अमरावतीमुख्य समाचार

‘उन’ 11 सफाई ठेकेदारों को कोर्ट ने लगाई लताड

झोन निहाय ठेके को लेकर आयुक्त की भूमिका का किया समर्थन

* ठेकेदारों की याचिका पर सुनवाई हुई पूरी, अगली तारीख पर होगा फैसला
अमरावती/दि.15 – स्थानीय मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर द्बारा शहर की साफ-सफाई के लिए प्रभाग निहाय ठेके की बजाय झोन निहाय ठेका पद्धति को अमल में लाने का निर्णय लिए जाने पर इसके खिलाफ अदालत में याचिका दायर करने वाले 11 सफाई ठेकेदारों को आज अदालत ने कडी फटकार लगाई. साथ ही उन्हें मनपा द्बारा उनके साथ प्रभाग निहाय ठेके का करार करते समय उल्लेखीत शर्त क्रमांक-29 की याद दिलाई, जिसमें साफ तौर पर लिखा गया था कि, उक्त ठेका करार की शर्तों में काम की दृष्टि से बदलाव करने, नई शर्त शामिल करने व  परिस्थितिनुरुप निर्णय लेने के साथ ही किसी भी कारण के चलते जरुरत महसूस होने पर ठेका कालावधी से पहले ठेके को रद्द करने का अधिकार मनपा आयुक्त के पास रहेगा. इसी शर्त के आधार पर स्थानीय जिला व सत्र न्यायालय के लवाद ने याचिकाकर्ताओं के तीनों वकीलों से दो टूक शब्दों में कहा कि, शायद उन्होंने याचिका दायर करने से पहले याचिकाकर्ताओं के पास मौजूद ठेका करार की सभी शर्तों विशेषकर शर्त क्रमांक-29 को नहीं पढा है और नाहक ही अदालत का समय बर्बाद किया है.
बता दें कि, अमरावती मनपा द्बारा प्रभाग निहाय ठेका पद्धति के बजाय झोन निहाय ठेका पद्धति को अमल में लाए जाने का फैसला लिए जाने के बाद पुराने सफाई ठेकेदारों ने इसके खिलाफ मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. जहां पर सुनवाई पश्चात नागपुर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को स्थानीय न्याय प्रधिकरण (लवाद) में लाने की सलाह दी थी. जिसके बाद उन सभी 11 ठेकेदारों द्बारा स्थानीय अदालत में अपने वकीलों के मार्फत मनपा के फैसले के खिलाफ अपील की गई. पश्चात अदालत में इस अपील पर सुनवाई हेतु आज गुरुवार 15 जून की तारीख मुकर्रर की थी. जहां पर आज याचिकाकर्ताओंं की ओर से तीन वकील पेश हुए. वहीं मनपा की ओर से शहर के वरिष्ठ विधिज्ञ एड. अशोक जैन ने पैरवी की.
आज हुई जिरह के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ताओं के तीनों वकीलों के युक्तिवाद को महज 5 मिनट के भीतर यह कहते हुए समेट दिया कि, क्यो उन्होंने याचिका दायर करने से पहले प्रभाग निहाय ठेके का करार करते समय करारनामे में उल्लेखीत शर्त क्रमांक-29 को पढा है. जिसमें ठेका करार की शर्तो में कोई भी संशोधन करने, किसी भी तरह की नई शर्त जोडने, परिस्थितिनुसार निर्णय लेने तथा जरुरत महसून होने पर ठेका करार की अवधि खत्म होने से पहले ही ठेके के करारनामें को रद्द करने का अधिकार मनपा आयुक्त के पास रहने की बात साफ तौर पर उल्लेखित है. ऐसे में मनपा आयुक्त द्बारा लिए गए फैसले को लेकर सफाई ठेकेदारों द्बारा आपत्ति उठाए जाने का कोई औचित्य ही नहीं बनता. साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों से यह भी कहा कि, जिस मामले में याचिका दायर करने का कोई औचित्य नहीं बनता, ऐसे मामले को लेकर याचिका दायर करते हुए अदालत का समय नाहक ही नष्ट किया गया है.
वहीं इस मामले में मनपा की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ विधिज्ञ एड. अशोक जैन ने कहा कि, जब अमरावती शहर में महानगरपालिका ने प्रभाग निहाय ठेके जारी किए थे, तो शहर के रिहायशी इलाकों व व्यापारिक क्षेत्र में सही ढंग से साफ-सफाई नहीं हुआ करती थी. यहीं वजह है कि, राष्ट्रीय हरित लवाद यानि एनजीटी ने अमरावती मनपा पर 1 करोड 40 लाख रुपए का दंड लगाते हुए इंदौर व अहमदाबाद शहरों के मॉडल को अपनाने हेतु कहा था. वहीं साफ-सफाई के काम बराबर नहीं करने के चलते अमरावती मनपा ने भी सफाई ठेकेदारों पर 60 लाख रुपए का जुर्माना ठोका था. इन तमाम बातोें के मद्देनजर मनपा आयुक्त व मनपा प्रशासन ने सभी नियमों के दायरे में रहकर  अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए प्रभाग निहाय की बजाय झोन निहाय ठेका पद्धति को अमल में लाने का निर्णय लिया गया और पुराने ठेका करार को रद्द करते हुए नये ठेके के लिए निविदा आमंत्रित की. इसमें कहीं पर भी नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. अत: झोन निहाय ठेके को लेकर किसी के भी द्बारा आपत्ति उठाए जाने का कोई तुक नहीं है. अदालत ने एड. अशोक जैन की इस दलिल को पूरी तरह से ग्राह्य माना तथा फैसले को अगली तारीख पर सुनाने की बात कहीं.
यद्यपि अदालत ने अपने फैसले को अगली तारीख तक के लिए सुरक्षित रख लिया है. लेकिन अदालत के रुख को देखते हुए साफ हो गया है कि, अदालत ने मनपा आयुक्त, उनके अधिकार और उनकी भूमिका को सही माना है तथा इस मामले में अदालत का फैसला मनपा के पक्ष में आने वाला है.

Related Articles

Back to top button