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अब सहन नहीं होता ऐसा लिखा और गोली मार ली…!
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अचलपुर अतिरिक्त सत्र न्यायालय का फैसला बाकी
परतवाड़ा/अचलपुर दि. २२ -मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के गुगामल वन्यजीव विभाग अंतर्गत हरिसाल की रेंजर दीपाली चौहान की आत्महत्या में मुख्य अभियुक्त निलंबित उपवनसंरक्षक विनोद शिवकुमार की जमानत पर आज अतिरिक्त सत्र न्यायालय में न्यायधीश के.एस.मुंगीनवार के समक्ष दोनों पक्षो की ओर से अपनी-अपनी दलीलें अदालत के सामने रखी गई.
मुख्य अभियुक्त की तरफ से आज जमानत दिलवाने के लिए अमरावतीं के वकील प्रशांत देशपांडे ने युक्तिवाद किया.देशपांडे ने अदालत को बताया कि शिवकुमार एक डीएफओ है और खूब मेहनती है.वो अपने कर्तव्य का पालन भलीभांति करते आ रहे.डीएफओ के रूप में उन पर काफी जिम्मेदारियां है,उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने की कतई आवश्यकता नही थी.आरएफओ की ड्यूटी होती है कि वो रोजाना डीएफओ को रिपोर्टिंग करे,दीपाली ऐसा कुछ भी नही करती थी.दीपाली को उसे दिये काम में कभी रुचि नहीं रहती थी.तीन मामलों में आवेदक डीएफओ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए तारीफ के काबिल कार्य किया है.दीपाली को शिवकुमार के व्यवहार पर आक्षेप था.उसका तबादला नही किया जा रहा इससे रोष था.दौरे पर रहते हुए दीपाली को डीएफओ,आरएफओ तकलीफ देते थे.दौरे पर उसे त्रास देने से गर्भपात हुआ यह जांच का विषय है.पुलिस ने जो भादवी की कलम दर्ज की वो गलत है.व्याघ्र प्रकल्प की ओर से आवेदक के खिलाफ अभी तक कोई विभागीय कार्रवाई नही की गई. आवेदक शिवकुमार फिलहाल नागपुर हेडक्वार्टर अटैच है इसलिए वो किसी को भी धमकी नही दे सकता. पूरे मामले की जांच कागजातों और दस्तावेज पर आधारित है,इसलिये मेरे मुवक्किल को जमानत दी जानी चाहिए.
शिवकुमार की जमानत का प्रखर विरोध करते हुए शासकीय जिला अधिवक्ता(डीजीपी )परीक्षित गणोरकर ने युक्तिवाद करते हुए अदालत से कहा कि मरने के लिए प्रवृत्त करना यह केस टू केस अलग अलग तथ्यों के साथ सामने आया है.मृतक द्वारा लगाए व लिखे गए आरोपी सीधे आरोपी पर है,इसमें कुछ भी काल्पनिक नही है.चिट्ठी में मृतक द्वारा लिखा गया कि ‘अब सहन नहीं होता और उसने स्वयं को गोली मारकर अपने प्राण ले लिए . यह आरोपी की प्रताड़ना को ही उजागर करते है.ड्यूटी का भाग है ऐसा कहकर आरोपी यह आपराधिक कार्य नहीं कर सकता,प्रथमदृष्टया तथ्य प्राप्त होने पर ही भादवी 306 की कलम दर्ज की गई, घटना होते ही आरोपी का फरार होकर नागपुर भाग जाना उसके गलत इशारों को सिध्द करने काफी है.घटना काफी संवेदनशील है,इसकी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आरोपी यह गवाहों को धमकी देकर चुप कराने का काम कर सकता साथ ही वो परिस्थितिजन्य सबूत मिटाने की कोशिश भी कर सकता. मामले की पूरी और विस्तृत जांच के लिए कम से कम एक वर्ष लगेगा इसलिए आरोपी शिवकुमार की जमानत रद्द की जाए ताकि दीपाली को इंसाफ मिल सके.
आज एड प्रशांत देशपांडे और डीजीपी परीक्षित गणोरकर दोनों ने अपनी अपनी दलील कोर्ट के सामने रखी.कोरोना संक्रमण के चलते अदालत का समय दोपहर 2बजे तक कर दिया गया है.दोनों पक्षो का युक्तिवाद सुनने के बाद अदालत ने आज ही निर्णय देना अपेक्षित था,लेकिन समय हो जाने के कारण सब कोर्ट कल 23 अप्रैल को जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनायेगी. आज की अदालत के युक्तिवाद कार्य की जानकारी डीजीपी परीक्षित गणोरकर ने प्रस्तुत प्रतिनिधि को दी.एजीपी भोला चौहान ने आज की सुनवाई में गणोरकर को सहयोग दिया.कल शुक्रवार को शिवकुमार की जमानत पर क्या फैसला आयेगा इस ओर सभी की नजरें लगी हुई है.