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सुपर कोविड अस्पताल का पूरा हुआ एक साल

  • 15 बेड के साथ शुरू हुआ था सफर

  • आज 450 बेड की क्षमता

  • सेंट्रल ऑक्सिजन के 250 पॉईंट

  • 100 बेड ऑक्सिजन सिलेंडर की सुविधायुक्त

  • 200 लोगों का स्टाफ दिन-रात लगा है सेवा में

  • अब तक करीब 23 हजार मरीजों की जिंदगियां बचायी गयी

अमरावती/प्रतिनिधि दि.24 – विगत वर्ष मार्च माह में जब देश के विभिन्न हिस्सों में कोविड वायरस के संक्रमण की महामारी फैल रही थी, तब भले ही अमरावती शहर व जिला इस महामारी से अछूता था, लेकिन संभावित खतरे को देखते हुए स्थानीय जिला व स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा तमाम ऐहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिये गये थे और कोरोना के संभावित मरीजों को भरती करने और उन्हें इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक तैयारियां शुरू की गई थी. जिसके तहत 25 मार्च 2020 को सुपर स्पेशालिटी अस्पताल के दूसरे चरण हेतु बनायी गयी नई इमारत में सरकारी कोविड अस्पताल शुरू किया गया था. उस वक्त इस इमारत की चौथी मंजील पर 15 बेड का कोविड वॉर्ड और 18 बेड का सारी वॉर्ड शुरू किया गया था. जहां पर आज आयसीयू-1 व आयसीयू-2 सहित आयसीयू-3 का संचालन हो रहा है. साथ ही अब इस इमारत की चारों मंजीलों पर कोविड संक्रमित मरीज भरती किये जाते है. जहां पर मरीजों को भरती करने हेतु 450 बेड की व्यवस्था है. जिसमें से 250 बेड को सेंट्रल ऑक्सिजन पॉईंट से जोडा गया है. वहीें 100 बेड के साथ ऑक्सिजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई है.
बता दें कि, गत वर्ष जैसे ही समूचे देश में कोविड वायरस का संक्रमण फैलना शुरू हुआ, तो सरकार एवं स्वास्थ्य महकमे सहित आयसीएमआर की ओर से प्राप्त दिशानिर्देशों के तहत स्थानीय जिलाधीश शैलेश नवाल तथा जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम द्वारा अमरावती में जहां एक ओर यह प्रयास शुरू किये गये कि, शहर सहित जिले में कोविड का संक्रमण न फैले. वहीं दूसरी ओर तमाम प्रयासों के बावजूद कोविड संक्रमण की चपेट में आनेवाले मरीजों को भरती करने और उन्हेें इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु व्यवस्था करने के बारे में भी विचार-विमर्श शुरू किया गया है. इसके तहत सबसे पहले जिला सामान्य अस्पताल के सामने स्थित नर्सिंग स्कुल को कोविड हॉस्पिटल के रूप में परिवर्तित करने का विचार किया गया. लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों को देखते हुए यह प्रस्ताव तुरंत ही खारिज कर दिया गया. जिसके बाद सुपर स्पेशालीटी अस्पताल परिसर में कार्डियाक व न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट हेतु बनायी गयी और फिलहाल खाली पडी चार मंजिला नई इमारत में सरकारी कोविड अस्पताल शुरू करने का निर्णय 20 मार्च को लिया गया और इस संदर्भ में जिलाधीश शैलेश नवाल ने अपना अधिकारिक आदेश जारी किया.

  •  इमारत की धुलाई व सफाई में लगे सात दमकल वाहन

चूंकि सुपर स्पेशालीटी अस्पताल की यह नई ईमारत लंबे समय से खाली पडी थी और इसकी निचली मंजील के एक हिस्से में सुपर स्पेशालीटी अस्पताल का मेडिकल स्टोर चलाया जाता था. ऐसे में उपरी मंजीलों में काफी धुल व गंदगी जमा थी. साथ ही बडे पैमाने पर मकडी के जाले लगे हुए थे. ऐसे में यहां पर कोविड हॉस्पिटल शुरू करने के लिए सबसे पहले पूरी इमारत की साफ-सफाई करना बेहद जरूरी था. जिसके चलते प्रशासन द्वारा दमकल विभाग को इस पूरी इमारत की धुलाई व सफाई करने का निर्देश दिया गया और करीब सात दमकल वाहनोें द्वारा इस इमारत के भीतरी व बाहरी हिस्सों को पानी की बौछार मारते हुए साफ किया गया.

  • डॉ. भिलावेकर व डॉ. रवि भूषण ने संभाली कमान

नई इमारत की पूरी तरह साफ-सफाई होने के बाद जिलाधीश शैलेश नवाल के निर्देश, जिला शल्यचिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम के मार्गदर्शन तथा सुपर स्पेशालीटी अस्पताल के वैद्यकीय अधिक्षक डॉ. भिलावेकर की देखरेख में निवासी वैद्यकीय अधिकारी के तौर पर डॉ. रवि भूषण ने इस सरकारी कोविड अस्पताल का जिम्मा संभाला और इस इमारत की चौथी मंजील पर कोविड संक्रमित मरीजों को भरती करने हेतु 15 बेड का आयसीयू 25 मार्च 2020 को अधिकारिक रूप से शुरू किया गया. जहां पर सेंट्रलाईज्ड ऑक्सिजन पॉइंट की व्यवस्था भी तुरंत ही की गई. साथ ही साथ चौथी मंजील पर ही एक अन्य कक्ष में सारी संक्रमित मरीजों को भरती करने हेतु 18 बेड का वॉर्ड शुरू किया गया. जहां पर ऑक्सिजन सिलेंडर की व्यवस्था की जाती थी. इस समय इस इमारत की निचली मंजील पर स्थित मेडिकल स्टोर को पुरानी बिल्डींग में शिफ्ट करते हुए ग्राउंड फ्लोअर को पूरी तरह से खाली करा लिया गया. साथ ही पहली मंजील पर कोरोंटाईन सेंटर बनाया गया और दूसरी मंजील पर सौम्य लक्षणवाले एसिम्टोमैटिक मरीजों को भरती करने की व्यवस्था की गई. साथ ही तीसरी मंजील को उस समय खाली रखा गया था. जहां पर भविष्य की जरूरतों के लिहाज से व्यवस्था करने की तैयारी की गई थी.

  • शुरूआत में थे केवल 5 वेंटिलेटर, आज 90

यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, सुपर कोविड अस्पताल को शुरू करते समय यहां पर केवल 5 वेंटिलेटर ही उपलब्ध थे. ऐसे में किसी भी संभावित स्थिति से निपटने हेतु शहर के कुछ निजी अस्पतालों से दस वेंटिलेटर कुछ समय के लिए उधार मांगे गये थे. पश्चात सरकार एवं प्रशासन द्वारा कोरोना मरीजों की बढती संख्या के मद्देनजर सभी स्वास्थ्य सुविधाओें को विस्तारित किया गया. जिसके चलते आज सुपर स्पेशालीटी अस्पताल के पास अपने खुद के 90 वेंटिलेटर है. जिसमें से 80 वेंटिलेटर इसी अस्पताल में प्रयोग में लाये जा रहे है. वहीं 10 वेंटिलेटर शहर के कुछ निजी कोविड अस्पतालों को जरूरत के लिहाज से उधार दिये गये है. यानी जिस सरकारी कोविड अस्पताल को शुरूआती दौर में अपना काम चलाने हेतु वेंटिलेटर उधार लेने पडे थे, आज वहीं सरकारी कोविड अस्पताल निजी कोविड अस्पतालों को वेेंटिलेटर उपलब्ध कराने की स्थिति में है.

  • ऑक्सिजन प्लांट बना वरदान

3 अप्रैल को अमरावती में कोविड का पहला मरीज पाया गया था. जिसके बाद कोविड संक्रमितों की संख्या लगातार बढती ही गई और जुलाई माह के बाद सितंबर माह आते-आते संक्रमण को लेकर हालात काफी विस्फोटक हो गये थे. उस समय कई कोविड संक्रमित मरीजों को आयसीयू में रखने के साथ ही वेंटिलेटर लगाने की भी जरूरत पड रही थी. जिसकी वजह से बडे पैमाने पर कृत्रिम ऑक्सिजन के सिलेंडरों की आवश्यकता पड रही थी. उस दौरान कुछ समय तक आपूर्ति एवं मांग का संतुलन गडबडा गया था और ऑक्सिजन सिलेंडरों की किल्लत पैदा होने लगी थी. ऐसे में स्थानीय प्रशासन द्वारा मौजूदा समय की जरूरतों को पूर्ण करने के साथ-साथ भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुपर स्पेशालीटी अस्पताल में लिक्वीड ऑक्सिजन का टैंक स्थापित करने का निर्णय लिया गया और सितंबर माह में यहां पर 21 केएल की क्षमतावाला लिक्वीड ऑक्सिजन टैंक स्थापित किया गया. जिसमें करीब साढे तीन हजार सिलेंडर के बराबर लिक्वीड ऑक्सिजन एक समय में भरा जा सकता है. यह टैंक लगाये जाने के साथ ही सुपर कोविड अस्पताल के आयसीयू कक्षों को सेंट्रलाईज्ड ऑक्सिजन सप्लाई से जोड दिया गया. ऐसे में अब बार-बार ऑक्सिजन सिलेंडर लाने-ले जाने और उन्हें ढोने तथा बदलने जैसे कामों से छूटकारा मिल गया है. यह ऑक्सिजन टैेंक कोविड संक्रमितों के इलाज के लिहाज से तो वरदान साबित हुआ ही है, लेकिन यह भविष्य में भी काफी उपयोगी साबित होगा. क्योंकि इसी नई इमारत में कार्डियाक व न्यूरो सर्जरी विभाग शुरू किये जायेंगे. जहां पर ऑक्सिजन गैस की बजाय लिक्वीड ऑक्सिजन को ही ज्यादा कारगर व फायदेमंद माना जाता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान सरकारी कोविड अस्पताल में लिक्वीड ऑक्सिजन का टैंक स्थापित करते हुए स्थानीय प्रशासन द्वारा एक बेहद दूरदर्शी निर्णय लिया गया. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि समूचे विदर्भ क्षेत्र में अमरावती का सुपर कोविड अस्पताल ही एकमात्र सरकारी कोविड अस्पताल है. जहां पर लिक्वीड ऑक्सिजन टैंक की सुविधा उपलब्ध है. साथ ही साथ यह एकमात्र ऐसा अस्पताल भी है, जो पूरी तरह से एक नई व स्वतंत्र इमारत में शुरू किया गया है और यहां भरती होनेवाले मरीजों की वजह से अस्पताली की दूसरी बिल्डींग के मरीजों का आपस में कोई संपर्क नहीं आता.

  •  200 समर्पित कोविड योध्दाओं की फौज कर रही काम

विगत 25 मार्च 2020 को जब सुपर कोविड हॉस्पिटल की शुरूआत हुई थी, तब यहां पर इर्विन व डफरीन तथा धारणी के उपजिला अस्पताल से डेप्युटेशन पर डॉक्टरों को लाया गया था. जिन्होंने सुपर कोविड हॉस्पिटल के इंचार्ज डॉ. रवि भूषण की अगुआई में काम करना शुरू किया था. उस समय सिस्टर वर्षा पागोटे व सिस्टर ललीता अटालकर ने नर्सिंग सर्विस का जिम्मा संभाला था. ये दोनों सिस्टर आज एक वर्ष बाद भी सुपर कोविड अस्पताल में अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी संभाल रही है. साथ ही साथ विगत एक वर्ष से डॉ. निलेश पाटील, डॉ. वैभव पाटील, डॉ. अश्विनी मडावी, डॉ. मिथिला गावंडे, डॉ. गौरी पाटील, डॉ. सचिन भलावी, डॉ. मिथिला वानखडे, डॉ. सोनू शेटी, डॉ. सागर बायस्कर, डॉ. स्वानंद लुंगे, डॉ. प्रतीक्षा, डॉ. शशांक, डॉ. सोहेल व डॉ. सलमान कोविड संक्रमित मरीजों के इलाज में दिन-रात जुटे हुए है. इसके साथ ही यहां पर करीब 100 लोगोें का नर्सिंग एवं 75 लोगों का मेडिकल व साफ-सफाई स्टाफ उपलब्ध है, जो अपने प्राणों की जोखिम उठाकर कोरोना संक्रमितों का इलाज और सेवा कर रहे है. इन्हीं कोरोना योध्दाओं द्वारा किये जा रहे अनवरत कामों के चलते विगत एक वर्ष के दौरान सुपर कोविड अस्पताल अपने यहां भरती होनेवाले करीब साढे 22 से 23 हजार कोरोना संक्रमित मरीजों को कोविडमुक्त करने और उनकी जान बचाने में कामयाब रहा. हालांकि इस एक वर्ष के दौरान सुपर कोविड अस्पताल में बेहद गंभीर स्थिति रहनेवाले 400 कोविड संक्रमितों की मौत भी हुई है.

  •  डायलिसीस सुविधा रहनेवाला एकमात्र अस्पताल

यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, कोविड संक्रमित मरीजों पर डायलिसीस करने की सुविधा भी अमरावती के सुपर कोविड अस्पताल में उपलब्ध है और यह सुविधा रहनेवाला समूचे विदर्भ क्षेत्र में यह अकेला अस्पताल है. इससे भी अमरावती के सुपर कोविड अस्पताल में उपलब्ध करायी गयी अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के बारे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.

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  • चुनौतीपूर्ण रहा एक साल

जिस समय अमरावती में कोविड अस्पताल शुरू करने का निर्णय लिया गया और मुझे इस अस्पताल का जिम्मा संभालने हेतु चुना गया. उस वक्त हम में सें किसी को भी नहीं पता था कि आखिर यह महामारी क्या है और इससे कैसे निपटा जाये. साथ ही हम सबमें भी इस महामारी को लेकर एक अनजाना सा डर था. बावजूद इसके हमने इसे एक चुनौती के तौर पर लिया और डटकर इस चुनौती का सामना किया. मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि, मुझे इस काम के लिए चुना गया. कोविड अस्पताल में भरती होनेवाले हर एक मरीज के मन में अपने जीवन को लेकर काफी खौफ होता है. बीमारी को ठीक करने के साथ-साथ उस खौफ को खत्म करना भी एक चुनौती थी. जिसमें हम सफल रहे. यहीं वजह है कि, हमारे अस्पताल से करीब 23 हजार कोविड संक्रमित मरीज ठीक होकर सकुशल अपने घर लौटे है. हालांकि हमें इस बात का भी अफसोस है कि इस दौरान कुछ मरीजों को बचाया नहीं जा सका. लेकिन विगत एक वर्ष के दौरान जितने भी मरीजों की मौत हुई, उनमें से अधिकांश काफी अधिक आयुवाले थे और बहुविध बीमारियों से पीडित रहने के साथ-साथ गंभीर स्थिति में भी थे. उन्हें भी बचाने के लिए हमने पूरे प्रयास किये थे.
– डॉ. रवि भूषण
इंचार्ज, सुपर कोविड हॉस्पिटल

 

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  • काम का समाधान और समाधानकारक काम

विगत एक वर्ष का अनुभव किसी सपने जैसा कहा जा सकता है. हम में से कभी किसी ने नहीं सोचा था कि, हमें जीवन में कभी ऐसा भी वक्त देखना पडेगा, लेकिन हमने ऐसे वक्त को देखा और यहीं एक कडवी सच्चाई है. इस दौरान हम लोगों की सेवा कर सके, इस बात का हमें समाधान है और खुशी भी है कि, काम समाधानकारक हुआ. कोविड संक्रमण काल के दौरान कोविड योध्दा के तौर पर पुरे समर्पण भाव के साथ काम करनेवाले लोग प्रशंसा के पात्र है. जिन्होंने सीमित संसाधनों और तमाम खतरोें के बावजूद शानदार ढंग से काम करने का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है.
– शैलेश नवाल
जिलाधीश, अमरावती.

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  • काफी कुछ नये अनुभव सीखने मिले

विगत एक वर्ष को डॉक्टरी पेशे के लिहाज से बेहद चुनौतीपूर्ण कहा जा सकता है. इस दौरान बतौर डॉक्टर हमने काफी कुछ नया सीखा और कई नये तरह के अनुभव लिये. साथ ही इस दौरान हमने कई स्तरों पर होनेवाले बदलावों को भी बेहद करीब से महसूस किया और चुनौतियों से जूझने के व्यवस्थापन पर अग्रीम मोर्चे पर खडे रहकर काम किया. कोविड की संक्रामक महामारी और कोविड अस्पताल का संचालन मेरे जीवन का अविस्मरणीय अनुभव रहेगा. मैं उम्मीद करता हूं कि, यह महामारी जल्द से जल्द पूरी तरह खत्म हो और अमरावती जिला पूर्ण रूप से कोविड मुक्त हो. इसके लिए सभी लोगों ने प्रतिबंधात्मक नियमों का कडाई से पालन करना चाहिए.
– डॉ. श्यामसुंदर निकम
जिला शल्य चिकित्सक, अमरावती.

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