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ये लो पूरा हिसाब-किताब

खुद पर लगे आरोपों के जवाब में सीएस डॉ. निकम ने बुलायी पत्रवार्ता

  • वर्ष 2013 से अब तक प्राप्त निधी व खर्च का वर्षनिहाय सिलसिलेवार ब्यौरा दिया

  • 93 करोड की कुल निधी आयी, तो 100 करोड का घोटाला कैसे

  • सीएस डॉ. निकम ने आरोप लगानेवालों से पूछा प्रति प्रश्न

  • रेमडेसिविर इंजेक्शन व अपने बेटे की नियुक्ति को लेकर भी दिये जवाब

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२५ – विगत दिनों भाजपा की ग्रामीण जिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी ने अमरावती के जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम पर वर्ष 2013 से अब तक विविध पदों पर रहते हुए 100 करोड रूपयों का घोटाला करने का आरोप लगाया था. साथ ही उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का मास्टरमाइंड भी कहा था. अमूमन तमाम तरह के आरोपों पर चुप्पी साधे रहनेवाले सीएस डॉ. निकम ने इस बार अपना मौन तोडा और निवेदिता चौधरी द्वारा लगाये गये आरोपों का यहां बुलायी गयी पत्रकार परिषद में खुलकर सिलसिलेवार जवाब दिया. मंगलवार की दोपहर जिला मराठी पत्रकार संघ के वालकट कंपाउंड परिसर स्थित मराठी पत्रकार भवन में बुलायी गयी पत्रकार परिषद में सीएस डॉ. निकम ने कहा कि, वे वर्ष 2013 से 2016-17 तक सुपर स्पेशालीटी अस्पताल में वैद्यकीय अधीक्षक के तौर पर कार्यरत थे. इस अस्पताल को वर्ष 2013-14 से वर्ष 2020-21 यानी अब तक सरकार की ओर से अलग-अलग लेखाशीर्ष के तहत कुल 93 करोड 67 लाख 49 हजार 572 रूपये प्राप्त हुए, जो विभिन्न कार्यों व देयकों पर खर्च हुए. इस निधी और खर्च का पूरा ब्यौरा इस पत्रवार्ता में प्रस्तूत करते हुए सीएस डॉ. निकम ने कहा कि, जब उनके कार्यकाल के दौरान व पश्चात सुपर स्पेशालीटी अस्पताल के लिए कुल निधी ही 93 करोड आयी, और उस निधी से कई काम करते हुए देयकों का भुगतान किया गया, तो 93 करोड की निधी में 100 करोड रूपयोें का घोटाला कैसे हो सकता है, यह कोई समझदार व्यक्ति उन्हें बता दें.
साथ ही इस पत्रवार्ता में सीएस डॉ. निकम ने यह भी कहा कि, अगस्त 2017 से वे जिला सामान्य अस्पताल में जिला शल्य चिकित्सक के पद पर कार्यरत है और वर्ष 2017-18 से मार्च 2021 तक जिला सामान्य अस्पताल को अलग-अलग लेखाशीर्ष अंतर्गत 59 करोड 65 लाख 12 हजार रूपये की निधी प्राप्त हुई है. इस रकम के खर्च का विवरण भी सीएस डॉ. निकम द्वारा इस पत्रकार परिषद में दिया गया. साथ ही कहा गया कि, उपरोक्त निधी से आहरीत वेतन रकम, बिजली बिल, पानी बिल, फोन बिल, यात्रा भत्ते देयक, मनपा कर, आहार खर्च, वाहन इंधन खर्च, औषधी खर्च, साधन सामग्री, ठेका सेवा व विद्या वेतन आदि को लेकर संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियोें, आपूर्तिकर्ताओें व उपभोक्ताओं के बैंक खातों में संगणकीय सीएमपी प्रणाली के जरिये रकम जमा की जाती है. ऐसे में सुपर कोविड अस्पताल अथवा जिला सामान्य अस्पताल को सरकार की ओर से मिलनेवाली रकम में से कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह का अतिरिक्त आहरण नहीं कर सकता. ऐसे में घोटाले को लेकर लगाया गया आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है.
इस पत्रवार्ता में रेमडेसिविर इंजेक्शन से संबंधित मामले को लेकर जानकारी देते हुए सीएस डॉ. निकम ने कहा कि, जिला सामान्य अस्पताल के औषधी भंडार से सरकारी कोविड अस्पतालों को उनकी मांग के अनुरूप रेमडेसिविर इंजेक्शन की नियमित आपूर्ति की जाती है. इस संदर्भ में स्टॉक और वितरण की पूरी जानकारी औषधी भंडार के स्टॉक रजिस्टर में उपलब्ध है. साथ ही तिवसा के ्र्रग्रामीण अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर पायी गयी गडबडी की जांच पुलिस विभाग द्वारा की जा रही है और जांच के बाद पूरा सच सबके सामने आ ही जायेगा.
इस पत्रकार परिषद में अपने बेटे डॉ. अमित निकम से संबंधित आरोपोें को लेकर जवाब देते हुए सीएस डॉ. निकम ने बताया कि, डॉ. अमित निकम ने वर्ष 2017 में एमबीबीएस की शिक्षा पूर्ण की. पश्चात 30 सितंबर 2017 से 19 सितंबर 2019 तक उन्होंने चर्मरोग पदविका (डीवीडी) का पाठ्यक्रम पूर्ण किया. इसके बाद राष्ट्रीय ग्रामीण आरोग्य अभियान अंतर्गत असंसर्गजन्य रोग कार्यक्रम के तहत तिवसा ग्रामीण अस्पताल में वैद्यकीय अधिकारी का पद रिक्त रहने के चलते 1 नवंबर 2019 से वैद्यकीय अधिकारी पद पर सभी नियमों का पालन करते हुए डॉ. निकम को नियुक्ती दी गई. ऐसे में यह आरोप पूरी तरह से गलत है कि, डॉ. अमित निकम को पढाई जारी रहते समय नियमबाह्य नौकरी दी गई. पश्चात 4 जनवरी 2021 को डॉ. अमित निकम को उनके निवेदन पर मोर्शी उपजिला अस्पताल में वैद्यकीय अधिकारी पद पर तबादला दिया गया. जहां से उन्होंने 1 अप्रैल 2021 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और फिलहाल वे सरकारी सेवा में नहीं है. ऐसे में मई माह के दौरान उजागर हुए रेमडेसिविर मामले में डॉ. अमित निकम के शामिल रहने का आरोप भी पूरी तरह से झूठा और बेबुनियाद है, क्योंकि डॉ. अमित निकम का इस मामले से कोई लेना-देना ही नहीं है.

  • किसी से कोई नाराजगी नहीं, मानहानि के पचडे में नहीं पडूंगा

इस पत्रकार परिषद में सीएस डॉ. निकम ने स्पष्ट किया कि, सरकारी नौकरी और वरिष्ठ पद पर रहते समय किसी न किसी तरह के आरोप लगना बेहद आम बात होती है. ऐसे में उनकी किसी से कोई नाराजगी नहीं है. साथ ही वे किसी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज नहीं कराने जा रहे, क्योंकि उनके पास ऐसे कामों के लिए बिल्कूल भी समय नहीं है. किंतु उनकी चुप्पी का इतने वर्षों की समर्पित सेवा के बाद ऐन रिटायरमेंट के मुहाने पर कोई गलत अर्थ न निकाला जाये. केवल इसके लिए आज वे पहली बार मीडिया के सामने आये है और खुद पर लगे आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दे रहे है. जिसके तहत उन्होंने सरकारी निधी और खर्च का ब्यौरा पेश करने के साथ ही अन्य सभी बातों व इल्जामों को लेकर अपना पक्ष मीडिया के जरिये आम जनता के सामने रखा है, ताकि जनता को तथ्यात्मक रूप से सच पता रहे.

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