नागपुर/दि.29- वनराई के विश्वस्त डॉ. गिरीश गांधी नागपुर शीत सत्र दौरान पक्ष और विपक्ष के बीच रोज हो रही हंगामे की प्रतिस्पर्धा से खासे खफां हो गए हैं. वे इस कदर नाराज है कि कभी आवभगत और मनवार के लिए प्रसिद्ध गांधी ने सत्र हेतु विदर्भ में आये मेहमानों को वापस चले जाने कहा है. बाकायदा खुला पत्र लिखा है. उनका यह पत्र पूरे विदर्भ में चर्चा का विषय बना है.
डॉ. गांधी ने पत्र में लिखा कि जो हुडदंग पिछले सप्ताह देखने मिला, वहीं अंतिम सप्ताह में भी दिखाई दे रहा है. जिससे मन में अनेक प्रश्न उठ रहे हैं. विदर्भ की समस्याओं और योजनाओं को छोड़कर नाहक विषयों पर चर्चा की जा रही है. समय और ऊर्जा बर्बाद हो रही है. कोरोना का मामला है, बजट के बावजूद पूरक मांगे मंजूर की जा रही है. सदन में और सदन के बाहर पक्ष और विपक्ष हंगामा कर रहा है. गांधी ने इसके लिए धिगांना जैसा कडा शब्द इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि, ऐसी परिस्थिति बनी है कि इस पर क्या कहे? उससे तो बहेतर है कि सत्र खत्म कर विदर्भ में आए मेहमान लौट जाए.
गांधी ने एक सजग नागरिक के रुप में यह पत्र लिखा है जिसका शीर्षक ‘मेहमान लौट जाए’ है.
* प्रदेश की संस्कृति अलग
प्रदेश के अनेक बडे नेता विदर्भ में आने के बाद यहां के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजकीय क्षेत्र के लोगोें से मेल मुलाकात कर उनकी समस्याएं तथा दिक्कतें जानने एवं उन्हें दूर करने का प्रामाणिक प्रयत्न करते आएं है. विदर्भ की जनता ने भी नेताओं पर भरोसा किया. विदर्भ की एक अलग संस्कृति है. पत्र में गांधी ने कहा कि, यहां के लोग किसी कार्यकर्ता अथवा राजनेता का अपमान नहीं करते. बल्कि यहां के लोग कुछ नेताओं की भाषा अश्लाघ्य होने पर भी उसे नजरअंदाज करने के अनक उदाहरण दिए जा सकते हैं.