अमरावती सहित १२ जिलों में बनेंगे अत्याधूनिक पशु चिकित्सालय
सीएम उध्दव ठाकरे ने जारी किया आदेश
-
वन्यजीव मंडल सदस्य यादव तरटे ने रखा था सीएम के समक्ष प्रस्ताव
अमरावती प्रतिनिधि/दि.१० – जख्मी रहनेवाले पशु-पक्षियों का बेहतरीन तरीके से इलाज हो और उनकी जान बचायी जा सके, इस हेतु अमरावती सहित राज्य के अन्य सभी स्थानों पर अत्याधूनिक चिकित्सा साधन सामग्री व सेवा उपलब्ध रहनेवाले पशु चिकित्सालय शुरू किये जाने चाहिए. इस आशय की मांग अमरावती के वन्यजीव अभ्यासक तथा महाराष्ट्र राज्य वन्यजीव मंडल के नवनियुक्त सदस्य यादव तरटे ने हाल ही में हुई मंडल की बैठक में सीएम उध्दव ठाकरे के समक्ष रखी थी. जिस पर सकारात्मक ढंग से विचार करते हुए सीएम उध्दव ठाकरे ने राज्य में ११ स्थानों पर अत्याधूनिक पशु चिकित्सालय शुरू करने के संदर्भ में आदेश जारी किया. बता दें कि, महाराष्ट्र वन्यजीव मंडल की १५ वीं बैठक विगत ७ अगस्त को आयोजीत की गई थी. जिसमें सीएम उध्दव ठाकरे ने ऑनलाईन तरीके से हिस्सा लिया तथा मंडल के विदर्भ क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले सभी सदस्य नागपुर से इस बैठक में शामिल हुए. करीब एक वर्ष बाद हुई इस बैठक में अमरावती जिले से संबंधित अत्याधूनिक पशु चिकित्सालय सहित पेंच व मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प को जोडनेवाले महेंद्री जंगल को अभयारण्य घोषित करने की मांग सीएम ठाकरे के सामने रखी गयी. साथ ही कहा गया कि, यदि इस जंगल को अभयारण्य घोषित किया जाता है, तो यहां पर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते है. साथ ही ५ से १२ नवंबर तक राज्य में पक्षी सप्ताह मनाये जाने की मांग भी यादव तरटे ने इस बैठक में रखी. इस समय विषय की गंभीरता एवं जरूरत को देखते हुए सीएम उध्दव ठाकरे ने राज्य में अमरावती सहित नागपुर, चंद्रपुर, गडचिरोली, यवतमाल, औरंगाबाद, धुलिया, नासिक, ठाणे, पुणे व कोल्हापुर इन जिलों में अत्याधूनिक पशु चिकित्सालय शुरू करने हेतु तमाम बातों का अध्ययन कर प्रस्ताव पेश करने का निर्देश जारी किया. इसके अलावा विदर्भ क्षेत्र के चंद्रपुर एवं मेलघाट क्षेत्र में बाघों का अधिवास क्षेत्र है और अनेकों बार इन क्षेत्रों में बाघ एवं इंसानों के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है. इसे टालने हेतु पर्याय सुझाने के लिए अध्ययन करने हेतु एक समिती स्थापित करने का निर्णय भी इस बैठक में लिया गया. इस समिती द्वारा जारी की जानेवाली रिपोर्ट के आधार पर सरकार द्वारा आवश्यक निर्णय लिये जायेंगे.
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प से रेलवे को बाहर करने पर डेढ सौ गांवों को होगा फायदा
इस बैठक में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प से होकर गुजरनेवाली अकोला-खंडवा रेल लाईन को लेकर भी चर्चा हुई. जिसमें कहा गया कि, यदि इस रेललाईन का विस्तारीकरण करते समय इसे मेलघाट से बाहर ले जाया जाये, तो क्षेत्र के करीब डेढ सौ गांवों को इसका फायदा होगा, क्योंकि मेलघाट अभयारण्य में रहनेवाले कई गांवों को यहां से पुनर्वसित कर दिया गया है और अब जंगल के भीतर रहनेवाले पुराने गांवों में कोई नहीं रहता. साथ ही यदि यह रेल लाईन जंगल परिसर से होकर गुजरती है, तो इससे जंगल परिसर में रहनेवाले बाघों एवं अन्य वन्यप्राणियों के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है. साथ ही यहां पर वन्यजीव तस्करों व शिकारियों की आवाजाही भी हो सकती है. ऐसे में यह ज्यादा बेहतर रहेगा कि, अकोला-खंडवा रेललाईन को ब्रॉडगेज में परिवर्तित व विस्तारित करते समय इसे घने जंगलों से होकर न गुजारा जाये.