शिरपुर जैन मंदिर में न बदले प्रतिमा का स्वरुप
अमरावती का दिगंबर जैन समाज पहुंचा संभागायुक्त के पास
अमरावतीदि.25- वाशिम जिले के विश्व प्रसिद्ध शिरपुर जैन मंदिर में पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा का दिगंबर स्वरुप न बदलने का अनुरोध अमरावती जैन समाज ने संभागायुक्त को आज निवेदन देकर किया. उन्होंने निवेदन में कहा कि, विशिम के जिलाधिकारी और प्रशासकीय अधिकारी इस बारे में सहकार्य नहीं कर रहे हैं. जिससे उपरोक्त विषय को अतिशय गंभीर बताते हुए निवेदन दिया गया. इस समय ब्र. संदीप वैद्य, अभिनंद न पेंढारी, उल्लास क्षीरसागर, सजल जैन, संजय जैन, संजय कान्हेड, राजेंद्र बन्नोरे, रोहन देवलसी, सचिन संगई, भालचंद्र रेवणे, नितिन बन्नोरे, विवेक फुलमबरकर, प्रवीण आहाले, हेमंत वालचाले, रमेश विटालकर, राजकुमार जैन, अनिल गडेकार, प्रशांत गडेकार और बडी संख्या में जैन बांधव उपस्थित थे.
यह निवेदन क्रांतिकारी संत एलेक श्री 105 सिद्धांतसागरजी महाराज के आदेश से बालब्रह्मचारी तात्या भैया के नेतृत्व में अमरावती और वाशिम जिलाधिकारी को एक साथ एक ही समय दिया गया. निवेदन में बताया गया कि, अंतरिक्ष पार्श्वनाथ शिरपुर जैन मंदिर जैनों की काशी माना जाता है. सर्वोच्च न्यायालय में भगवान अंतरिक्ष पार्श्वनाथ की प्रतिमा के मूलस्वरुप में कोई बदलाव न करते हुए लेप की अनुमति दी थी. किंतु श्वेतांबर समाज ने इस निर्णय के विपरीत अर्थ निकालकर प्रतिमा बदलने का प्रयत्न शुरु रखा है. इस बारे में न्याय के लिए अमरावती सकल दिगंबर जैन समाज ने यह निवेदन आज डॉ. निधी पांडे को दिया गया. जिसमें पांच बातें मुख्य रुप से की गई है. यह पांच बडे तथ्य होने की तरफ दिगंबर जैन समाज ने ध्यान दिलाया है. 1. चिंतामणी श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ यहां के 16 में से 15 वेदी. 2. दिगंबर समाज व्दारा वर्ष में पांच बार ध्वजारोहण किया जाता है, यह अधिकार दिगंबर मंदिर को दिया जाता है. 3. मंदिर की मूर्ति भी दिगंबर अवस्था में है. 4. पुरातन साहित्य से यह मंदिर दिगंबर मंदिर होने की बात सिद्ध हुई है. 5. मंदिर दिगंबर यह प्राचीन साहित्य गॅझेटियर सर्वेक्षण अहवाल से भी सिद्ध हुआ है.
* शांतिपूर्ण रैली, किंतु…
आज की शांतिपूर्ण रैली का उद्देश्य जिला प्रशासन की देखरेख में शुुरु लेप की दूसरी प्रक्रिया ने पारदर्शीता का स्पष्ट अभाव दिखा रहा है. अक्ष्यम दुर्लक्ष, जानकारी शून्य आदि आरोप भी दिगंबर समाज ने किए है. उन्होंने बगैर किसी पक्षपात के कार्यवाही करने की मांग की है. अन्यथा पक्षपात होने पर विधानभवन पर लाखों की संख्या में लक्षवेधी अधिवेशन और उपोषण की चेतावनी भी दी है.