
मुंबई/दि.19- विधाकय फंड वितरण संदर्भ में उच्च न्यायालय ने अंतरिम रोक आगामी जून तक कायम रखने से शिंदे सरकार को झटका लगा है. न्यायालय के आदेश उपरांत सरकार व्दारा दाखिल दो प्रतिज्ञापत्र की दखल न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी तथा न्यायमूर्ति आर.एम. लढ्ढा की खंडपीठ ने ली एवं याचिका की सुनवाई आगामी 13 जून तक मुलतवी कर दी.
सत्तारुढ और विपक्ष के विधायकों की निधि में भारी अंतर रहने का आरोप विधायक रवींद्र वायकर ने एड. सिद्धसेन बोरुलकर के जरिए उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की. याचिका पर उपरोक्त खंडपीठ के सामने बुधवार को सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई के समय राज्य सरकार के प्रतीज्ञापत्र की खामियों का उल्लेख करते हुए नाराजगी जताई गई थी. उसके अनुसार महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने मुंबई उपनगर नियोजन अधिकारी और शहरी विकास विभाग उपसचिव के दो हलफनामे कोर्ट में प्रस्तुत किए गए. एड. बोरुलकर ने इन पर जोरदार आक्षेप लिया.
पुराने प्रतिज्ञापत्र में जिला नियोजन अधिकारी के राजकीय बयान हटाए गए है. बाकी ब्यौरा पुराना ही है. फार्मेट बदला गया है. इस ओर कोर्ट का ध्यान दिलाते हुए नए प्रतिज्ञापत्र की खामिया दिखाने का उन्होंने प्रयास किया. किंतु पर्याप्त समय नहीं होने से खंडपीठ ने सुनवाई शुरु रखने में समर्थता दर्शायी. याचिका पर सुनवाई जून तक स्थगित करते हुए फंड वितरण का स्टे कायम रखा.