* अमरावती की जेल में बंद है टाडा आरोपी हसन मेहंदी शेख
नागपुर/दि.31 – आतंकी वारदातों में लिप्त रहने के चलते आतंकवादी व विघटनकारी गतिविधि (निवारण) अधिनियम यानि टाडा कानून के तहत दोषी ठहराया गया कोई भी अपराधी पैरोल पाने का हकदार नहीं है. इस तरह की कोई भी छूट महाराष्ट्र मेें नियमों के तहत नहीं दी जा सकती. इस आशय का महत्वपूर्ण फैसला मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ द्बारा गत रोज सुनाया गया.
नागपुर हाईकोर्ट के न्या. एस. बी. शुक्रे व न्या. एम. डब्ल्यू, चंदवानी की खंडपीठ ने अमरावती की सेंट्रल जेल में टाडा कानून के तहत दोषी करार दिए जाने के चलते उम्रकैद की सजा काट रहे हसन मेहंदी शेख द्बारा विगत 2 दिसंबर को दायर याचिका को गत रोज सुनवाई पश्चात खारिज करते हुए उपरोक्त फैसला सुनाया. टाडा के कडे प्रावधानों सहित विभिन्न अपराधों के लिए दोषी करार दिए जाने के बाद अमरावती की सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हसन मेहंदी शेख ने अपनी बीमारी पत्नी को देखने के लिए जेल अधिकारियों से नियमित पैरोल की मांग की थी. परंतु जेल अधिकारियों ने इस आधार पर उसका आवेदन खारिज कर दिया था कि, वह बॉम्बे फर्लो व पैरोल संबंधी जेल नियमों के तहत पैरोल पाने का हकदार नहीं है. जिसके बाद हसन मेहंदी शेख ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में दाचिका दायर की थी. जहां पर गत रोज सुनवाई पश्चात उसकी याचिका को खारिज करते हुए नागपुर हाईकोर्ट ने कहा कि, जेल नियमों में एक विशेष प्रावधान है. जो टाडा कानून के तहत दोषी करार दिए गए कैदी को नियमित पैरोल का लाभ पाने हेतु अयोग्य ठहराता है, ऐसे में टाडा कैदी हसन मेहंदी शेख को पैरोल का लाभ नहीं दिया जा सकता.