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सभापति रासने की सुझबूझ से योगीराज संस्था की पोल खुली

ठेका नियुक्त वाहन चालकों पर हो रहा अन्याय भी टला

  • निविदा प्रक्रिया रद्द करने से उजागर हुई जालसाजी

अमरावती/प्रतिनिधि दि.27  – कुछ दिन पूर्व तीन माह का वेतन प्रलंबित रहने से मनपा में कार्यरत अस्थायी कर्मचारी दिनेश ठवली ने विष प्राशन कर आत्महत्या करने का प्रयास किया था. वहीं अब गत रोज मनपा की सेवा में रहनेवाले ठेका नियुक्त वाहन चालक प्रणय प्रकाशराव बागडे ने तीन माह का वेतन प्रलंबित रहने और उसे बिना नोटीस दिये काम से निकाल दिये जाने को लेकर प्रशासन से आत्महत्या करने की अनुमति दिये जाने की मांग की गई है. जिससे मनपा में ठेका नियुक्त कर्मचारियों के साथ सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा. ऐसी चर्चाएं चल पडी है. इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए विगत दिनों मनपा के स्थायी समिती सभापति सचिन रासने द्वारा ठेके पर नियुक्त किये जानेवाले वाहन चालकों की निविदा प्रक्रिया को रद्द करने का निर्णय लिया गया. जिससे मनपा की सेवा में रहनेवाले ठेका नियुक्त वाहन चालकों पर हो रहा अन्याय टल गया और इस काम का ठेका रहनेवाली योगीराज संस्था की अनियमितताएं भी सामने आयी.
बता दें कि, मनपा में न्यूनतम वेतन कानून के अनुसार 20 कर्मचारी व दैनिक वेतन के आधार पर 6 लोग काम कर रहे थे. जिन्हें वर्ष 2017 में काम से हटा दिया गया था और उनके द्वारा सरकार से गुहार लगाये जाने पर उन्हें दुबारा सेवा में शामिल किया गया. इसी तरह प्रणय बागडे विगत छह वर्षों से मनपा के दमकल विभाग में बतौर वाहन चालक कार्यरत थे और 2 से 16 मार्च के दौरान कोविड संक्रमित रहने की वजह से सुपर कोविड अस्पताल में भरती थे. साथ ही डॉक्टरों की सलाह पर 30 मार्च तक अपने घर में रहकर आयसोलेशन की अवधि पूर्ण कर रहे थे. जिसके बारे में उन्होंने प्रभारी दमकल अधीक्षक व ठेकेदार एजन्सी को सूचित किया था. इसके बावजूद उन्हें बिना सूचना दिये हुए काम से निकाल दिया गया. साथ ही उन्हें उनका तीन माह का वेतन भी नहीं दिया गया. ऐसे में बागडे द्वारा इसकी शिकायत मनपा उपायुक्त से भी की गई थी. ऐसे में लगातार मिल रही शिकायतोें को देखते हुए स्थायी समिती सभापति ने ठेके पर नियुक्त किये जानेवाले वाहन चालकोें की निविदा प्रक्रिया को रद्द कर दिया. जिससे वाहन चालकों पर होनेवाले अन्याय का रास्ता फिलहाल बंद हो गया है. साथ ही भविष्य में इस तरह का ठेका देते वक्त करारनामे में वाहन चालकोें के साथ अच्छे बर्ताव व उन्हें नियमित वेतन दिये जाने की शर्तों का समावेश किया जायेगा. स्थायी समिती के इस फैसले से मनपा प्रशासन ने भी राहत महसूस की है. क्योेंकि ठेकेदार एजेन्सी योगीराज संस्था के कामों की वजह से बेवजह प्रशासनिक अधिकारियों व पदाधिकारियों की बदनामी होती है और नागरिकों में भी संभ्रम निर्माण होता है. ऐसे में इस ठेके को रद्द करते हुए स्थायी समिती में एक ही तीर से दो निशाने साधे है. क्योेंकि अब वाहन चालकों पर अन्याय नहीं होगा और ठेका लेनेवाली संस्था की नकेल भी कसी जायेगी. साथ ही मनपा प्रशासन को भी नाहक बदनामी का सामना नहीं करना पडेगा.

 

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ठेका पध्दति पर कार्यरत वाहन चालकों पर जिस तरह से अन्याय हो रहा था और वेतन देने में अनियमितता हो रही थी. उसे लेकर कई शिकायतें प्राप्त हुई थी. जिस पर प्रशासन के साथ रायशुमारी करने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की गई है.

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