अमरावती प्रतिनिधि/दि.१२- पांच दिन चलनेवाले प्रकाशोत्सव की आज गुरूवार 12 नवंबर से शुरूआत हो गयी है और रंग-बिरंगी दीयों से पूरा शहर नहा उठेगा. वसूबारस को दीपावली का पहला दिन माना जाता है. जिसके चलते गुरूवार को वसूबारस पर्व के निमित्त शहर सहित जिले में जगह-जगह पर गाय व बछडे की पूजा की जायेगी.
बता देें कि, वसूबारस को गाय व बछडे की सवत्स् पूजा करने के साथ ही उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है. साथ ही वसू बारस की शाम से ही दीप पंक्तियों को सजाना शुरू किया जाता है. ऐसे में वसू बारस से ही सही मायनों में दीपोत्सव पर्व का प्रारंभ होता है. धन-धान्य एवं समृध्दि का प्रतिक रहनेवाले दीपोत्सव के पहले दिन अपने पशुधन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु वसूबारस का पर्व मनाया जाता है. उल्लेखनीय है कि, भारतीय संस्कृति में विभिन्न त्यौहारों पर निसर्ग एवं निसर्ग के प्रतिकों का पूजन किया जाता है. जिनमें पशुपक्षियों व वृक्षों का बडा महत्व है. वसू बारस भी इसका ही एक हिस्सा है. दीपावली पर्व के प्रारंभ में सबसे पहले अश्विन माह की वद्य द्वादशीवाले दिन मनाये जानेवाले वसूबारस को गोवत्स द्वादशी भी मनाया जाता है. मान्यता है कि, समुद्र मंथन के समय पांच कामधेनू उत्पन्न हुई थी. जिसमें से नंदा नामक धेनू का पूजन करने हेतु यह व्रत किया जाता है. इस दिन कई जन्मोें की कामनाएं पूर्ण होने हेतु बछडे सहित गाय का पूजन किया जाता है. और इस दिन से ही घर के सामने दीप पंक्तियां सजाते हुए रंगोली भी निकाली जाती है. कुछ महिलाएं इस दिन उपवास भी करती है और इस दिन गेहू व मूग का सेवन नहीं किया जाता. बल्कि व्रत करनेवाली महिलाएं बाजरे की रोटी और गवारफल्ली की सब्जी खाकर अपना व्रत खोलती है. साथ ही इस दिन खेती-किसानी में भरपुर उत्पादन हो, घर परिवार में सबका स्वास्थ्य अच्छा रहे, एवं घर में सुखसमृध्दि रहे, इस हेतु पूजा की जाती है.
इस बार नरक चतुर्दशी व लक्ष्मीपूजन एक ही दिन हर वर्ष वसूबारस के दूसरे दिन धनतेरस, तीसरे दिन नरक चतुर्दशी, चौथे दिन लक्ष्मीपूजन, पांचवे दिन बलिप्रतिपदा व छठवें दिन भाईदूज का पर्व मनाया जाता है. किंतु इस बार जहां वसूबारस के दूसरे दिन यानी शुक्रवार 12 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाया जायेगा. वहीं शनिवार 14 नवंबर को नरक चतुर्दशी व लक्ष्मीपूजन एक ही दिन पड रहे है. इसके बाद सोमवार 16 नवंबर को बलिप्रतिपदा व भाईदूज का पर्व भी एक ही दिन मनाया जायेगा. हालांकि रविवार 15 नवंबर को गोवर्धन पूजा व अन्नकूट का आयोजन किया जा सकेगा. ऐसे में आगामी पांच दिनों तक शहर सहित जिले में प्रकाश पर्व दीपोत्सव को लेकर जबर्दस्त उमंग, उत्साह व उल्हास का वातावरण दिखाई देगा.