तबादले के लिए दिव्यांग बने शिक्षकों की विशेष समिति करेंगी जांच
कई शिक्षकों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खुदको दिव्यांग दिखाकर करवाए है तबादले
अमरावती/दि.20 – जिलांतर्गत व आंतरजिला तबादला प्रक्रिया में अपने सुविधाजनक स्थान पर तबादला व पद स्थापना प्राप्त करने हेतु कई शिक्षकों ने फर्जी तरीके से दुर्धर बीमारियों व अपंगत्व के प्रमाणपत्र का सहारा लिया था. यह सनसनीखेज मामला सामने आते ही संभागीय आयुक्त ने ऐसे मामलों की तुरंत जांच करने हेतु विशेष समिति गठित गठित करते हुए 15 दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने का आदेश संभाग के सभी जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के नाम जारी किया है.
बता दें कि, शिक्षकों के आंतरजिला व जिलांतर्गत तबादलों के विशेष संवर्ग भाग-1 में दिव्यांग एवं विविध गंभीर बीमारियों से ग्रस्त शिक्षकों तथा संवर्ग-2 में पति-पत्नी एकत्रिकरण का समावेश होता है. ऐसे में कई शिक्षकों ने फर्जी तरीके से दस्तावेज दिखाते हुए खुद को दिव्यांग एवं गंभीर बीमारियों से ग्रस्त दिखाया और विशेष संवर्ग भाग-1 के तहत अपना तबादला करवाया. इस आशय की शिकायत करते हुए प्रहार शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष महेश ठाकरे ने ऐसे सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करने के साथ ही उनके बीमार व दिव्यांग रहने की भी वैद्यकीय जांच कराए जाने की मांग एक निवेदन सौंपकर संभागीय राजस्व आयोग से की थी. इस शिकायत को गंभीरता पूर्वक लेते हुए संभागीय राजस्व आयुक्त डॉ. निधि पाण्डेय ने संभाग के सभी जिप सीईओ को विशेष समिति के जरिए मामले की जांच करने और 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किए है.
उल्लेखनीय है कि, शिक्षकों की जिलांतर्गत तबादला प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है और तबादला किए गए शिक्षकों को इस सत्र के अंत में यानि मई 2023 के दौरान कार्यमुक्त व नये स्थान पर नियुक्त किया जाएगा. परंतु इससे पहले इन सभी शिक्षकों के साथ ही आंतरजिला तबादले में संवर्ग-1 के तहत तबादला होकर आए शिक्षकों के दस्तावेजों के साथ ही उनके अपंगत्व व बीमारी की वैद्यकीय जांच की जाएगी. जिसमें कोई भी गडबडी पाए जाने पर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. आरोप व शिकायत के मुताबिक फर्जी तरीके से खुदको दिव्यांग व गंभीर ुरुप से बीमार दिखाकर तबादला प्राप्त करने वाले शिक्षकों की वजह से असली दिव्यांग व सच में बीमार रहने वाले शिक्षकों पर अन्याय हुआ है. जिसे दूर करने हेतु प्रहार शिक्षक संगठन ने संभागीय आयुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई थी.