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महिलाओं की भूमिका स्वीकार करनेवाले समाज बढे आगे

महिला दिवस पर शहर की अग्रणी कार्यकर्ताओं के विचार

अमरावती/दि. 4- महिला दिवस के उपलक्ष्य में अंबानगरी की अग्रणी महिला कार्यकर्ताओं के विचार प्रकाशित करने का अमरावती मंडल का मानस है. इसी कडी में अनेक महिला कार्यकर्ताओं से बात की तो उन्होंने कहा कि, आधी आबादी के कारण ही जीवन में सहजता, सुंदरता, सलीका रहता है. जिन समाज में महिलाओं की भूमिका स्वीकार की गई है, वह समाज आगे बढे हैं. भारत भी ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यते…’ के विचार में सनातन काल से विश्वास रखता आया है. ऐसे में महिलाओं को अपने-अपने क्षेत्र में आगे लाने का प्रयास सभी को करना चाहिए. महिलाओं द्वारा संचालित संस्थाओं ने बेहतरीन कार्य किए हैं. आज भी महिलाओं के संगठन भली प्रकार कार्यान्वित है.

* मुश्किलों में कभी हार न माने
महिलाएं शारीरिक और मानसिक रुप से मजबूत रहती है. कैसी भी दिक्कते आ जाए वे हार नहीं मानती. संघर्ष तो मानों प्रत्येक महिला ने रचा बसा है. उसी प्रकार महिला वर्ग जमीन पर रहकर काम करता है, वह बहुत सुविधा में इतराती नहीं तो अभावों में भी एडजेस्ट करने में माहिर होती है. आज हम समाज में देखते हैं कि, सभी प्रकार की परिस्थितियों में भी महिलाएं अपने धर्म-कर्म और नित्य नियम के लिए पुरुषों की तुलना में बराबर समय निकाल लेती है. नारी का अस्तित्व सबसे शक्तिशाली है. जमीन पर रहकर वह आसमां से भारी है, उनके होने से ही चलती यह दुनिया सारी है. हमने देखा है कि, महिलाएं भारीभरकम ट्रक चला रही है. आसमान में हवाई जहाज उडा रही है, चिकित्सा क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बहुत है. निष्णांत महिला चिकित्सकों ने क्रांति की है.
– सीमा लड्ढा, अमरावती.


समानता की दिशा में कदम
महिला दिवस मनाने का प्रयोजन यही है कि सशक्तीकरण और समानता की दिशा में कदम बढाया जाए. इस दिवस को मनाने का उद्देश समाज में महिलाओं की भागीदारी स्वीकार करना और उन्हें सदैव आगे बढने के लिए प्रेरित करना है. यह महिला स्वतंत्रता का उत्सव अवश्य है. किंतु केवल उत्सव मनाकर कार्य नहीं चलनेवाला. महिलाओं को विभिन्न क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जाना चाहिए. अब विभिन्न राज्य सरकारें अपनी योजनाओं के नाम पर महिलाओं को आर्थिक मदद कर रही है. किंतु उन्हें उद्योग, कामकाज के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए. उसके लिए आवश्यक सहायता दी जानी चाहिए. महिलाओं को प्रोत्साहन देने पर वे बेहतरीन आंटर प्रेन्योर सिध्द हुई है.
– गायत्री सोमानी,
उपाध्यक्ष माहेश्वरी महिला मंडल

चट्टान सी मजबूत
महिलाएं विविध रूपों में समाज में विचरण करती है. कभी वह किसी की सुपुत्री होती है. फिर बहन होती है. भार्या बनती है, बहू बनती है. भारतीय परिवेश में अपने घर को छोडकर दूसरे घर की शोभा बढाती है. अनेक रूपों में भारतीय नारी अपनी भूमिका बखूबी निभाती आ रही है. यह भी देखा गया है कि कोमल सी महिलाएं कई बार परिस्थिति के अनुरूप अपने को ढाल लेती है. चट्टान सी मजबूत तब वह हो जाती है. ममता का सागर है तो काली का रूप भी लेना उसे पलभर में आता है. आज के दौर को देखते हुए लगता है कि महिलाओं ने अपने परिश्रम, मेधा, प्रतिभा, लगन से विविध क्षेत्र में विविध मुकाम प्राप्त किए हैं. सच यही है कि महिलाओं के कारण ही यह संसार चलता है.
– विद्या दिलीप करवा


महिलाएं दें एक दूसरे का साथ
महिला दिवस मनाने की परंपरा सचमुच सराहनीय है. देखा जाए तो आज प्रसार माध्यमों की बदौलत महिलाओं के पक्ष में बेहतर वातावरण बना है. महिलाओं को भी एक दूसरे का साथ वक्त जरूरत के हिसाब से देना चाहिए. हम सामाजिक संगठन अथवा अन्य किसी संस्था में कार्य करते समय महिलाओं द्बारा कोई जिम्मेदारी लेने पर उसे पूूर्ण करने में एक दूसरे के सहकार्य की अपेक्षा रखते हैं. ऐसे सहकार्य उस कारज अथवा कार्यक्रम को प्रभारी और सफल बना देते हैं. उसी प्रकार हमारे आसपास भी कई नारियां होती है. जो अपने घर परिवार के लिए उद्यम करती है. मेरा मानना है कि ऐसी महिलाओं को भी उनके उद्यम आदि में साथ देना चाहिए.
– कृष्णा राठी,


महिलाओं ने मिलकर किए हैं कमाल
अंबा नगरी में महिला कार्यकर्ताओं ने विभिन्न क्षेत्र में योगदान किया है. छाप छोडी है. अनेक आयोजन महिलाओं ने मिलकर किए. उन्हें चमत्कारीक सफलता प्राप्त हुई. नारियों के समर्पण और योगदान के कारण हाल के वर्षो में देखा गया है कि समाज विशेष का आयोजन हो या कोई धार्मिक कार्यक्रम. महिलाओं की उपस्थिति और सहभाग से ही सफल होते हैं. विशेष रूप से महिला समितियां गठित की जाती है. सगर्व कहना चाहते हैं कि महिलाओं ने भी दी गई जिम्मेदारियों का खूबी से निर्वहन किया है. इसीलिए बहुतेरे आयोजन और उपक्रम सफल हुए हैं. कई उपक्रम उन समाज और क्षेत्र की विशेषता बन गये हैं. नारी दिवस मनाते हुए महिलाओं को एक दूसरे के प्रति सहकार्य की भावना रखना श्रेयस्कर होगा. इससे विनविन सिच्युवेशन होगी. नारी जगत को महिला दिवस की बधाई और शुभकामनाएं.
– उषा करवा, पूर्व अध्यक्ष महिला मंडल


आया है बदलाव, संभलना भी जरूरी
हाल के वर्षो में नानाविध क्षेत्र में नारियों की उपस्थिति बढी है. कम्प्यूटर चलाने से लेकर विमान उडाने तक महिलाएं दिखाई दे रही है. भारत में नारियों की स्थिति में बडा परिवर्तन आया है. ऐसे में देखा गया कि युवतियां, विशेषकर किशोरियां थोडी बोल्ड भी हो गई है. सभी प्रकार के विषयों पर बेबाकी से विचार रखती है. कुछ मामलोें में वे अति कर जाती है. इसलिए नारी दिवस की पूर्व संध्या पर कहना चाहती हूं कि संभलना भी आवश्यक है. समाज में एक नई प्रकार की समस्या नारियों के स्वभाव परिवर्तन को लेकर महसूस की जा रही है. ऐसे में उन- उन घरों की महिलाओं की जिम्मेदारी बढ गई है. उन्हें अपने घर की छोटी उम्र की महिला सदस्यों को समय रहते आगाह करना चाहिए.
– कविता मोहता

 

 

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