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संतरा तोडने के अर्थिकचक्र में निकल रहा बाल मजदूरों का रस

कम मजदूरी में 8 घंटे करते है जी जान मेहनत

  • जिला प्रशासन का इस ओर नहीं है ध्यान

परतवाडा/दि.५ – गरीबी की मार, स्कूल बंद, बढती महंगाई, रुपए की लालच, नाबालिग बच्चों से बहुत ही कम मजदूरी में 8 घंटे तक काम कराया जाता है. जिले में फिलहाल संतरे तोडने का सिजन है. इस काम पर आदिवासी, भटके व पिछडे समाज के मजदूरों के 14 वर्ष से कम आयु के लडके, लडकियां कम मजदूरी में कैरेट से भरे संतरे ट्रक में लोड करते दिखाई दें रहे हैं. संतरे की इस जी जान मेहनत से बच्चों के बालपन का रस ही निचोड लिया जा रहा है. इसके बाद भी जिला प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं हेै.
जिले के वरुड, मोर्शी, चांदूर बाजार, अचलपुर, परतवाडा, अंजनगांव सुर्जी, तिवसा इस क्षेत्र में बडे पैमाने पर संतरे का उत्पादन होता है. इस समय जिले में संतरे तोडने का सिजन शुरु है. संतरे तोडने के लिए आदिवासी मजदूर बडी संख्या में शहर पहुंचे है. परिवार की आर्थिक रुप से सहायता करने के लिए कई बच्चे बाल मजदूरी के अर्थचक्र में फंसकर अपना बालपन खो रहे है. पालकों के साथ उनके बच्चे भी संतरे तोडने जा रहे है, इस अवसर का लाभ उठाते हुए ठेकेदार भी कम मजदूरी में उन बच्चों से ज्यादा काम करा रहे है, इस काम के लिए बडे पैमाने में बच्चों का उपयोग किया जा रहा है. चंद रुपयों के लिए सिर पर 25 से 30 किलो संतरे के कैरेट रखकर 8 घंटे तक मेहनत करते है. मजदूरी में उन्हें 200 से 250 रुपए प्राप्त होते है. फिलहाल बालमजदूरी का प्रमाण काफी तेजी से बढ रहा है, इस ओर जिला प्रशासन को ध्यान देना बहुत जरुरी है.

  • कार्रवाई करने के आदेश देंगे

संतरा तोडने के काम पर बाल मजदूर काम कर रहे हैे, ऐसी शिकायत नहीं मिली, इसके कारण किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई. यह विषय कामगार आयुक्त से संबंधित है. संतरा तोडने के लिए अवैध यातायात व बालमजदूर को लेकर कामगार आयुक्त व विभागीय पुलिस अधिकारी को कार्रवाई करने के आदेश दिये जाएंगे.
– संदीप कुमार अपार, उपविभागीय अधिकारी अचलपुर

  • बाल मजूदर बढ रहे है

आदिवासी बहुल क्षेत्र में पर्याप्त रोजगार उपलब्ध न होने के कारण कई मजदूर अपने बच्चों के साथ शहर में आते है. जानकारी के अभाव में बालमजदूरों को भी काम पर लगाया जाता है. कई बार संतरा तोडने के लिए लगाई जाने वाल सिडी पर वजनदार मजदूर चढना संभव नहीं होता, इसके लिए छोटे बच्चों का उपयोग किया जाता है, ऐसे कई कारणों के कारण बाल मजदूर बढ रहे है, यह रोकने के लिए संबंधित अधिकारी को साथ लेकर इसका तोड निकाला जाएगा.
अनिरुध्द पाटिल, अध्यक्ष महाराष्ट्र राज्य, बालहक्क संरक्षण आयोग

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