जगदगुरु राजेश्वर माऊली सरकार के शिष्यों ने मनाई गुरुपूर्णिमा
श्री रुक्मीणी पीठ के प्रांगण में दिव्य आयोजन
अंबिकापुर/अमरावती/दि.22- कौंडण्यपुर मे स्थीत श्री रुक्मीणी पीठ मे आषाढ़ी पूर्णिमा तिथि दिनांक 21 जुलाई को गुरुपौर्णीमा का दिव्य समारोह संपन्न हुआ. दिप प्रज्वलीत कर परमपुज्य जगदगुरु स्वामी श्री राजेश्वराचार्य माऊली सरकार का पाद्यपुजन किया गया. इस समय भक्तों के प्रतिनिधी के रुप में कारंजा लाड निवासी रामदास कांबले, वरोरा निवासी डॉ.गोंडे, वर्धा निवासी आकाश वानखडे एवं धारणी निवासी गोपाल राठोड ने वेदोक्त विधी विधान से करने के पश्चात श्री रुक्मीणी पिठ के अध्यक्ष सुरेश पाटील ने अपने प्रस्ताविक उद्बोधन मे श्री रुक्मीणी पीठ निर्माण कार्य एवं योजना तथा उपक्रमों की जानकारी देते हुए श्री रुक्मीणी माता मंदिर और श्री गुरुमंदिर के निर्माण कार्य में सभी सनातनी भारतियों ने तन मन धन से सहयोग करने की अपील की. संचालन मंदा नांदूरकर ने किया.
अपने आशीर्वचन में सभी को शुभ आशीर्वाद देकर एक अच्छे गुुरु और कर्तव्य परायण शिष्य की भूमिका को समझाकर जगदगुुरु श्री माऊली सरकार ने उपस्थीत धर्मावलंबीयो को इस काल के धर्मपरायण कर्तव्यों के साथ पवित्र एवं शुद्ध आचरण से ही हमारे जीवनके साथ हमारी आनेवाली पीढियों को संस्कारित करने का कर्तव्य करने के लिए प्रबोधन किया.
अज्ञानरुपी अंधकार से बाहर निकलकर हमारा जीवन ज्ञानरुपी प्रकाश से गति मान करने का कार्य गुरु करते हैं. इस बात को शिष्य निरंतर अपने अंतर्मन में जाग्रुत रखें और गुरु के वचनों को हृदय में रखकर अपना जीवन कर्तव्य का पालन करे. ऐसा कहकर इस जगत का आधार जो राम मंत्र है उसका निरंतर जप कर अपना आचरण शुद्ध करने के लिए सभी को प्रेरित किया. सच्चे गुरु अपने कर्तव्य का निर्वहन करते है समाज की विकृती का मर्दन कर अच्छे विचारों का संवर्धन करते है.
माता पिता के स्थान पर विराजमान रहते गुरु
गंगा भागीरथी की पवित्र एवं शुद्ध विचारधारा को जनमानस तक प्रवाहित करना शिष्य का आद्यकर्तव्य वैदिक सनातन हिंदुधर्म की शाश्वत धारणा नुसार गुरु ही भगवान का सगुण रुप गुरु अज्ञानरुपी अंधकार से बाहर निकालकर हमारा जीवन ज्ञानरुपी प्रकाशसे गतीमान करते और शिष्यों का जीवन नवचैतन्यमय करते यही सच्चे गुुुुरु की पहचान हैं. समाज की विक्रुतीयों का मर्दन और अच्छे विचारों का संवर्धन करते हैं अध्यात्मीक गुरु जगदगुरु राजेश्वर माऊली सरकार. देवता भी जिस मंत्र के लिये तरसते वही राम मंत्र तारक है, जो हमारे आचरण की शुद्धी करता और हमारे संस्कारोका संवर्धन करता है. गुरु को वंदन करना और उनके दिए ज्ञान का ऋण व्यक्त करने के लिए दो दशकों से अधिक समय से श्री स्वामी भक्त ’गुरुपौर्णिमा’ मनाते आ रहे है. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गुरुपौर्णिमा उत्सव दिनांक 21 जुलाई को बड़े उत्साह के साथ सबसे पहले सुबह 6 से 9 बजे के बीच श्री रुक्मिणी माता की षोडशोपचार पूजा संपन्न हुई. इसके बाद सुबह 9 से 11 बजे तक गायक जीतू पाखरे की मधुर आवाज में एक से बढ़कर एक भक्ति गीतों का सुरमय भक्ति संगीत कार्यक्रम हुआ. इस दौरान उपस्थित लोगों ने तालियों से भरपूर समर्थन दिया. इसके बाद सुबह 11 से 11.30 बजे तक स्वामीजी का पाद्यपूजन संपन्न हुआ. इसके बाद 11.30 से 1 बजे तक स्वामीजी ने उपस्थित भक्तों को आशीर्वचन दिए. फिर श्री के दर्शन एवं पूजन हेतु भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. इस समय गुरुदीक्षा समारोह में कई भक्तों ने स्वामीजी से दीक्षा ली. इसके बाद उपस्थित हजारों स्वामी भक्तों ने महाप्रसाद का लाभ लिया. इस उत्सव के पूर्व शनिवार संध्या में यानी 20 जुलाई को मंगलमूर्ति सुंदरकांड मंडल द्वारा भक्तिमय सुंदरकांड का सुंदर आयोजन संपन्न हुआ.