परतवाड़ा/मेलघाट दि.5 – हरिसाल के गुगामल वन्यजीव विभाग में पदस्थ रेंजर दीपाली चौहान की आत्महत्या मामले में मुख्य अभियुक्त निलंबित उपवनसंरक्षक विनोद शिवकुमार के साथ ही सहआरोपी बनाये गए टाइगर प्रोजेक्ट के ससपेंड फील्ड डायरेक्टर श्रीनिवास रेड्डी की जमानत याचिका आज अदालत ने खारिज कर दी है.दो दिन पूर्व रेड्डी के वकील ने जमानत देने के लिए स्थानीय अतिरिक्त सत्र न्यायालय में आवेदन दाखिल किया था.जमानत आवेदन पर ‘ से ‘ के लिए आज 5 मई तक का वक्त दिया गया था.आज ही मामले की सुनवाई भी की जानी थी.
शिवकुमार की बडाली जेल रवानगी के बाद 29 अप्रैल को पुलिस रेड्डी को नागपुर से गिरफ्तार कर धाराणी पहुंची थी.धारणी कोर्ट ने रेड्डी को दो दिन पीसीआर ने रखने का आदेश दिया था.1 मई को रेड्डी को न्यायिक हिरासत में भेजने की बात खुद सरकारी वकील द्वारा कोर्ट से कही गई थी.कोई युक्तिवाद नही किया गया.कोर्ट ने रेड्डी को मध्यवर्ती कारागृह भेजने का आदेश दिया था.
आज स्थानीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मुंगीनवार की अदालत में रेड्डी की जमानत पर दोनों पक्षो की दलीलें सुनने के बाद न्यायधीश ने जमानत याचिका रद्द करने का फैसला सुनाया.
सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता परीक्षित गणोरकर ने पैरवी की थी.सहायक शासकीय अधिवक्ता भोला चौहान, डि. ऐ. नवले और विचोरे ने डीजीपी को सहयोग किया.
सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आरोपी रेड्डी यह एक रसूखदार आयएफएस अधिकारी है,वो अपनी पोस्ट और धनशक्ति का गैरवाजिब उपयोग कर सकता.यदि उसे जमानत दी गई तो वो सबूत मिटाने और गवाहों को डराने-धमकाने का कार्य भी करेंगा.जमानत देने पर रेड्डी द्वारा अपराध से जुड़े तथ्य मिटाने की कोशिश की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.
अदालत को यह भी बताया गया कि दीपाली मामले में पूरे एक वर्ष के घटनाक्रम की जांच पुलिस को करनी है.यह जांच 30-35 दिन में संभव नही है,इसे ज्यादा समय लगेगा. निष्पक्ष जांच के लिए रेड्डी को जेल से बाहर नहीं रखा जा सकता.मृत्यु पूर्व दीपाली की लिखी चिट्ठी में भी रेड्डी को बराबरी का ही दोषी बताया गया है.
न्यायाधीश महोदय ने सभी तर्क सुनने के बाद रेड्डी को जमानत देने से इंकार कर दिया.रेड्डी की ओर से एड दीपक वाधवानी ने युक्तिवाद किया था.