‘तवेवाले’ बाबा ने किया था 12 वर्ष की आयु में दैवीय शक्ति मिलने का दावा
खुद को घोषित कर रखा था सच्चिदानंद व संत
* आश्रम में खुद की बडाई वाला लगा रखा था फलक
अमरावती/दि.28 – विगत कुछ दिनों से सोशल मीडिया सहित आम जनमानस में ‘तवेवाले’ बाबा की अच्छी खासी चर्चा चल रही है. जिनकी पहचान मार्डी निवासी सुनील कावलकर उर्फ गुरुदासबाबा के तौर पर हो चुकी है. लेकिन तवेवाला चमत्कार उजागर होने के बाद पूरा मामला खुद पर पलटते देख गुरुदासबाबा अचानक ही चारधाम की यात्रा पर रवाना हो गए है. जिनका अब तक कहीं कोई अता-पता नहीं है. ऐसे में अब बाबा के मार्डी स्थित आश्रम की पुलिस सहित स्थानीय लोगों द्बारा जांच पडताल की जा रही है. इस आश्रम में गुरुदासबाबा ने एक बडा लंबा चौडा फलक लगा रखा है. जिसमें अपने जीवन को ‘लार्जर देन लाइफ’ तरीके से पेश करते हुए बाबा की ओर से दावा किया गया है कि, उन्हें 12 वर्ष की उम्र में ही श्री शेषशायी भगवान नागदेवता, अन्नपूर्णा माता तथा सद्गुरु गुणवंत बाबा से कृपा प्रसाद मिलने के साथ ही दैवीय शक्ति प्राप्त हुए थे. इस फलक पर बाबा ने खुद को संत व सच्चिदानंद भी घोषित किया है. ऐसे में गुरुदासबाबा के तवे पर बैठकर किए गए फालतू प्रयोग और बाबा के आश्रम में लगे आत्मस्तुति वाले फलक को खुद मार्डी गांववासियों ने पूरी तरह से बकवास बताया है.
मार्डी गांववासियों के मुताबिक उनके ही गांव में रहने वाला सुनील कावलकर उनके साथ ही पढाई-लिखाई करते हुए बडा हुआ. ऐसे में वे उसके बारे में सबकुछ जानते है. अगर सुनील कावलकर को 12 वर्ष की आयु में कृपा प्रसाद व दैवीय शक्तियां प्राप्त हुए थे, तो यह बात मार्डी गांव में रहने वाले लोगों को भी पता होनी चाहिए थी. तबकि ऐसी कोई बात गांव में कभी किसी ने नहीं सुनी. जिसके चलते अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने केवल अखबारों में अपनी प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित करने की बजाय मार्डी स्थित गुरुदासबाबा के आश्रम में पहुंचकर यहां पर लोगो ंकी श्रद्धा के साथ चल रहे खेल को रुकवाना चाहिए.
* …तो बाबा ने मार क्यों खाई थी
सुनील कावलकर उर्फ गुरुदास बाबा के दैवीय शक्ति से संबंधित दावे को खुद मार्डी गांववासियों ने चुनौति दी है और जानना चाहा है कि, अगर बाबा में इतनी दैवीय शक्ति है, तो वे खुद पर हुए हमले को क्यों नहीं रोक पाए. लोगों के दुख दुर करने का दावा करने वाले गुरुदासबाबा खुद अपने मठ में पडे कथित डाके के समय हमले में घायल होकर लहूलूहान क्यों हो गए थे. उस समय बाबा में दैवीय शक्ति का कोई संचार क्यों नहीं हुआ था. उल्लेखनीय है कि, 11 अगस्त 2019 को एक अज्ञात वाहन में सवार होकर आए 7 से 8 डकैतों ने मठ में प्रवेश करते हुए डाका था, इसकी शिकायत सुनील कावलकर उर्फ गुरुदासबाबा ने कुर्हा पुलिस थाने में दर्ज कराई थी. जिसके बारे में अब मार्डी गांववासी खुले तौर पर अलग-अलग तरह की बातें कर रहे है.
* वह डाका नहीं था, बल्कि एक भक्त के परिजनों ने पिटाई की थी
मार्डी गांववासियों द्बारा किए गए दावे के मुताबिक बाबा के आश्रम पर हकीकत में कोई डाका नहीं पडा था. बल्कि बाबा ने अपने एक भक्त को सवा माह का इलाज बताने के साथ ही अपने आश्रम यानि मठ में रहने हेतु कहा था. जिसके चलते वह भक्त बाबा के आश्रम में रुक गया. लेकिन सवा महीने वाले उपचार के नाम पर उसके साथ कुछ गलत होने की खबर उसके परिजनों को लग गई. जिसके चलते उस भक्त के परिजनों ने आश्रम पहुंचते हुए जमकर राडा किया था और उसी झगडे में स्वघोषित गुरुदासबाबा को जमकर चोटे आई थी. यहीं वजह है कि, डाके की शिकायत दर्ज करने के बाद बाबा ने कभी भी यह जानने का प्रयास नहीं किया कि, उस शिकायत पर मामले की जांच कहा तक पहुंची है.
* क्यों चुनौति दे रहे है मार्डीवासी
अपने आश्रम में डाका पडने की शिकायत दर्ज करते समय गुरुदासबाबा ने खुद पुलिस को बताया था कि, डकैतों ने उसके सिर पर मटका फोड दिया था. जिससे उसके सिर पर काफी चोटेे आई थी. इसके अलावा डकैतों द्बारा सोेने की चार अंगुठियां व डेढ लाख रुपए की नगद रकम लूट लिए जाने की बात भी गुरुदासबाबा ने पुलिस को बताई थी. लेकिन वह डकैतों के चेहरे व पहचान संबंधित जानकारी पुलिस को नहीं बता पाया था. वहीं सबसे बडा सवाल यह है कि, दैवीय शक्ति के चलते गर्म तवे पर बैठने वाले बाबा के शरीर में उस समय किसी दैवीय शक्ति का संचार क्यों नहीं हुआ. अन्यथा वह डकैतों की ‘कृपा’ और ‘प्रसाद’ से बच जाता. यहीं वजह है कि, अब खुद मार्डी गांव में रहने वाले लोगबाग इस बाबा के दावों को चुनौति दे रहे है.