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जीएसटी की सख्त नीतियों के खिलाफ टैक्स बार एसो. ने किया शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन

आयकर व जीएसटी अधिकारियों को सौंपे गये ज्ञापन

अमरावती प्रतिनिधि/दि.29 – जीएसटी को लेकर सरकार की सख्त नीतियो के खिलाफ वेस्टर्न महाराष्ट्र टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसो. के आवाहन पर समूचे राज्य में 29 जनवरी को एक दिवसीय शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन आयोजीत किया गया. जिसमें अमरावती टैक्स बार एसो. ने भी सक्रिय रूप से हिस्सा लेते हुए सरकार की कडी नीतियो के प्रति अपना विरोध दर्शाया और जीएसटी सहित आयकर विभाग के अधिकारियों को इस संदर्भ में ज्ञापन सौपते हुए अपनी समस्याओं व मांगों से अवगत कराया गया.
इस आंदोलन के तहत आयकर विभाग की जेसीआईटी कुलकर्णी, स्टेट जीएसटी की जेसीएसटी पाचरणे तथा सेंट्रल जीएसटी के अधिक्षक गजानन देशमुख को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया कि, बड़े करदाताओं को ध्यान में रखते हुए अधिकांश रिटर्न और ऑडिट फॉर्म तैयार किए जाते हैं. उनके पास कानून द्वारा आवश्यक जटिलताओं का विवरण रखने और विभिन्न कार्यों को करने और प्रशिक्षित कर्मचारियों को रखने की क्षमता है. छोटे और मध्यम आकार के करदाता और व्यापारी ऐसा करने की स्थिति में नहीं हैं. अनुपालन का बोझ पूरी तरह से कर सलाहकार के कंधों पर टिकी हुई है. कानून में बार-बार बदलाव, ऑनलाइन प्रक्रिया, उसमें लगातार बदलाव और नए संस्करणों के कारण, खातों के ऑडिटिंग का काम बहुत थकाऊ और समय लेने वाला है. बिना पर्याप्त पूर्व सूचना के परिवर्तन किए जाते हैं. परिवर्तन और जिस तारीख पर वे लागू होते हैं, उस पर नज़र रखना तत्काल आवश्यक है. इसके अतिरिक्त, कानून में कई मद्धिम प्रावधान हैं, यदि-तब, नियम और शर्तें, प्रावधान, अपवाद, आदि जो आसानी से समझ में नहीं आते हैं, इस प्रकार जटिलता और तनाव बढ़ जाता है. आयकर और जीएसटी के तहत प्रावधान सामान्य लेखांकन विधियों और मानदंडों से अलग हैं. यही वजह है कि करदाताओं के आयकर और जीएसटी रिटर्न के मिलान से कार्यभार में भारी वृद्धि हुई है. आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों द्वारा ऑनलाइन प्रस्तुत की गई विभिन्न रिपोर्टों को पार करना भी आवश्यक है. यह एक थकाऊ और समय लेने वाला कार्य है. पिछले एक दशक में कानून के अनुपालन का मतलब लगभग हर लेनदेन को बेहतरीन विवरण के साथ अपलोड करना है. टीडीएस और टीसीएस नेटवर्क में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और जीएसटी के तहत आईटीसी के कारण काम का बोझ बहुत बढ़ गया है. साथ ही, रिटर्न की संख्या और आवृत्ति सीमा से अधिक हो गई है. जीएसटी के तहत आईटीसी प्राप्त करने के लिए कई बाधाएं और प्रतिबंध हैं इसे सत्यापित करना एक जटिल कार्य है. रिवर्स चार्ज टैक्स ने परेशानी बढ़ा दी है. अधिकांश प्रावधान व्यक्तिपरक हैं और इसलिए विशेषज्ञ की सलाह या गहन अध्ययन की आवश्यकता है. यह उन लोगों के लिए बहुत मुश्किल है, जो अध्ययन के लिए समय खोजने के लिए दिन-रात प्रक्रियात्मक कार्य में व्यस्त हैं. यह आदर्श नहीं है, लेकिन वर्तमान कर प्रणाली का एक तथ्य है. जैसा कि जीएसटी सुधार या संशोधित रिटर्न की अनुमति नहीं देता है, कर पेशेवरों को कर्मचारियों द्वारा किए गए काम की सटीकता की लगातार जांच करनी होती है. ई-वे बिल ब्लॉक करने से और रजिस्ट्रेशन रद्द करने से वर्कलोड बढ़ता है. कर पेशेवरों को कर्मचारियों पर निर्भर रहना पड़ता है. ऊपर उल्लिखित जटिल कर प्रावधानों और अन्य मुद्दों के कारण, कर्मचारी कानून, नियमों और कंप्यूटरों के बारे में जानकार होने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं. यहां तक कि छोटी से छोटी गलती भी दंडात्मक कार्रवाई को आमंत्रित करती है.
इसके साथ ही टैक्स बार एसो. के पदाधिकारियों द्वारा आशा जतायी गयी कि, उनके विरोध को सही भावना से लिया जाएगा और संबंधित अधिकारी इस पर ध्यान देंगे. साथ ही इस विषय को लेकर सही निर्णय लिया जायेगा, ताकि भविष्य में दुबारा ऐसे विरोध प्रदर्शन व आंदोलन करने की जरूरत ना पडे. ज्ञापन सौंपते समय टैक्स बार एसो. के अध्यक्ष एड. राजेश मूंधडा व सचिव एड. संदीप अग्रवाल, ट्रेड एसो. के विनोद कलंत्री व सुरेद्र देशमुख सहित एड. हेमंत सांघाणी, एड. संजय चोरडिया, एड. अय्याज खान, एड. प्रवीण आगासे, एड. अनिल अडवानी, सीए पी.सी. अग्रवाल, एड. आर. एस. लढ्ढा, एड. जगदीश शर्मा, एड. विजय बोथरा, सीए दिनेश राजदेव, सीए राजेश अटल, सीए सुनील अग्रवाल, एड. रजनीश केला, सीए आदित्य खंडेलवाल, सीए निलेश लाठीया, सीए ललीत तांबी, एड. अतुल भारद्वाज, एड. सूर्यकांत पारेकर आदि उपस्थित थे.

 

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