‘वह’ रेमडेसिविर इंजेक्शन सरकारी अस्पताल के
मामला रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का
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दो जब्त इंजेक्शन के ‘बैच नंबर’ इर्विन के स्टॉक से जुडे
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एक इजेक्शन के ‘बैच नंबर’ की चल रही जांच
अमरावती/प्रतिनिधि दि.15 – मंगलवार को रातभर आयुक्तालय पुलिस की अपराध शाखा के दल तथा अन्न व औषधि प्रशासन विभाग की ओर से रातभर शहर में चलाई गई छापामार मुहिम के तहत रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का पर्दाफाश करते हुए 12 रेमडेसिविर इंजेक्शन जब्त किये थे. इन इंजेक्शनों पर अंकित रहने वाले ‘बैच नंबर’ के आधार पर जिला प्रशासन की ओर से इस मामले की जांच आरंभ की गई थी. खबर है कि जब्त किये गए रेमडेसिविर इंजेक्शन में से 2 इंजेक्शन के ‘बैच नंबर’ इर्विन अस्पताल में रखे गए सरकारी कोटे के रेमडेसिविर इंजेक्शन से जुड गए है. जबकि 1 इंजेक्शन के ‘बैच नंबर’ का पुलिस व अन्न व औषधि प्रशासन विभाग पता लगा रहा है. जांच अधिकारियों को यह भी शक है कि यह इंजेक्शन भी सरकारी कोटे का ही है और यह इंजेक्शन इर्विन अस्पताल से जिले के सरकारी कोविड सेंटर जैसे की अचलपुर के कुटीर अस्पताल, मोर्शी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, तिवसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और नांदगांव खंडेश्वर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कोरोना मरीजों के लिए भेजे जाते थे. जिससे यह चित्र अब लगभग स्पष्ट होते जा रहा है कि जिन रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी चल रही थी, वे इंजेक्शन सरकारी कोटे के थे.
उल्लेखनीय है कि मंगलवार की रात क्राईम ब्रांच पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले गिरोह तक पहुंचने के लिए एक नकली ग्राहक बनाया. इस ग्राहक के माध्यम से पुलिस ने मंगलवार की रात 8 बजे कैम्प कॉर्नर परिसर में सुपर कोविड अस्पताल के वार्डबॉय शुभम सोनटक्के और शुभम किल्लेकर को पकडा. उनके पास से कैडिला कंपनी के 2 रेमडेसिविर इंजेक्शन जब्त किये गए. इन दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने के बाद पुलिस दल भातकुली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के क्वार्टर में गए. वहां से डॉ.अक्षय राठोड को हिरासत में लेकर उसके पास से 1 ओैर इंजेक्शन जब्त किया गया. उसके बाद सुपर कोविड अस्पताल की नर्स पूनम सोनोने के पास से 1 और लैब असिस्टंट अनिल पिंजरकर और तिवसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.पवन मालुसरे के पास से इस तरह कुल कार्रवाई में पुलिस ने 12 रेमडेसिविर इंजेक्शन जब्त किये थे. इनमें कैडिला कंपनी के 3, हेट्रा कंपनी के 5, सिपला कंपनी के 2 और रेमड्रे कंपनी के 2 इंजेक्शन जब्त किये थे. रेमडेसिविर इंजेक्शन की इस कालाबाजारी के मामले में पकडे गए सभी आरोपी स्वास्थ्य विभाग से जुडे रहने से पहले से ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि जिस रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी चल रही है, वह शासकीय कोटे के है. इसी बीच आज खबर मिली कि जब्त किये गए रेमडेसिविर इंजेक्शन में से 2 रेमडेसिविर इंजेक्शन के ‘बैच नंबर’ इर्विन अस्पताल के स्टॉक रुम से भेजे गए इंजेक्शन के है. इसकी पुष्टी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर रहे है. जबकि सूत्रों ने यह भी बताया कि एक इंजेक्शन के ‘बैच नंबर’ की फिलहाल जांच चल रही है.
उल्लेखनीय है कि बुधवार को सुबह ही रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का पर्दाफाश होते ही जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित की थी. वहीं पुलिस विभाग ने भी इस मामले की जांच के लिए अन्न व औषधि प्रशासन विभाग के निरीक्षक मनीष गोटमारे को रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा हेै.
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एक ‘बैच नंबर’ के बक्से में रहते है 500 इंजेक्शन
इसी बीच सूत्रों से पता चला है कि एक ‘बैच नंबर’ के इंजेक्शन के बक्से में 500 व्हायल रहते है. इस तरह रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के दौरान पुलिस व्दारा जब्त किये गए इंजेक्शन में से 2 इंजेक्शन के ‘बैच नंबर’ यह इर्विन के स्टॉक में रखे गए इंजेक्शन से जुड चुके है. अब इस ‘बैच नंबर’ के इंजेक्शन जिले के कोैनसे सरकारी कोविड सेंटर को भेजे गए इसका पता लगाया जायेगा. जिससे यह स्पष्ट होगा की जब्त किये गए इंजेक्शन सुपर कोविड अस्पताल के है या तिवसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को दिये हुए. फिलहाल इस मामले की प्रशासनीक स्तर पर गंभीरता से जांच चल रही है.