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सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ विद्यार्थियों को दी जाये शिक्षा

ख्यातनाम समाजसेविका मेघा पाटकर का कथन

  • मिशन आईएएस के कार्यों की प्रशंसा की

  • मंगरूल चव्हाला की प्रश्नचिन्ह शाला को दी सदिच्छा भेट

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२३ – विद्यार्थियों की पढाई-लिखाई जारी रहते समय उन्हें शिक्षा के साथ ही सामाजिक जिम्मेदारियों का भी ऐहसास कराया जाना चाहिए, ताकि वे समाज के अंतिम घटकों के लोगोें हेतु अपनी शक्ति के अनुसार काम करे. यदि हर किसी ने अपने-अपने हिस्से की थोडी-थोडी जिम्मेदारी भी उठा ली तो उपेक्षितों व आदिवासियों के जीवन से अंधेरे को दूर किया जा सकता है. ऐसे में अमरावती की मिशन आईएएस संस्था द्वारा विद्यार्थियों को बचपन से ही स्पर्धा परीक्षा के लिए तैयार करने का उपक्रम बेहद शानदार है और जल्द ही राज्य के सभी आदिवासी क्षेत्रोें में मिशन आईएएस चलाया जायेगा. इस आशय का प्रतिपादन ख्यातनाम समाजसेविका व नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेघा पाटकर द्वारा किया गया.
गत रोज अमरावती जिला अंतर्गत नांदगांव खंडेश्वर तहसील की मंगरूल चव्हाला स्थित प्रश्नचिन्ह नामक घुमंतू समुदाय के विद्यार्थियों की शाला के वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेने हेतु मेघा पाटकर अमरावती जिले के दौरे पर आयी थी. इस समय उन्होंने डॉ. पंजाबराव देशमुख आईएएस अकादमी के कार्यालय को भेट देते हुए मिशन आईएएस के कार्यों की प्रशंसा की. इस समय शहर के ख्यातनाम कान, कान व गला विशेषज्ञ तथा अंधश्रध्दा निर्मूलन समिती के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. बबन बेलसरे ने मेघा पाटकर का स्वागत किया. साथ ही प्रा. डॉ. नरेशचंद्र काठोले ने उन्हें ‘शेतकर्‍यांची मुले झालीत कलेक्टर’ (किसानों के बच्चे बने कलेक्टर) नामक किताब भेंट दी. साथ ही मिशन आईएएस की सभी किताबों का एक संच आदिवासी क्षेत्र के विद्यार्थियों हेतु दिये जाने का संकल्प भी घोषित किया गया. इस समय कक्षा 2 री में पढनेवाले अर्णव हेमंत चांडक ने एक सुंदर भाषण देकर सभी का ध्यान आकर्षित किया. करीब दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम में मेघा पाटकर ने स्पर्धा परीक्षाओं की तैयारी करनेवाले विद्यार्थियों से सरदार सरोवर नर्मदा बचाओ आंदोलन व दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा की और विद्यार्थियों के सवालों का जवाब भी दिया. इस बातचीत के दौरान इन दिनों सामाजिक कार्यकर्ताओं पर जिस तरह से अन्याय हो रहा है और उनकी आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, उस पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए मेघा पाटकर ने कहा कि, भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां पर लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं व मूल्यों का कडाई के साथ पालन होना ही चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि, वे जो काम कर रही है, उसमें सभी युवाओं द्वारा अपने-अपने स्तर पर सहभाग लिया जाये. इस समय उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि, नंदूरबार जिले में व्यापारियों द्वारा आदिवासियों से पांच रूपये प्रति किलो की दर पर सीताफल खरीदे जाते थे. किंतु वहीं सीताफल उनके कार्यकर्ताओं द्वारा पुणे में 25 रूपये प्रति किलो की दर से बेचे गये. जिससे आदिवासियों को बडे पैमाने पर फायदा हुआ. यह काम यद्यपि देखने में छोटा दिखाई देता है, किंतु ऐसे ही छोटे-छोटे कामों से आदिवासियों के जीवन में बडे पैमाने पर सुधार लाया जा सकता है. अत: ऐसे प्रयास हर स्तर पर होने चाहिए.
करीब दो घंटे चले इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मिशन आईएएस की संचालिका प्रा. विद्या काठोले ने की और इस आयोजन के दौरान मेघा पाटकर का विभिन्न संस्थाओं के जरिये स्वागत किया गया. इस अवसर पर मिशन के जनसंपर्क अधिकारी रविंद्र दांडगे, प्रा. पल्लवी वेरूलकर, प्रदीप कोठारी, विनायक लांजेवार, निलेश बहिरे, प्रवीण वासनिक, रेखा पिंपराले, मिनल चांडक, हेमंत चांडक, आकाश बजाज, आर्यन राजकुमार, प्रशांत भाग्यवंत व ईशा बानुबाकोडे आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे. साथ ही इस कार्यक्रम में नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता लतीका राजपुत भी उपस्थित थी. सबसे विशेष उल्लेखनीय यह रहा कि, मेघा पाटकर ने मंच पर स्थित अपनी कुर्सी छोडते हुए विद्यार्थियों के बीच जाकर जमीन पर बैठकर उनके साथ विविध प्रश्नों को लेकर चर्चा की और विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब भी दिया. ऐसे में मेघा पाटकर को अपने बीच पाकर विद्यार्थी भी काफी उत्साहित दिखे.

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