दिल्ली दि.29 – सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जोसेफ ने हिंदू जन आक्रोश रैली प्रकरण में महाराष्ट्र सरकार पर गुस्सा निकालते हुए कह दिया कि, सरकार नपुंसक है कुछ नहीं कर रही. खामोश बैठी है जिसके कारण सब हो रहा है. राजकारण और धर्म अलग-अलग रखने का समय आ गया है. न्या. जोसेफ ने राज्य सरकार के वकील को फटकार लगाई. इस बारे में अगली सुनवाई एक माह बाद होगी.
मामला कुछ दिन पहले मुंबई में हुए हिंदू जन आक्रोश मोर्चे का बताया जा रहा है. अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने ‘सर तन से जुदा’ इस विधान के बारे में न्यायालय को जानकारी दी. उस पर बोलते हुए न्या. जोसेफ ने कहा कि, द्बेषयुक्त भाषा और बयान एक दुष्टचक्र है. उससे बाहर निकालना मुश्किल है. किसी एक ने कुछ कहा कि, तुरंत दूसरे लोग उस पर प्रतिक्रिया देते हैं. यह सब बेजवाबदार बातें और बयान रोकने सरकार ने कार्रवाई शुरु करनी थी पर राज्य की सरकार कुछ नहीं कर रही है. इसलिए यह सब हो रहा है.
न्या. जोसेफ ने विशेष अधिवक्ता को नाटक न करने जैसे कडक शब्दों में निर्देश दिए. ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने सरकार ने कौन सी व्यवस्था की है. यह जवाब कोर्ट में देना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समाज के खिलाफ आपत्तिजनक वक्तव्यों पर सवाल उठाए. सकल हिंदू समाज के वकील ने तर्क दिया कि, उनके संगठन को धार्मिक जुलूस निकालने का अधिकार है. वैसे ही निषेध व्यक्त करना या रैली निकालने का भी अधिकार है. तब कोर्ट ने कहा कि ऐसी रैली से तुम्हें देश का कानून तोडने की इजाजत दी जा सकती है क्या? ऐसे मोर्चे से अल्पसंख्यक समाज का अपमान होता है, न्या. जोसेफ ने कहा कि, उन्हें पाकिस्तान जाने कहा जाता है, उन लोगों ने इस देश को अपना कहकर चुना है. वह तुम्हारे बहन-भाई जैसे हैं. इसलिए बोलते समय ध्यान रखें. स्तर गिरने न दे, मतभेद स्वीकारना हमारी संस्कृति है.