-
मेला न लगने से बच्चा कंपनी में निराशा
-
छोटे व्यापारियों के सामने आर्थिक समस्याएं
अमरावती प्रतिनिधि/दि.१९ – प्रतिवर्ष नवरात्रौत्सव के समय राजकमल चौक से गांधी चौक के बीच अंबादेवी का मेला सजता है और यहां पर अमरावती शहर व जिले सहित दूरदराज के हिस्सों से देवीदर्शन करने हेतु आनेवाले भाविक श्रध्दालु अपनी जरूरतों का सामान खरीदते है. इसमें भी शनिवार एवं रविवार की शाम इस मेले में भारी भीडभाड दिखाई देती है. किंतु इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जहां एक ओर मंदिरों के कपाट आम श्रध्दालुओं के लिए बंद है, वहीं प्रशासन द्वारा भीडभाड टालने के लिए इस वर्ष मेला लगाने की अनुमति नहीें दी गई है. ऐसे में शनिवार से शुरू हुए नवरात्रौत्सव के दौरान पहली बार रविवार को अंबादेवी मंदिर एवं आसपास के परिसर में लगभग सन्नाटा ही देखा गया.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रौत्सव के दौरान अंबादेवी व एकवीरादेवी मंदिरों में देवीदर्शन हेतु भाविकों की लंबी-लंबी कतारें देखी जाती है और राजकमल चौक से गांधी चौक के बीच लगनेवाले अंबादेवी के मेले की वजह से इस सडक पर पूरे नौ दिन हर समय जबर्दस्त भीडभाड का आलम रहता है. साथ ही शहर में हर ओर चैतन्यपूर्ण व उल्हासपूर्ण वातावरण दिखाई देता है. किंतु इस वर्ष कोरोना संकट की वजह से सभी पर्व व त्यौहारों के हर्षोल्लास पर पानी फिर गया है और गणेशोत्सव व दुर्गोत्सव जैसे पर्वों को भी बेहद साधे व सामान्य ढंग से मनाना पड रहा है. इस समय कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जहां एक ओर मंदिरों के कपाट बंद है, वहीं दूसरी ओर इस बार सार्वजनिक दुर्गोत्सव मनाने के लिए कई कडे नियम व शर्त लागू किये गये है. साथ ही इस बार डांडिया व गरबा के आयोजन को अनुमति नहीं दी गई है. ऐसे में नवरात्रौत्सव पर दिखाई देनेवाली गहमागहमी का नदारद रहना बेहद स्वाभाविक है. वहीं दूसरी ओर इस वर्ष अंबादेवी का मेला नहीं सजने की वजह से छोटे बच्चों में काफी निराशा का माहौल है. क्योेंकि हर साल इस मेले में बालगोपाल कंपनी अपने माता-पिता के साथ आकर बडे उत्साह व चाव के साथ खेल-खिलौने खरीदा करते थे. साथ ही इस मेले में साज-श्रृंगार व गृहोपयोगी वस्तुओं की दूकानें भी बडे पैमाने पर लगा करती थी. जहां पर महिलाएं व नवयुवतियां अपनी जरूरत का सामान खरीदती थी. लेकिन इस वर्ष यहां पर मेला ही नहीं सजा. ऐसे में इस बार यह दृश्य भी दिखाई नहीं दे रहा. जिसकी वजह से पूरा सालभर इस मेले का इंतजार करनेवाले छोटे व्यवसायियों का काफी बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. क्योंकि उनके हाथ से कमाई का एक शानदार अवसर निकल गया है. वहीं दूसरी ओर प्रतिवर्ष इस मेले की वजह से स्थानीय मनपा प्रशासन को अच्छीखासी आय हुआ करती थी और इस यात्रा का नियोजन करने की जिम्मेदारी भी मनपा प्रशासन की ही हुआ करती थी. लेकिन इस बार चूंकि मनपा ने इस मेले के आयोजन को अनुमति नहीं दी, तो मनपा को इस बार कोई राजस्व की प्राप्ती भी नहीं हुई.