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सौम्य लक्षणवाले एसिम्टोमैटिक मरीज साबित हो रहे सुपर स्प्रेडर

  •  100 में से 85 मरीजों में नहीं दिखाई देती कोरोना संक्रमण के लक्षण

  •  संक्रमण से बचने हेतु मास्क, सैनिटाईजर व सोशल डिस्टंसिंग की त्रिसूत्री का पालन जरूरी

अमरावती/प्रतिनिधि दि.6 – लंबे समय बाद जनवरी माह के अंतिम सप्ताह से कोरोना की संक्रामक महामारी ने एक बार फिर जबर्दस्त ढंग से अपने पांव पसारने शुरू किये है तथा विगत एक सप्ताह से रोजाना 100 से अधिक कोविड संक्रमित मरीज मिलने शुरू हुए है. साथ ही गत रोज एक ही दिन के दौरान 233 संक्रमित मरीज पाये गये. ऐसे में कोविड संक्रमण को लेकर जबर्दस्त भय व चिंता का माहौल देखा जा रहा है. साथ ही सर्वाधिक हैरत इस बात को लेकर जतायी जा रही है कि, आखिर नवंबर के बाद से नियंत्रण में रहनेवाली कोविड संक्रमण की स्थिति एक बार फिर बेलगाम कैसे हो रही है. इस संदर्भ में स्वास्थ्य महकमे द्वारा बताया गया है कि, बार-बार के दिशानिर्देश के बावजूद लोगबाग अपने घरों से बाहर निकलते समय फेसमास्क का प्रयोग नहीं कर रहे है. साथ ही सार्वजनिक स्थानोें पर सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का पालन नहीं हो रहा. ऐसे में एक-दूसरे के संपर्क में आने की वजह से लोगों के बीच कोरोना का संक्रमण फैल रहा है.
ेेस्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक कोरोना संक्रमित पाये जानेवाले 100 में से 80 मरीज एसिम्टोमैटिक यानी सौम्य लक्षणवाले होते है. इस तरह के मरीजोें को सुपर स्प्रेडर कहा जा सकता है, क्योेंकि ऐसे मरीजों में संक्रमण के लक्षण दिखाई ही नहीं देते और यदि ऐसा कोई व्यक्ति बिना मास्क लगाये सार्वजनिक स्थानों पर घुमता-फिरता है, तो उसके संपर्क में आनेवाले अनेकों लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ सकते है. इसके अलावा शेष 15 प्रतिशत लोगों में से 10 प्रतिशत मरीजों को सर्दी-खांसी की कुछ तकलीफ होती है, किंतु सामान्य जांच में इनमें भी कोरोना का लक्षण पकड में नहीं आता और सिटी स्कैन कराये जाने पर उनके कोरोना संक्रमित रहने की बात सामने आती है. वहीं अंतिम पांच प्रतिशत मरीज ऐसे होते है, जो या तो निचली बस्तियों में रहते है या फिर लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान के बीच यात्रा करते है. ऐसे लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी हद तक लापरवाह होते है और लक्षणों के एकदम तीव्र हो जाने के बाद अस्पताल में आकर भरती होते है.

स्ट्रीट वेंडर्स व हॉकर्स की स्वास्थ्य जांच जरूरी

इस अधिकारी के मुताबिक इन दिनों सडक किनारे खडे रहकर साग-सब्जी व फलों सहित विभिन्न वस्तुओें की बिक्री का व्यवसाय करनेवाले स्ट्रीट वेंडर्स व हॉकर्स द्वारा भी मास्क का प्रयोग नहीं किया जाता तथा साग-सब्जियों, फलों व नाश्ते आदि की गाडी पर ग्राहकों द्वारा भी सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का पालन नहीं होता. ऐसे में इस तरह के स्थानों पर कोविड संक्रमण का स्प्रेड बढने की जबर्दस्त संभावना होती है. ऐसे में यह बेहद जरूरी हो गया है कि, सभी फुटकर व्यवसायियोें की कोविड टेस्ट कराते हुए उन्हें त्रिसूत्री का पालन करना अनिवार्य किया जाये. इसके साथ ही अनलॉक की प्रक्रिया के प्रारंभ में जैसे सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठानोें व आस्थापनाओें में मास्क, सैनिटाईजर व सोशल डिस्टंसिंग जैसे नियमोें का बेहद कडाई के साथ पालन किया जा रहा था. ठीक उसी तरह इस समय भी इस त्रिसूत्री नियम का पालन किया जाना जरूरी है. क्योेंकि इस संक्रमण का खतरा अब पहले की तुलना में काफी अधिक बढ गया है. लेकिन पाया जा रहा है कि, विगत अक्तूबर-नवंबर माह के बाद से लोगबाग कोविड प्रतिबंधात्मक नियमों को लेकर हद दर्जे तक लापरवाह हो चले है.

सरकारी प्रयास ही काफी नहीं, स्व अनुशासन भी जरूरी

याद दिला देें कि, इससे पहले कोविड संक्रमण काल के दौरान सरकार द्वारा तमाम प्रतिबंधात्मक उपाय करने के साथ ही ‘मेरा परिवार-मेरी जिम्मेदारी’ अभियान चलाया गया था. जिसमें आशा व अंगनवाडी सेविकाओं द्वारा घर-घर जाकर स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया गया था. साथ ही सभी लोगों को स्वास्थ्य संबंधी तमाम आवश्यक जानकारियां भी दी गई थी. इसके अलावा सरकार की ओर से विभिन्न माध्यमों का सहारा लेते हुए लोगों में कोरोना संक्रमण से बचने हेतु जनजागृति करने का प्रयास किया गया. किंतु बावजूद इसके जैसे ही संक्रमण की रफ्तार कुछ कम हुई, वैसे ही लोग इस बीमारी के खतरे के प्रति काफी हद तक बेफिक्र व लापरवाह हो गये. जबकि सभी लोगोें ने अपने व अपने परिवारजनोें की सुरक्षा को लेकर सजग व सतर्क रहना चाहिए. स्वास्थ्य महकमे के मूताबिक जो लोग अपने कामकाज के निमित्त अपने घरों से बाहर निकलते है, उन्होेंने त्रिसूत्री का बेहद कडाई से पालन करना चाहिए. अन्यथा उनकी वजह से उनके परिवार के बुजुर्ग व बच्चे कोरोना संक्रमण की चपेट में आ सकते है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, जनजागृति हेतु केवल सरकार की ओर से चलाये जा रहे अभियान ही काफी नहीं है, बल्कि जब तक हर एक व्यक्ति को कोविड प्रतिबंधात्मक वैक्सीन का टीका नहीं लग जाता, तब तक हर किसी को कोरोना संक्रमण से बचे रहने हेतु तमाम ऐहतियात बरतने होेंगे.

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