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‘उस’ डॉक्टर ने अब खुद फोन कर खुलासा किया

मैने बकाया बिल मांगा था, डेथ सर्टिफिकेट देने मैं तैयार हूं

अमरावती/प्रतिनिधि दि.9 – गत रोज एक कोविड संक्रमित मरीज की मौत होने के बाद उसके रिश्तेदारों से निजी कोविड अस्पताल के संचालक द्वारा कोविड मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने हेतु दो लाख रूपये मांगे जाने का कथित मामला प्रकाश में आया था, जब गजानन रिठे नामक मरीज के साढूभाई ने मनपा पहुंचकर यह आरोप लगाया था. किंतु अब पता चला है कि, यह मामला बिल्कुल उलटा था.
उल्लेखनीय है कि, गत रोज दैनिक अमरावती मंडल ने बिना किसी का नाम लिये हुए यह खबर प्रकाशित की थी. पश्चात एमआयडीसी रोड पर इससे पहले अंबादेवी कोविड हॉस्पिटल का संचालन कर चुके डॉ. अंकुश नवले ने दैनिक अमरावती मंडल से संपर्क कर जानकारी दी कि, जिस समय अंबादेवी कोविड हॉस्पिटल शुरू था, तब उनके यहां गजानन रिठे नामक कोविड संक्रमित व्यक्ति को इलाज के लिए लाया गया था. जो उनके अस्पताल में करीब 10 दिन भरती रहा. पश्चात उसकी मौत हो गयी. रिठे परिवार द्वारा अस्पताल को गजानन रिठे के इलाज के लिए एक रूपये का भुगतान नहीं किया गया, जबकि इस दौरान गजानन रिठे के इलाज पर करीब 1 लाख 40 हजार रूपये का खर्च हुआ था. किंतु इसके बावजूद बकाया बिल के भुगतान हेतु गजानन रिठे का शव अस्पताल द्वारा रोका नहीं गया और स्वास्थ्य कर्मियों ने रिठे परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में गजानन रिठे के पार्थिव का अंतिम संस्कार करवाया. डॉ. अंकुश नवले के मुताबिक उन्होंने कोविड महामारी की गंभीरता को समझते हुए पैसों की लालच किये बिना मरीजों का इलाज किया और कई मरीजों को बिल में काफी छूट भी दी. साथ ही कभी किसी मरीज को एडवांस के लिए नहीं अडाया. चूंकि रिठे परिवार ने उन्हें एक रूपये का भी भुगतान नहीं किया था. अत: उन्होंने केवल एक-दो बार रिठे परिवार के सदस्यों से संपर्क कर अपने बकाया बिल का भुगतान करने का निवेदन किया. किंतु इसका यह मतलब नहीं कि, उन्होंने गजानन रिठे का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए पैसे मांगे है. साथ ही डॉ. नवले ने यह भी कहा कि, कोविड अस्पताल चलाने में उन्हें काफी नुकसान हुआ है. जिसकी वजह से उन्होंने अपना कोविड अस्पताल भी बंद कर दिया.

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