अमरावती/प्रतिनिधि दि.14 – गत रोज राज्य सरकार द्वारा ‘ब्रेक द चेन’ के तहत समूचे राज्य में 14 अप्रैल से 30 अप्रैल तक लॉकडाउन व संचारबंदी लागू करने की घोषणा की है. जिसे लेकर जारी अध्यादेश में बताया गया है कि, लॉकडाउन काल के दौरान क्या-क्या खुला रहेगा और क्या-क्या बंद रहेगा, इसमें सडक किनारे लगनेवाली नाश्ते की गाडियों को खुले रहने की छूट दी गई है. हालांकि इसमें यह शर्त जोडी गई है कि, इन नाश्ते की गाडियों से ग्राहकोें को केवल पार्सल सुविधा ही उपलब्ध करायी जायेगी और ग्राहक इन गाडियों पर खडे रहकर नाश्ता नहीं कर पायेंगे. सरकार के इस फैसले को एक तरह से बेहद हास्यास्पद कहा जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर सहित जिले में रोजाना सुबह सडक किनारे नाश्ते की सैकडों गाडियां लगती है. जहां पर नाश्ता करने के लिए हजारों ग्राहकों की भीड उमडती है और लोगबाग इन गाडियों के आसपास खडे होकर ही नाश्ता करते है. पिछली बार के लॉकडाउन में अन्य सभी व्यवसायों की तरह सडक किनारे लगनेवाली नाश्ते की गाडियों को भी बंद करवाया गया था, किंतु राज्य सरकार द्वारा लागू लॉकडाउन में नाश्ते के गाडियों को खुले रखने तथा पार्सल सुविधा उपलब्ध कराने की छूट दी गई है. साथ ही कहा गया है कि, नाश्ते की गाडियों पर नाश्ते का पार्सल लेने हेतु आनेवाले ग्राहकों द्वारा सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का पालन किया जाये. किंतु इस निर्देश का कैसे व किस हद तक पालन होगा, यह अपने आप में संशोधन का विषय है.
राज्य सरकार द्वारा दी गई इस छूट का अध्ययन करने पर समझ में आता है कि, यह छूट देते समय राज्य सरकार ने केवल मुंबई, पुणे व नाशिक जैसे महानगरों को ही अपनी नजर के सामने रखा, जहां पर सडक किनारे लगनेवाले स्ट्रीट फुड स्टॉल्स् द्वारा टेक अवे पार्सल की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है. जिसके लिए विशेष तरह के कंटेनर में नाश्ता पैक करते हुए पार्सल दिया जाता है. किंतु यह सुविधा एवं व्यवस्था अमरावती जैसे छोटे शहरों में नहीं होती. साथ ही नाश्ता करने के शौकीन लोग नाश्ते की गाडियों पर ही नाश्ता करने का आनंद लेना चाहते है और सुबह के वक्त वैसे भी मनपा एवं पुलिस महकमे के पथक सडकों पर नहीं होते. ऐसे में नाश्ते की गाडियों से नाश्ता पार्सल जा रहा है, अथवा वहीं पर ग्राहकों को प्लेट में सजाकर दिया जा रहा है, इस ओर ध्यान देने का कोई साधन प्रशासन के पास नहीं है. ऐसे में अमरावती जैसे शहर के लिए नाश्ते की गाडियों से पार्सल सुविधा उपलब्ध कराने के निर्णय को हास्यास्पद ही कहा जा सकता है..