राज्य सरकार की गलती से सुको ने दिया एकतरफा निर्णय
गोवारी समाज बंधूओं ने जतायी नाराजगी
अमरावती/दि.१९ – गोवारी समाज आदिवासी नहीं है, ऐसे में उनको अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाणपत्र व संबंधित लाभ नहीं दिया जा सकता. इस आशय का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के न्या. अशोक भूषण, न्या. आर.सुभाष रेड्डी व न्या.एम.आर. शाह की खंडपीठ द्वारा दिया गया है. इस फैसले को लेकर जिले के आदिवासी गोवारी समाज बंधूओं में नाराजगी देखने को मिल रही है. समाज बंधूओ ने सुको के निर्णय को एकतरफा बताया है और इस फैसले पर पुर्नविचार करने की मांग की गई है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने १८ दिसंबर को गोवारी समाज यह आदिवासी नहीं होने का निर्णय दिया है. राज्य सरकार की गलतियों का खामियाजा गोवारी समाज को भुगतना पड़ेगा. इस निर्णय से गोवारी समाज को सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा. मूलत गोंड गोवारी समाज नहीं होने का आरोप गोवारी समाज ने लगाया है. आजादी पूर्व दौर से गोवारी समाज का पंजीयन होने पर भी इस समाज के साथ जातिगत राजनीति कर अन्याय किया जा रहा है. इसीलिए इस फैसले पर पुर्न विचार करने की मांग आदिवासी गोवारी युवा शक्ति संगठन के राज्य संगठन मोहन राऊत, तहसील सचिव नीलकंठ सोनोने व तहसील उपाध्यक्ष प्रवीण चौधरी ने किया है.