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सुप्रीया सुले होगी राकांपा की नई अध्यक्ष

पार्टी को पहली बार महिला अध्यक्ष मिलेगी

* अध्यक्ष पद की रेस से अजित पवार का पत्ता कटा
* अजित को राज्यस्तर पर नेतृत्व की मिल सकती है जिम्मेदारी
* पार्टी में लगातार जारी है विचार मंथन व बैठकों का दौर
* शरद पवार को इस्तीफा वापिस लेने मनाया जा रहा
मुंबई/दि.3 – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक सांसद शरद पवार ने गत रोज एक पुस्तक विमोचन समारोह में अचानक ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से निवृत्त होने और भविष्य में कोई चुनाव नहीं लडने की घोषणा करते हुए एक तरह से अपने राजनीतिक संन्यास की घोषणा की थी. जिसके बाद से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में अच्छी खासी गहमागहमी मची हुई है. यद्यपि पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं व पदाधिकारियों द्बारा शरद पवार को अपना फैसला बदलने हेतु मनाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन फिलहाल तक शरद पवार अपने फैसले पर अडिग है. ऐसे में अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि, शरद पवार के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस का अध्यक्ष पद किसे मिलेगा. इस पद की रेस में पहले से ही शरद पवार की बेटी सांसद सुप्रीया सुले तथा भतीजे व राज्य के नेता प्रतिपक्ष अजित पवार के नाम चर्चा में चल रहे थे. वहीं अब यह जानकारी सामने आयी है कि, राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की रेस से अजित पवार का पत्ता लगभग कट चुका है और सांसद सुप्रीया सुले को पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है. ऐसा होने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की कमान पहली बार किसी महिला अध्यक्ष के पास होगी. साथ ही राज्य में किसी भी क्षेत्रीय दल का नेतृत्व पहली बार किसी महिला के पास होगा. राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक बहुत हद तक संभव है कि, सुप्रीया सुले को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा आज शाम तक ही हो सकती है.
बता दें कि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेताओं की एक बैठक शरद पवार के नेतृत्व में यशवंतराव चव्हाण सेंटर में चल रही है. जहां पर राकांपा के लगभग सभी प्रमुख नेता उपस्थित है. इसके अलावा कल रात से ही शरद पवार के ही सिल्वर ओक बंगले पर राकांपा के प्रमुख नेताओं व पदाधिकारियों का जमघट लगा रहा और इस स्थिति आज सुबह भी कायम रही. दोनों ही स्थानों पर राकांपा के पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी बडी संख्या में उपस्थित थे और कुछ कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों ने अनशन शुरु करते हुए अपने-अपने पदों से इस्तीफा देना भी शुरु कर दिया है. ताकि शरद पवार को अपने फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए मनाया जा सके. इन तमाम घटनाक्रमों के बीच सांसद शरद पवार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करने हेतु अपने समर्थकों से 2-3 दिनों का समय मांगा है. लेकिन राकांपा से जूडे सूत्रों के मुताबिक शरद पवार अब अपने फैसले को पलटने के मुड में नहीं है तथा बहुत संभव है कि, यशवंतराव चव्हाण सेंटर में चल रही बैठक के बाद एक पत्रवार्ता बुलाते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर सुप्रीया सुले के नाम की घोषणा कर दी जाएगी. इसके साथ ही अजित पवार को महाराष्ट्र में पार्टी का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा जा सकता है.

* इस वजह से चल रहा है सुप्रीया सुले का नाम आगे
सांसद सुप्रीया सुले विगत अनेक वर्षों से दिल्ली में सक्रिय है और उनके विभिन्न प्रादेशिक व राष्ट्रीय दलों के तमाम नेताओं के साथ बेहतरीन संबंध है. इसके साथ ही अकाली दल व द्रमुक जैसी पार्टियों के उत्तराधिकारी भी उनके नजदीकी लोगों में शामिल है. इसके अलावा संसदीय कामकाज में बेहतरीन तरीके से काम करने वाली सुप्रीया सुले देश भर में चुनाव प्रचार को लेकर यात्राएं भी करती है. ऐसे में सुप्रीया सुले को नेतृत्व सौंपे जाने से पार्टी को इसका निश्चित तौर पर फायदा मिलेगा. ऐसा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है. जिसके चलते सुप्रीया सुले की दावेदारी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए बेहद आगे चल रही है.

* अजित पवार को मिलेगा महाराष्ट्र संभालने का जिम्मा
वहीं दूसरी ओर शरद पवार के भतीजे अजित पवार के पास राज्य विधानमंडल में कामकाज का काफी प्रदीर्घ अनुभव है. साथ ही वे सबसे ज्यादा लंबे समय तक राज्य के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके है और उनके पास अपने विधायकों को एकजूट रखने का कौशल्य भी है. जब अजित पवार ने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव पश्चात भाजपा के साथ हाथ मिलाते हुए एकदम तडके उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी और इसके बाद जब वे रकांपा में वापिस लौट आए थे. इसके बाद भी महाविकास आघाडी की सरकार ने राकांपा विधायकों ने उपमुख्यमंत्री पद के लिए एक बार फिर अजित पवार का भी नाम आगे बढाया था. इसके अलावा अजित पवार खुद भी केंद्र की बजाय राज्य की राजनीति में ही सक्रिय रहना चाहते है. ऐसे मेें माना जा रहा है कि, सुप्रीया सुले को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपने के साथ ही अजित पवार को महाराष्ट्र राज्य का पूरा जिम्मा सौंपा जा सकता है.

* मुझे तो कुछ पता ही नहीं
वहीं राज्य के पूर्व मंत्री व राकांपा विधायक जीतेंद्र आव्हाड ने कहा कि, उन्हें इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है. इस विषय को लेकर किसी तरह की बैंठक या चर्चा होने के संदर्भ में उन्हें कोई कल्पना ही नहीं है. साथ ही इस तरह की बैंठक कहां होने वाली है, या हो रही है. वे इस बारे में भी कुछ नहीं जानते, बल्कि उनका स्पष्ट मानना है कि, शरद पवार ने अपना इस्तीफा पीछे लेना चाहिए. क्योंकि शरद पवार को इस्तीफा देने का अधिकार किसी ने नहीं दिया है और यदि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शरद पवार ही नहीं रहेंगे, तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रहने का ही कोई मतलब नहीं बचेगा.

* प्रदेशाध्यक्ष पाटिल सहित कई नेता बैठक में गैरहाजिर
शरद पवार द्बारा इस्तीफा दिए जाने के बाद राकांपा के नये अध्यक्ष को लेकर विशेष समिति की बैठक यशवंतराव चव्हाण सेेंटर में बुलाई गई. लेकिन इस बैठक मेें पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटित सहित पार्टी के कई महत्वपूर्ण नेता ही उपस्थित नहीं थे. जिसके बाद चर्चा शुरु हो गई कि, संभवत: राकांपा में राजी-नाराजी का दौर शुरु हो गया है. इसी दौरान शरद पवार ने जयंत पाटिल को खुद फोन किया, तो पता चला कि, इस बैठक का निमंत्रण जयंत पाटिल को दिया ही नहीं गया था और वे इस समय शक्कर आयुक्त के साथ बैठक करने हेतु पुणे में है तथा शरद पवार के फोन कॉल के बाद पुणे से निकलकर शाम तक अमरावती पहुंचेंगे.

* आज तो कोई बैठक ही नहीं थी – भुजबल
वहीं राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने बताया कि, आज पार्टी की कोई बैठक ही नहीं बुलाई गई थी. क्योंकि इस समय पार्टी के सभी नेता अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में है. साथ ही जब मुंबई से बाहर रहने वाले सभी नेताओं को एकसाथ मुंबई बुलाया जाएगा, तब पार्टी की कोई बैठक होगी.

* पार्टी में शुुरु हुआ इस्तीफों का दौर
– अनिल पाटिल ने विधायक पद व जीतेंद्र आव्हाड ने राष्ट्रीय महासचिव पद से दिया इस्तीफा
इसी बीच पार्टी प्रमुख शरद पवार को अपने पद पर बने रहने हेतु मनाने के लिए पार्टी के कई विधायकों व पदाधिकारियों द्बारा अपने-अपने पदों से इस्तीफा दिए जाने की शुरुआत कर दी गई है. जिसके तहत राकांपा के प्रतोद व विधायक अनिल पाटिल ने विधायक पद से तथा जीतेंद्र आव्हाड से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देते हुए शरद पवार से अपने फैसले पर दुबारा विचार करने का निवेदन किया है. इसी बीच राकांपा के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटिल द्बारा भी अपने पद से इस्तीफा दिए जाने की खबर फैली. परंतु खुद जयंत पाटिल ने मीडिया के साथ बातचीत में ऐसी खबरों को पूरी तरह से निराधार बताया.

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