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शिष्टमंडल मुंबई नहीं जाएगा, शिंदे-फडणवीस आकर बात करें

किसान सभा लॉन्ग मार्च में नया ट्विस्ट

नासिक./दि.15- अपनी 17 मांगों को मनवाने के लिए किसान सभा लॉन्ग मार्च शुरू है. यह लॉन्ग मार्च नासिक से मुंबई की तरफ बढ़ रहा है. आज (15 मार्च, बुधवार) किसानों के इस मार्च का चौथा दिन है. तीसरे दिन सीएम एकनाथ शिंदे ने मुंबई में किसानों के साथ मीटिंग आयोजित की थी. यह मीटिंग रद्द हो गई थी. इसके बाद खबर आई थी कि यह मीटिंग आज होगी. लेकिन अब किसानों का कहना है कि चर्चा के लिए किसानों का डेलिगेशन मुंबई नहीं जाएगा. चर्चा करनी है तो सीएम शिंदे या डिप्टी सीएम फडणवीस या संबंधित मंत्री को खुद किसानों के पास आना होगा.
इस तरह किसान मुंबई पहुंचे बिना पीछे लौटने को तैयार नहीं हैं. किसानों ने अब अपना रुख और ज्यादा आक्रामक कर लिया है. किसान सभा लॉन्ग मार्च का नेतृत्व किसान सभा के जे पी गावित और डॉ. अजित नवले कर रहे हैं. मुंबई के लिए रवाना हुआ यह मार्च नासिक के दिंडोरी तहसील से शुरू हुआ है और फिलहाल इगतपुरी के घाटनदेवी तक पहुंचा है. सीपीआई (मार्क्सवादी) के किसान सभा का यह लॉन्ग मार्च मुंबई की ओर बढ़ना शुरू है. यह कसारा घाट को पार कर मुंबई में दाखिल होने वाला है. यानी पहले से ही कर्मचारियों की हड़ताल से टेंशन में घिरी सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं.
रविवार को शुरू हुआ यह किसान सभा का लॉन्ग मार्च नासिक में ही रोका जा सके, इसके लिए सरकार की ओर से संरक्षक मंत्री दादा भुसे ने बैठक की थी. लेकिन उस बैठक में कोई समाधान नहीं हो सका. जिलाधिकारी कार्यालय में हुई बैठक में सरकारी अधिकारी भी शामिल हुए थे. लेकिन कोई ठोस उपाय सामने नहीं आया था. लॉन्ग मार्च मुंबई की ओर बढ़ रहा था तो अचानक मुंबई ना आएं, बल्कि शिष्टमंडल को चर्चा के लिए भेजें, यह संदेश सरकार की ओर से भेजा गया. इसके बाद किसी वजह से कल की सीएम एकनाथ शिंदे के साथ मीटिंग रद्द कर दी गई और जानकारी सामने आई कि आज मीटिंग होगी. लेकिन इसके बाद किसान आक्रामक हो गए. उनका कहना है कि चर्चा के लिए बुलाया जाता है और अचानक मीटिंग रद्द कर दी जाती है. सीएम एकनाथ शिंदे के पास किसानों के लिए वक्त नहीं तो किसान भी कम सख्त नहीं, यह बात लॉन्ग मार्च में शामिल किसानों की तरफ से कही जा रही है.
यानी किसान अब लचीला रुख अपनाने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि किसान सभा ने अपनी मांगों से जुड़ा विस्तृत पत्र सरकार के प्रतिनिधियों तक पहुंचा दिया है. अब सरकार को वे मांगें मान लेनी है, इसमें चर्चा-वर्चा क्या करनी है? पांच साल पहले भी इसी तरह लॉन्ग मार्च निकाला गया था. तब सरकार ने आश्वासन देकर उस मार्च को रोक लिया था. लेकिन इस बार जब तक मांगें नहीं मानी जाती, तब तक किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं. यह किसान सभा लॉन्ग मार्च में शामिल सदस्यों का कहना है.

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