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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले महाराष्ट्र में हलचल बढ़ी

एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की धड़कनें हुईं तेज

मुंबई /दि.10– महाराष्ट्र में फ़िलहाल एकनाथ शिंदे की सरकार है लेकिन इस पर सुप्रीम कोर्ट का तलवार लटकी हुई है. कहा जा रहा है कि कल सर्वोच्च अदालत अपना फैसला सुना सकती है. अगर अदालत ने एकनाथ गुट को अयोग्य ठहरा दिया तो फिर एकनाथ शिंदे सरकार को गिरने से बचाना मुश्किल होगा.
सुनवाई पूरी हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट में फैसला रिजर्व है. खबर है कि 11 मई को कोर्ट फैसला सुना सकता है. क्योंकि जिन पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई है, उनमें एक जज 15 मई को रिटायर हो रहे हैं. इसलिए उनके रिटायरमेंट से पहले फैसला सुनाए जाने की चर्चा है. इस फैसले को लेकर सत्ता की धड़कनें तेज हो चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट से जो फैसला आना है, उसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत सत्ता पक्ष के 16 विधायकों की विधानसभा की सदस्यता दांव पर लगी है.
अब तक सुप्रीम कोर्ट में जो सुनवाई हुई है, उसमें दोनों ही तरफ से जोरदार बहस हुई है. बहस के दौरान जजों ने तत्कालीन राज्यपाल की भूमिका को लेकर जिस तरह की टिप्णियां की हैं और संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों पर जो बहस हुई है. उसे देखते हुए फिलहाल पक्के तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि फैसला किसके पक्ष में और किसके खिलाफ जाएगा! लेकिन, फैसला सरकार के खिलाफ आया, तो उसका सरकार पर क्या असर हो सकता है, इसे लेकर पांच प्रमुख सवाल उठाए जा रहे हैं.
1. क्या सरकार गिर सकती है?
अगर सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना छोड़ने वाले 16 विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दे दिया, तो शिंदे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. इस स्थिति में शिंदे सरकार का गिरना तय है.
2- किसकी होगी नई सरकार?
विधानसभा में सरकार के पास उपलब्ध बहुमत के अनुसार शिंदे सरकार के पतन के बाद बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) की सत्ता पर पकड़ बनी रह सकती है. लेकिन, दोनों को मिलकर फिर से सत्ता पक्ष का नेता चुनना पड़ेगा और विधानसभा में बहुमत साबित करना पड़ेगा.
3- शिंदे फिर बन सकते हैं मुख्यमंत्री?
शिंदे के फिर से मुख्यमंत्री बनने को लेकर जानकारों की अलग-अलग राय है. कुछ का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से अयोग्य करार दिए जाने वाले विधायक अगले 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, वहीं कुछ का कहना है कि यह फैसले पर निर्भर करेगा. अगर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ऐसा नहीं कहा, तो शिंदे फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं. हां, इसके लिए उन्हें फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी होगी और 6 महीने के भीतर विधानमंडल के किसी एक सदन का सदस्य चुनकर आना होगा.
4- क्या अध्यक्ष के पाले में होगी गेंद?
अगर सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों को सीधे पात्र या अपात्र घोषित नही किया और विधायकों को योग्य या अयोग्य ठहराने का फैसला विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ दिया, तो सत्ता पक्ष की कोशिश फैसले को टालने और यथास्थिति बनाए रखने की होगी. चूंकि, विधानसभा अध्यक्ष सत्ता पक्ष के हैं और उनके निर्णय लेने की कोई समयावधि निश्चित नहीं है, इसलिए ऐसा करना सत्ता पक्ष के लिए सहज है.
5- क्या केस बड़ी पीठ को सौंपा जाएगा?
महाराष्ट्र के इस सत्ता संघर्ष की सुनवाई पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष हुई है. इस केस की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ के सदस्यों में फैसले को लेकर कोई गतिरोध या मतभेद होता है, तो पूरा मामला सात जजों की संविधान पीठ को भी सौंपे जा सकने की चर्चा है.
6- अगर फैसला सत्ता के पक्ष में गया तो?
चर्चा इस बात की भी है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला उद्धव ठाकरे को छोड़ने वाले 16 विधायकों के पक्ष में सुनाया, तो उद्धव ठाकरे फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकते हैं. लेकिन, इसका सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि तब तक 2024 के चुनाव आ जाएंगे.

* इन जजों ने की सुनवाई
महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष की सुनवाई के लिए पांच जजों की जो संविधान पीठ गठित की गई, उसमें यह जज शामिल थे.
1- जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड (मुख्य न्यायाधीश)
2- जस्टिस एम.आर. शाह
3- जस्टिस कृष्ण मुरारी
4- जस्टिस हिमा कोहली
5- जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा
इन 16 विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट में लटकी है अपात्रता की तलवार
1- एकनाथ शिंदे (मुख्यमंत्री) विधानसभा क्षेत्र – कोपरी-पाचपाखाडी (ठाणे)
2- अब्दुल सत्तार ( कृषि मंत्री) विधानसभा क्षेत्र- सिल्लोड (औरंगाबाद)
3- तानाजी सावंत (स्वास्थ्य मंत्री) विधानसभा क्षेत्र- परंडा (उस्मानाबाद)
4- यामिनि जाधव (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – भायखला (मुंबई)
5- संदीपान भुमरे (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – पैठण (औरंगाबाद)
6- भरत गोगावले (विधायक और शिंदे के चीफ वीप) विधानसभा क्षेत्र – महाड (रायगड)
7- संजय शिरशाट (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – औरंगाबाद पश्चिम
8- लता सोनावणे (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – चोपडा (जलगांव)
9- प्रकाश सुर्वे (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – मागाठाणे (मुंबई)
10- बालाजी किणीकर (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – अंबरनाथ (ठाणे)
11- बालाजी कल्याणकर (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – नांदेड उत्तर (नांदेड)
12- अनिल बाबर (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – खानापुर (सांगली)
13- महेश शिंदे (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – कोरेगांव (सातारा)
14- संजय रायमूलकर (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – मेहकर (बुलढाणा)
15- रमेश बोरनारे (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – विजापुर (औरंगाबाद)
16- चिमणराव पाटील (विधायक) विधानसभा क्षेत्र – खानापुर (सांगली

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