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फसल मंडी का एकाधिकार खतरे में

निजी मंडियों में भी खरीदी-विक्री को बढता प्रतिसाद

* 10 प्रतिशत कारोबार पर कब्जा
पुणे /दि.3- निजी मंडी कार्यान्वित होने से फसल मंडी के कारोबार पर असर होने की संभावना पैदा हो गई है. 8 साल पहले प्रथम निजी मंडी कार्यान्वित हुई थी. अब अनेक निजी मंडियों ने सहकारी एपीएमसी की तुलना में 10 प्रतिशत तक बाजार पर कब्जा कर लेने का चित्र है. जानकारों का कहना है कि, अगले कुछ वर्षों मेें आधे से अधिक कारोबार पर निजी मंडियों का दबदबा रहेगा. बाकायदा आंकडे देते हुए जानकारों ने कहा कि, एपीएमसी में कामकाज में सुधार पर हमेशा जोर दिया जाता रहा. किंतु निजी मंडियां दिनों दिन अपना पसारा बढा रही है. कुछ ऐसा ही चित्र दिखाई दे रहा.
* ऐसा रहा कारोबार
2016-17 में एपीएमसी का कारोबार 48928 करोड रहा था. उस वर्ष निजी मंडियों में 3013 करोड का कामकाज हुआ. अगले वर्ष सहकारी मंडियां 53399 करोड का कामकाज कर गई. निजी मंडियां 3095 करोड के कारोबार पर रुकी. इसके अगले वर्ष निजी मंडियों का कारोबार छलांग लगा गया. जब 5008 करोड रुपए का बिजनेस इन मंडियों ने किया. इस वर्ष सहकारी मंडियों का कामकाज 50 हजार करोड से नीचे आ गया. 2019-20 में सहकारी मंडियों में 50957 करोड का लेनदेन हुआ. वहीं निजी मंडियां 5258 करोड रुपए तक पहुंच गई. कुछ मामलों में मंडियों ने अपने आसपास के सहकारी क्षेत्र के बाजार समिति से लगभग आधा काम किया.
* 305 सहकारी मंडी
प्रदेश में 305 सहकारी एपीएमसी है. तुलना में निजी मंडी की संख्या 60 है. एपीएमसी में 50957 करोड का लेनेदेन हुआ. निजी मंडियों में 5258 करोड का व्यापार हुआ. प्रति एपीएमसी का औसत 167 करोड रुपए कहा जा सकता है. तुलना में निजी मंडियों में प्रति मंडी 87.63 करोड के कारोबार तक बाजी मार ली है. जिससे साफ है कि, प्रति मंडी के हिसाब से आधा कारोबार निजी मंडी करने लगी है. शीघ्र ही इसमें और बढोत्तरी होने का अंदाजा जानकारों का है.
* स्पर्धा से किसानों का फायदा
एपीएमसी में अब तक किसान अपना माल लेकर आते थे. किंतु निजी मंडी में अच्छे दाम और सुविधा मिलने से वे निजी की तरफ बढते नजर आ रहे है. उन्हें स्पर्धा में लाभ होता दिखाई दे रहा. इसलिए निजी मंडियों का काम बढता जा रहा है. सरकार ने भी निजी मंडियों के लिए मापदंड तय कर रखे है. ठेठ विपणन और निजी मंडी परवाने दिये जा रहे. इससे प्रतिस्पर्धा बढी है. भागीदारी फर्म, सहकारी संस्था, स्वयंसेवी संस्था, स्थानीय शासकीय संस्था या कंपनी निजी मंडी के लिए परवाना ले सकती है.

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