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गैरकानूनी है तपोविन पाटील का आमरण अनशन

अशोक महा. के प्राचार्य डॉ. कारमोरे का कथन

  • पाटील पर लगाया सरकार और लोगों की आंखों में धुल झोंकने का आरोप

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२५ – चांदूर रेल्वे स्थित स्व. मदनगोपाल मूंधडा (अशोक महाविद्यालय) द्वारा विगत 8 अक्तूबर 2020 से तपोविन नामदेव पाटील को अभिलेख छेडछाड मामले में निलंबित कर दिया गया था. निलंबित किये जाने के बाद 8 दिसंबर को अपरान्ह 1 से 1.30 बजे के बीच पाटील ने अपने 10-12 साथियोें के साथ मिलकर महाविद्यालय के प्राचार्य व अधिक्षक के कमरों के ताले तोडकर अभिलेख चुराये. इसकी जांच चांदुर रेल्वे पुलिस थाने द्वारा की जा रही है. वहीं तपोविन पाटील खुद को महाविद्यालय का प्रभारी प्राचार्य बताते हुए लोगों की आंखों में धुल झोंक रहे है. साथ ही खुद पर हुई कार्रवाई को गलत बताते हुए गैरकानूनी ढंग से उच्च शिक्षा सहसंचालक कार्यालय के सामने अनशन कर रहे है. यह सीधेसीधे सरकार एवं प्रशासन को ब्लैकमेल करने का प्रयास है. इस आशय का प्रतिपादन अशोेक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जयंत कारमोरे द्वारा यहां बुलायी गयी पत्रवार्ता में किया गया.
स्थानीय श्रमिक पत्रकार भवन में बुलायी गयी पत्रवार्ता में डॉ. कारमोरे द्वारा कहा गया कि, उनके महाविद्यालय द्वारा वे (डॉ. कारमोरे) ही नियमित प्राचार्य रहने की बात विद्यापीठ, उच्च शिक्षा सहसंचालक एवं पुलिस विभाग को सूचित की जा चुकी है. वहीं संस्था द्वारा तपोविन पाटील के खिलाफ की गई विभागीय जांच में पाटील दोषी पाये गये. जिसके बाद संस्था ने उन्हेें निलंबित करने का निर्णय लिया था. जिसे मान्यता देने हेतु विद्यापीठ द्वारा समिती गठित की गई है. इस जांच समिती सहित विद्यापीठ प्रशासन पर दबाव बनाने ेहेतु तपोविन पाटील द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के आमरण अनशन शुरू किया गया है. जबकि उन्हेें ऐसा करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. ऐसे में पाटील द्वारा किया जा रहा आमरण अनशन पूरी तरह से गैरकानूनी है.

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