विरोधी पक्ष नेता के बिना ही होगा मानसून सत्र
राकांपा की फूट और संख्याबल का निर्णय आने तक नेता प्रतिपक्ष का मामला रह सकता है प्रलंबित
मुंबई/दि.12 – राज्य विधानमंडल के आगामी पावस सत्र दौरान विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता ही नहीं रहने के स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहे है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी किसकी है और पार्टी का प्रतोद यानि व्हिप कौन है, इसका निर्णय होने के बाद ही नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर फैसला होने की संभावना है. यदि कांग्रेस द्बारा विरोधी पक्ष नेता पद पर दावा करने के साथ ही इसके लिए आग्रह किया जाता है, तो विधानसभा अध्यक्ष द्बार इसे लेकर निर्णय लिया जाएगा. अन्यथा नेता प्रतिपक्ष पद के बिना ही पावस सत्र में विधानसभा का कामकाज चलाना पडेगा. ऐसी संभावना उच्च पदस्थ सूत्रों द्बारा जताई गई है.
उल्लेखनीय है कि, अब तक राज्य के नेता प्रतिपक्ष रहने वाले राकांपा नेता अजित पवार अब भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए है. इसके चलते विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त हो गया है. वहीं शरद पवार और अजित पवार के साथ निश्चित तौर पर कितने विधायक है. यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है. विधानसभा अध्यक्ष के पास अजित पवार ने अपने पास 42 विधायकों का समर्थन पत्र रहने का दावा किया है. लेकिन फिलहाल कई विधायकों का रुझान स्पष्ट नहीं है. ऐसे मेें विधानसभा सभागृह अथवा अध्यक्ष के समक्ष होने वाली सुनवाई में कितने विधायकों का अजित पवार गुट को समर्थन है, यह सिद्ध करना होगा. वहीं दूसरी ओर शरद पवार ने जीतेंद्र आव्हाड की नेता प्रतिपक्ष पद पर नियुक्ति की है. परंतु राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी किसकी है. इस पर निर्णय होने हेतु दोनों पक्षों को अपना पक्ष रखने के लिए नोटीस जारी करने व बाद में सुनवाई करने के लिए कुछ माह का समय लगेगा. जिसके चलते यह अभी से तय दिखाई दे रहा है कि, आगामी पावस सत्र के दौरान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त रहेगा. वहीं सभागृह में नेता प्रतिपक्ष के नहीं रहने एवं विपक्ष के पूरी तरह से बिखरे रहने के चलते सत्तापक्ष को इसका राजनीतिक फायदा मिलेगा.