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गुनहगार खुद फर्जीवाड़े की शिकायत देने थाने में पहुंचे ..!

कृषि उत्पन्न बाजार समिति पद भर्ती महाघोटाला

  • पद भर्ती की पूरी परीक्षा प्रक्रिया ही अवैध

  • सभी 14 नियुक्तियां रद्द करने की मांग

  • सभापति सहित अधिकांश संचालक है शक के घेरे में

  • लता बाजपेयी को बनाया बलि का बकरा

परतवाड़ा/अचलपुर/दि. ११  – स्थानीय कृषि उपज मंडी अचलपुर प्रशासन की ओर से 2019 में की गई पद भर्ती के लिए आयोजित लिखित परीक्षा ही नियमबाह्य होने के कारण उक्त परीक्षा और दी गई सभी नियुक्तियों को रद्द करने की मांग अनेक परीक्षार्थियों की ओर से की जा रही है.
  पणन महासंघ पुणे के डायरेक्टर तोषनीवाल ने जिस पद्धति का आधार लेकर यह परीक्षा आयोजित करने के निर्देश डीडीआर के माध्यम से कृषि मंडी प्रशासन को दिए थे.उन निर्देशो की खुली अवहेलना करके उक्त लिखित परीक्षा का सिर्फ दिखावा भर किया गया था.इसलिए अब इस पूरे नियुक्ति फर्जीवाड़े से प्रभावित हुये अन्य परीक्षार्थी पूरी पद भर्ती प्रक्रिया को ही रद्द करने की मांग कर रहे है.प्राप्त जानकारी के अनुसार पणन महासंघ के डायरेक्टर ने डीडीआर संदीप जाधव को स्पष्ट रूप से लिखित में यह निर्देश दिए थे कि आयोजित परीक्षा यह एमपीएससी पैटर्न से ली जाए.निर्देशानुसार परीक्षा में बैठे प्रत्येक उम्मीदवार को समयावधि खत्म होने के बाद उत्तर पत्रिका की एक प्रति दी जानी चाहिए थी, लेकिन अलीबाबा और 18 चोरों ने ऐसा कुछ भी नही किया.लिखित परीक्षा की कोई प्रावीण्यता सूची भी कृषि मंडी के सूचना फलक पर नही लगाई गई थी.पर्सनल इंटरव्यू के समय प्रावीण्यता प्राप्त उम्मीदवारों को सिर्फ बाहर बिठाकर रखा गया था, उन्ही उम्मीदवारों के पर्सनल साक्षात्कार लिए गए जिनसे ‘ डील ‘ हो चुकी थी.जिस लता बाजपेयी को सचिव और सभापति की शिकायत पर आरोपी बनाया गया है वो इस पूरे फर्जीवाड़े में एक मोहरा मात्र है.मूलतः मध्यप्रदेश निवासी लता ने यह नोकरी पाने के लिए किस संचालक को क्या -क्या दिया यह तो उसके पुलिस हिरासत में जमा होने के बाद ही मालूम पड़ेंगा.लता ही नही अपितु नामजद किये गए मंगेश भेटालू और शुक्ला भी सिर्फ मामला लपेटने के उद्देश्य से ही शिकायत में उल्लेखित किये गए थे.
दरअसल इस मामले में सभी सफेदपोश (व्हाइट कॉलर )दोषी है.सेवक समिति से लेकर व्हाया सुधीर से सचिव-सभापति तक.मामले की जांच सीधे एसपी डॉ हरि बालाजी की निगाहबीनी में चल रही इस कारण कोई भी नटवरलाल  इससे बच पायेगा, इसकी संभावना कम ही नजर आती है.इस पूरे फर्जीवाड़े के पीछे अमरावती जिला उपनिबंधक का वरदहस्त आज तक रहा है.संदीप जाधव इस घोटाले के हर्षद मेहता कहे जा सकते. जो पत्राचार और जो शिकायते जाधव के पास की गई थी उसका उन्होंने कभी ईमानदारी से संज्ञान लेना जरूरी नही समझा.
 सबसे घोर आश्चर्य की बात यह है कि इस पूरे फर्जीवाड़े के बारे में अति ईमानदार मंडी सचिव और भोले-भाले सभापति को कुछ भी मालूम ही नही था??? इन बेचारों को तो यहां तक की भी जानकारी नही थी कि इस 14 बोगस पद भर्ती की शिकायत कौनसे थाने में लिखवानी है.किसी सहकार महर्षि ने इन दोनों का मार्गदर्शन भी नही किया.सो, इन लोगो ने परतवाड़ा थाने में फर्जीवाड़ा होने की शिकायत दर्ज कराई थी.परतवाड़ा थाने के प्रभारी प्रदीप चौगावकर सिर्फ पांच दिन तक इस शिकायत को दबाए बैठे थे.पुलिस की ऑफिशियल लैंग्वेज में वो पूरे दस्तावेजों की स्टडी (गहरा अध्य्यन )करते रहे.यदि राहुल कडू रोजाना थाने के चक्कर नही लगता तो शायद यह स्टडी एक महीने तक भी खींच जाती थी.
    अचलपुर कृषि उपज मंडी के साथ-साथ ही जुड़वाशहर में एक और संस्था में पद भर्ती को लेकर घोटाला हुआ था.हम इसे राष्ट्रीय हाइस्कूल के नाम से जानते है.इस स्कूल के प्रकरण में शिक्षणाधिकारी के आदेश पर उसके प्रतिनिधि ने आकर थाने में पूरे संचालक मंडल के खिलाफ धोखाधड़ी और चारसौबीसी की शिकायत दर्ज कराई थी.शिकायत के आधार पर स्कूल की संस्था के सभी पदाधिकारी व संचालको पर अचलपुर थाने में ही अपराध दर्ज किया गया.स्कूल के इसी फर्जीवाड़े के समानांतर कृषि मंडी में भी 14 पदों की नियुक्ति का फर्जीवाड़ा जगजाहिर हो चुका.इस मामले में अचलपुर के थानेदार सेवानंद वानखड़े ने जांच कर अपने एक सौ से अधिक पन्नो की रपट एसपी को प्रेषित की थी.इस रपट के आधार पर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक ने डीडीआर संदीप जाधव को कृषि मंडी अचलपुर के दोषी प्रशासकीय अधिकारी और संचालक मंडल के खिलाफ फौजदारी की शिकायत दर्ज कराने के निर्देश लिखित में दिए थे.निर्देशानुसार डीडीआर ने खुद या फिर अपने प्राधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से ऊपर दिए विषय अनुसार अचलपुर थाने में शिकायत देनी चाहिए थी. किंतु जाधव ने ऐसा कुछ भी नही किया बल्कि उसने सभापति और सचिव को एसपी के पत्र का मसौदा जस का तस लिखकर प्रेषित किया और उन्हें ही थाने में शिकायत देने के निर्देश दिए.
  संभवतः अख्खे हिंदुस्थान में यह पहला पद भर्ती घोटाला होंगा जिसमे खुद नियोक्ता(एम्प्लायर ) द्वारा ही नियुक्त कर्मी(एम्प्लॉयी) के खिलाफ थाने में शिकायत दी गई हो…! यह शिकायत भी तब जब लता बाजपेयी के नियुक्ति पत्र पर स्वयं सभापति और सचिव के हस्ताक्षर है.यानी जिन्होंने फर्जी नियुक्ति करने अपनी स्वाक्षरी से नियुक्ति पत्र दिया वो गुनाहगार खुद ही थाने में फर्जीवाड़ा होने की शिकायत देने के लिए पहुंच गए.इस शिकायत को परतवाड़ा पुलिस ने पूरा अध्ययन किया और झट से मंगेश, लता, और शैलेश शुक्ला के खिलाफ 420, 465, 471,34 का मामला दर्ज कर लिया गया.बाद में पूरे मामले को अचलपुर पुलिस को हैंडओवर किया गया.
आज नही तो कल मंगेश, शैलेश और लता को पुलिस का सामना करना ही होंगा तब दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जायेगा.
  जो 14 पदों पर नियुक्तियां आवंटित की गई उसमें कोल्हे, लांडे और ठाकरे जैसे नाम भी है.ये तीन नवनियुक्त बंदे संचालक मंडल के अत्यंत करीबी और ब्लड रिलेशनशिप के दायरे में बताये जाते है.जो पद भर्ती की गई उसमें दिव्यांग का एक पद और दो पद पूर्व सैनिक के लिए आरक्षित होने की जानकारी भी मिली है.अपंग कल्याण मुद्दे पर हमेशा करारा ‘प्रहार ‘करते कुल तीन संचालक इस वक्त कृषि मंडी में है.बावजूद इसके विकलांग पद पर उम्मीदवार आने के बाद भी उसे नियुक्ति नहीं दी गई थी. लिखित परीक्षा में प्रावीण्यता प्राप्त करने के बाद करजगावँ क्षेत्र के दो पूर्व सैनिकों को नियुक्त नही किया गया क्योंकि इनके पास संचालक मंडल को देने के लिए रुपये नही थे.दोनों पूर्व सैनिक कम से कम 15 वर्ष देश की सेवा कर चुके और कृषि मंडी के संचालको ने उनका कोई कारण नही बताते हुये चयन नही किया.विकलांग और पूर्व सैनिकों का श्राप दोषी संचालको को आज नहीं तो कल भुगतना ही पड़ेंगा.
  कृषि मंडी को कुल 17 स्थानों पर पद नियुक्ति करनी थी. मंडी प्रशासन के पास पहले से ही 10 दिहाड़ी (रोजनदारी )कर्मचारी कार्यरत है.इन सभी दसो कर्मियों को मंडी में नोकरी करते हुए 3600 दिन से ज्यादा हो चुके.कायदे से मंडी प्रशासन ने 10 दिहाड़ी कर्मियों को प्राथमिकता देकर नियुक्ति पत्र देना चाहिए था लेकिन भ्र्ष्टाचार की गर्त में डूबे संचालक मंडल ने बेशर्मी की हदों को लांघते हुए अपनी मनमर्जी से नियुक्ति कर डाली. लता बाजपेयी की परीक्षाफीस पिछले दरवाजे से अवधि समाप्ति के बाद ली गई.पूरा बैंक ट्रेंजेक्शन ऑनलाइन है.मंगेश भेटालू अभी इतना बड़ा डॉन नही बना की उसके कहने से अवधि के बाद फीस स्वीकार भी कर ली गई. इसी संचालक मंडल की भ्र्ष्टाचार प्रवुत्ति के कारण सिर्फ 3700 उम्मीदवार इसलिए परीक्षा में बैठ नही पाये क्योंकि उन्होंने समयावधि के भीतर अपनी फीस जमा नही करवाई थी.
कुल 1781 उम्मीदवार परीक्षा के लिए पात्र पाये गये थे लेकिन पथभृष्ट मंडी प्रशासन और धूर्त संचालको ने 1775 उम्मीदवारों के ही परीक्षा देने की व्यवस्था की थी.6 पात्र उम्मीदवारों को परीक्षा देने का मौका भी नही दिया गया.परीक्षा शुल्क जमा करवा चुके इन 6 लोगो को धमकाकर घर जाने के लिए कहा गया.
-वर्षा पवित्रकार के जज्बे को सलाम-:कृषि उपज मंडी की संचालिका वर्षा पवित्रकार ने इस पूरी पद भर्ती प्रक्रिया को अवैध और भ्र्ष्टाचार से भरीपूरी करार दिया है.वर्षाताई के जज्बे को सलाम किया जा सकता है.चलो इस अन्याय के खिलाफ किसी की अंतरात्मा ने तो खुद को झंझोड़ा. वर्षा पवित्रकार ने सभी 14 पदों की नियुक्ति रद्द कर पात्र उम्मीदवारों को नियुक्ति देने की लिखित शिकायत भी की है.इस संचालिका ने कहा है कि 14 माह पूर्व ही पद भर्ती रद्द करने का आदेश प्राप्त हुआ था किंतु नियुक्ति रद्द नही की गई.उन्होंने पुलिस को दी अपने पत्र की कॉपी में यह भी लिखा कि वो खुद भी इस भ्र्ष्टाचार में शामिल है.मंडी सभापति को दिए पत्र में उन्होंने यह कबूलनामा दिया.इसी पत्र की कॉपी अचलपुर के थानेदार को भी प्रेषित की गई.फर्जी पद भर्ती घोटाले को लेकर अभी तक किसी भी संचालक ने विरोध नही प्रदर्शित किया था,लेकिन धन्य है नारीशक्ति वर्षाताई जिन्होंने स्टेट फारवर्ड इस घोटाले को उजागर कट स्वयं के शामिल होने की स्विकोरोक्ति भी दी है.पवित्रकार के इस पत्र बम से कृषि मंडी में खलबली मची है.
उधर अचलपुर पुलिस बहोत ही बारीकी से कृषि मंडी सभापति व संचालको पर निगाह जमाये हुए है.अचलपुर पुलिस का कहना है कि किसी भी दोषी को बख्शा नही जायेगा. सहकार के नाम पर खुद का उद्धार करते रहे इन किसान प्रेमी संचालको के तंबू में अब फर्जीवाड़ा उजागर होने से हाहाकार मचा हुआ है.जल्द ही इनके पुलिसिया शिकंजे में कैद होने की संभावना जताई जा रही है.
संलग्न-:छायाचित्र

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