चिखलदरा/दि.24 – यहां से मात्र 5 कि.मी. दुरी पर बसे मोथा गांव में पिछले 15 दिनों में शेर द्बारा 4 पालतु पशुओं का शिकार करने से भारी दहशत दिखाई दे रही है. प्रादेशिक वन विभाग के घटांग रेंज में आने वाला यह गांव गवली समाज का गांव है तथा इनका मुख्य व्यवसाय ही गाय, भैस, बकरी पालन तथा दुध व्यवसाय मुख्य व्यवसाय होने के चलते इनके पशुओं की हो रही शिकार के कारण गवली समाज में भारी नाराजी है.
कल दोपहर 4 बजे शेर द्बारा बाबुलाल बाटु दहिकर इनकी एक भैस तथा एक बगार का शिकार किया. उसके तीन दिन पहले सोनु शंकर भाकरे की एक गाय तथा पंद्रह दिन पहले शंकर शनवारे की एक भैस का शिकार किये जाने की जानकारी मिली है. मगर अगस्त महिने में कई बकरीयां तथा अन्य पालतु पशु का शिकार होने की बात मोथा गांव के पूर्व उपसरपंच साधु राम पाटील ने दी है.
विशेष बात यह है कि, जहां शिकार की घटनाएं हो रही है, वह टायगर प्रोजेक्ट का एरिया अथवा बफर झोन का एरिया है. बल्कि वह पूरा इलाका फॉरेस्ट में आता है. ऐसे में मुंह को खून लगे इस बाघ का बंदोबस्त करना वनविभाग की जबाबदारी है. अन्यथा किसी भी वक्त यह बाघ शहरवासियों पर भी हमला कर सकता है. ऐसे में सैलानियों सहित शहरवासियों के साथ कभी भी कोई बडी घटना घट सकती है.
इसी परिसर में स्थायी निवास करने वाले इस बाघ के दिन में ही हमला करने की घटना वनविभाग के लिये एक चुनौती की तरह है. वहीं भैस की कीमत 60 हजार रहने के बावजूद भैस का शिकार होने पर गवली समाज को वनविभाग द्बारा 10 से 15 हजार रुपए ही दिये जा रहे है. यह अन्यायकारक तथा एक तरह का मजाक शासन द्बारा करने की भावना गवली समाज के नेताओं द्वारा व्यक्त की गई है.