16 विधायकों की अपात्रता बाबत ठाकरे गुट को झटका
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को राहत
मुंबई/दि.3- राज्य के शिवसेना के शिंदे और ठाकरे गुट के विवाद पर 11 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 विधायकों की अपात्रता याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष को तय समयावधि में निर्णय लेने के निर्देश दिए थे. लेकिन इस निर्देश के बाद अब तक 16 विधायकों की अपात्रता पर अध्यक्ष ने सुनवाई नहीं की है. इस कारण ठाकरे गुट ने फिर से सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई है. लेकिन यह सुनवाई देरी से रहने के कारण ठाकरे गुट को झटका लगा है.
विधानसभा अध्यक्ष यह अपात्रता याचिका पर निर्णय लेने में टालमटोल करते रहने का आरोप कर ठाकरे गुट ने गत माह में सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई है. ठाकरे गुट के विधायक सुनील प्रभू ने दो माह होने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष व्दारा निर्णय न लिए जाने की बात कर यह याचिका दायर की है. शिंदे-ठाकरे गुट के विवाद पर 11 मई को सर्वोच्च न्यायालय में फैसला सुनाते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों आपात्रता याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष को निश्चित कालावधि में निर्णय लेने के निर्देश दिए थे. फिर भी राहुल नार्वेकर जानबूझकर सुनवाई देरी से करते रहने का आरोप इस याचिका में किया गया है. अब इस याचिका पर सुनवाई डेढ माह बाद होने वाली है. शिवसेना के 16 विधायकों के अपात्रता की सर्वोच्च सुनवाई फिर लंबित हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने विधायक अपात्रता की याचिका की सुनवाई 18 सितंबर को लेने की बात आज कही. इस कारण इस निर्णय का और डेढ माह इंतजार करना पडेगा. तब तक विधानसभा अध्यक्ष इस संदर्भ में निर्णय लेने की संभावना है. इस कारण आगामी एक माह में राज्य की राजनीती में और कुछ महत्वपूर्ण गतिविधियां होने की संभावना दर्शायी जा रही है. शिवसेना का नाम और धनुष्यबाण चिन्ह बाबत भी इसी दिन सुनवाई होने की जानकारी है. इस कारण ठाकरे और शिंदे गुट के लिए 18 सितंबर का दिन महत्वपूर्ण रहनेवाला है. यह सुनवाई अब देरी से होने के कारण ठाकरे गुट को फिर इंतजार किए बिना पर्याय नहीं रहेगा.
* राहुल नार्वेकर भी एक्शन मोड पर
यह याचिका दायर होने के बाद राहुल नार्वेकर ने पहल करते हुए शिंदे गुट के 40 और ठाकरे गुट के 14 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इन विधायकों को अपात्र क्यों न किया जाए, ऐसा पूछते हुए 7 दिन के भीतर जवाब मांगा है. लिखित जवाब न आया तो विधानसभा अध्यक्ष विधायकों को प्रत्यक्ष सुनवाई के लिए बुलाने वाले हैं. चुनाव आयोग की तरफ से विधिमंडल को शिवसेना के घटना की प्रति प्राप्त हुई है. इस पर तथा विधायकों व्दार दिए सबूतों के आधार पर नार्वेकर फैसला सुनाने वाले हैं.