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बहुचर्चित हब्बू शहा मर्डर के सभी आरोपी बरी

वर्ष 2014 में नुरानी चौक पर हुआ था हत्याकांड

* कई बडे नाम भी आए थे लपेटे में, राजनीतिक सनसनी मची थी
अमरावती/दि.5 – सन 2014 में अमरावती शहर सहित स्थानीय राजनीतिक वातावरण को दहला देने वाला बहुचर्चित व सनसनीखेज हब्बू शहा हत्याकांड घटित हुआ था. इस मामले की सुनवाइ करते हुए आज स्थानीय जिला व सत्र न्यायाधीश श्रीमती राव की अदालत ने इस हत्याकांड के प्रमुख आरोपी शाहबाज हुसैन बशीर हुसैन, शाकीर हुसैन अमिर हुसैन तथा शेख अकील भंगारवाला (सभी हैदरपुरा निवासी) को भादवि की धारा 302, 307 व 34 के तहत दर्ज अपराध से बाइज्जत बरी कर दिया.
इस्तगासे के मुताबिक रशीद शहा वजीर शहा नामक व्यक्ति द्बारा दी गई शिकायत के अनुसार 21 जून 2014 को शाम 6 बजे के आसपास नुरानी चौक के चारा बाजार परिसर में आरोपी शाहबाज हुसैन ने हब्बू शहा को पैरो पर चाकू मारकर गंभीर रुप से घायल किया था. वहीं दूसरे आरोपी शाकीर हुसैन ने हब्बू शहा और रशीद शहा को पाईप से मारा, वही तीसरे आरोपी शेख अकील ने दोनों आरोपियों के साथ मिलकर उन पर जानलेवा हमला किया. हमले की जानकारी मिलने के बाद नागपुरी गेट पुलिस ने दोनों घायलों को जिला सामान्य अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां पर इलाज के दौरान हब्बू शहा की मौत हो गई थी. इसके तुरंत बाद नागपुरी गेट पुलिस ने शाहबाज हुसैन और शेख अकील को अपनी गिरफ्त में लिया. जिनकी निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त चाकू व खून से सने कपडे बरामद किए गए. साथ ही कुछ समय बाद फरारी में रहने वाले शाकीर हुसैन को भी गिरफ्तार करते हुए हत्या में प्रयुक्त पाइप और खून से सने कपडे बरामद किए गए. जिसके बाद स्थानीय जिला व सत्र न्यायालय में दो अलग-अलग चार्जशीट पेश की गई. जहां पर हुई सुनवाई के दौरान फिर्यादी रसीद शहा के साथ ही गवाह के तौर पर 6 लोगों के बयान दर्ज किए गए. इस समय बचाव पक्ष की ओर से जोरदार युक्तिवाद करते हुए गवाहों के बयान और अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तूत किए गए साक्ष्यों व सबूतों में विसंगतियां रहने की बात अदालत के ध्यान में लाई गई. ऐसे में अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए इस हत्याकांड के तीनों प्रमुख आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया.
इस मुकदमें की पैरवी के दौरान इस सनसनीखेज हत्याकांड के प्रमुख आरोपी शाहबाज हुसैन की ओर से एड. नरेंद्र दुबे, शाकीर हुसैन की ओर से एड. प्रशांत देशपांडे तथा शेख शकील की ओर से एड. वासुदेव नवलानी ने सफलतापूर्वक युक्तिवाद किया.
* दो पूर्व पार्षदों के नाम भी आए थे मामले में
बता दें कि, इस हत्याकांड को लेकर रशीद शहा द्बारा दिए गए बयान में बताया गया था कि, 21 जून 2014 की शाम जब वह अपने घर पहुंचा को घर के बगल में पानठेले के पास उसके बडे भाई हबीब शहा उर्फ हब्बू शहा के साथ रफ्फू पत्रकार व बब्बू बंझोठा बात करते खडे रहे. जिनकी रोड के काम को लेकर कुछ बातचीत चालू थी. उसी समय वहां पर क्रिम लकर की स्कार्फियो कार में बैठकर शेख जफर शेख जब्बार, आसिफ काल्या, शातीर हुसैन व शाहबाज पहुंचे. जिसमें से आसिफ काल्या ने नीचे उतरकर हब्बू शहा को गाडी में बैठने के लिए कहा और जब हब्बू शहा ने गाडी में बैठने से मना किया, तो शेख जफर, शाकीर और शाहबाज भी नीचे उतरे और हब्बू शहा से हुज्जतबाजी करने लगे. इस समय आसिफ काल्या और शाहबाज ने हब्बू शहा पर चाकू से वार किया. साथ ही शेख जफर ने अपनी जेब से रिवाल्वर निकाल ली. जिससे उसने रसीद शहा के माथे पर मारा. इतने में बब्बू बंझोठा और लच्छू ने भी गुप्ती निकालकर सपासप वार किए. इस समय तक अकील भंगारवाला और नईम उस्मान का लडका हाथ में लाठी लेकर आए और सभी लोगों ने हबीब शहा और रशीद शहा को मिलकर मारना शुुरु किया. इस समय रफ्फू ने जैसे ही यह कहा कि, अब हब्बू मर जाता, लेकिन रशीद को छोडो मत जफर भाई. तो यह सुनते ही रशीद शहा अपनी जान बचाकर हनुमान नगर की ओर भागा और अपने भतीजे कलीम को सराफा बाजार की मस्जिद के पास बुलाया. जहां से दोनों नागपुरी गेट पुलिस स्टेशन पहुंचे. तब पुलिस ने रशीद शहा के साथ ही हबीब शहा को भी इर्विन अस्पताल में भर्ती करवाया, लेकिन तब तक हबीब शहा की मौत हो गई थी. जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में धारा 302, 307 और 34 के तहत अपराध दर्ज करते हुए स्थानीय अदालत में चार्जशीट पेश की थी. जहां पर हुई सुनवाई के बाद स्थानीय अदालत ने इस मामले में नामजद तीनों प्रमुख आरोपियों को हत्या व हत्या के प्रयास के आरोप से बाइज्जत बरी कर दिया.

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