श्रीनिवास रेड्डी का निलंबन तीन माह के लिए बढा
दीपाली चव्हाण आत्महत्या मामले में किया गया था रेड्डी को निलंबीत
अमरावती/प्रतिनिधि दि.29 – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत हरीसाल वन परिक्षेत्र की वनपरिक्षेत्राधिकारी दीपाली चव्हाण के आत्महत्या मामले में निलंबीत किये गये अमरावती के प्रादेशिक वन संरक्षक तथा मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र संचालक श्रीनिवास रेड्डी के निलंबन की कालावधि को तीन माह के लिए आगे बढा दिया गया है. रेड्डी की निलंबन अवधि 30 सितंबर को खत्म होनेवाली थी. इससे पहले वन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में विगत दिनों हुई समीक्षा बैठक में रेड्डी की निलंबन अवधि को तीन माह के लिए आगे बढाने का निर्णय लिया गया. ऐसे में दीपाली चव्हाण के परिजनों को अब न्याय मिलने की उम्मीद बढ गई है.
बता दें कि, विगत फरवरी माह के दौरान वन परिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण ने हरिसाल स्थित अपने सरकारी आवास पर खुद को अपनी सर्विस रिवॉल्वर से गोली मार दी थी. आत्महत्या करने से पहले लिखी गई चिठ्ठी में दीपाली चव्हाण ने उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार द्वारा की जाती शारीरिक व मानसिक प्रताडना तथा इस संदर्भ में बार-बार शिकायत दिये जाने के बावजूद मुख्य वनसंरक्षक श्रीनिवास रेड्डी द्वारा की जाती अनदेखी का उल्लेख किया था. जिसके पश्चात उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार को गिरफ्तार करने के साथ ही श्रीनिवास रेड्डी को पद से निलंबीत कर दिया गया था. रेड्डी के निलंबन की अवधि आगामी 30 सितंबर को खत्म होनेवाली थी. इस बात के मद्देनजर वनविभाग के ही कई अधिकारियों ने रेड्डी का निलंबन रद्द नहीं किये जाने की मांग उठायी थी. साथ ही कहा था कि, निलंबन रद्द होने के बाद रेड्डी को पदस्थापना मिलेगी और इस मामले की जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा, क्योंकि न्यायालय द्वारा रेड्डी को पहले ही क्लिनचिट दी जा चुकी है. जबकि मामले की जांच कर रही आईपीएस अधिकारी डॉ. प्रज्ञा सरवदे की जांच रिपोर्ट में रेड्डी की भुमिका को लेकर गंभीर आपत्तियां दर्ज करायी गई है. जिसके आधार पर मंत्रालय से आरोपपत्र जारी हुआ. किंतु इसके बाद भी जांच अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई. साथ ही वनबल प्रमुख द्वारा गठित समिती की अंतिम रिपोर्ट भी सामने नहीं आयी है. ऐसे में कहा जा रहा है कि, इन दोनों जांच समितियों की रिपोर्ट को जानबूझकर लटकाकर रखा जा रहा है, ताकि रेड्डी का निलंबन खत्म होकर उसे दुबारा नियुक्ति मिलने की राह आसान की जा सके.