसका कडाई से पालन करना चाहिए. यह निर्देश जिलाधिकारी शैलेश नवाल ने दिए. वे जिलाधिकारी कार्यालय में विविध चिकित्सकों के साथ हुई बैठक में बोल रहे थे. इस बैठक में जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी अविशांत पांडा, मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे, डॉ. प्रफुल्ल कडू, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिलीप रणमले, डॉ. जयश्री नांदुरकर, डॉ. अनिल रोहणकर सहित चिकित्सकीय क्षेत्र के मान्यवर मौजूद थे.
ग्रामीण इलाकों के चिकित्सकों से अपील
कोरोना से निपटने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है. इससे पहले शहरी इलाके में यह महामारी ज्यादा थीं. वहीं अब दूसरे चरण में महामारी ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ती जा रही है. इसीलिए ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले चिकित्सकों ने कोई भी बुखार को कोरोना समझना चाहिए. सबसे पहले मरीज को आयसोलेशन में रहने की सलाह दें व इसके बाद उसकी आरटीपीसीआर जांच की जाए. ग्रामीण इलाकों में जनरल प्रैक्टीशनर को मरीज के उपचार को लेकर एजिथ्रोमायसीन, आयवरमैक्टीन, मांटेल्यूकास्ट की दवाईया इस्तेमाल में ला सकते है. यह सूचनाएं डॉ. प्रफुल्ल कडू ने दी.

  • घरेलू उपचार पर निर्भर रहना खतरनाक

नागरिकों को हलका बुखार आने पर भी नजदीकी डॉक्टर के पास जाकर चेकअप करवाना और टेस्ट करवानी चाहिए. घरेलू उपचार पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. यह जानकारी डॉ. अनिल रोहणकर ने दी.

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